
शिक्षक (फाइल फोटो-पत्रिका)
सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों (पीयूसी) के व्याख्याताओं को अब कक्षा 9 और 10 के छात्रों को भी पढ़ाना पड़ सकता है। स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीएसइएल) ने ‘कर्नाटक जनरल सर्विसेज (प्री-यूनिवर्सिटी एजुकेशन) भर्ती नियम 2013’ में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया है और इसे कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग (डीपीएआर) को भेज दिया है। प्रस्ताव के अनुसार, संशोधन के बाद पीयू कॉलेजों के प्राचार्य, व्याख्याता और कर्मचारी पीयू सेक्शन से हटकर सार्वजनिक निर्देश निदेशालय (डीपीआइ) के अधीन आ जाएंगे।
इस निर्णय का पीयू कॉलेजों के व्याख्याताओं और प्राचार्यों ने कड़ा विरोध किया है और चेतावनी दी है कि आवश्यकता पडऩे पर वे कक्षाओं का बहिष्कार और आंदोलन करेंगे। वर्तमान में हाई स्कूल और पीयू स्तर के लिए अलग-अलग कैडर और भर्ती नियम लागू हैं। हाई स्कूल शिक्षकों की भर्ती डीएसइएल के संबंधित डीडीपीआइ द्वारा की जाती है, जबकि पीयू व्याख्याताओं की भर्ती डीडीपीयू करते हैं। हाई स्कूल के लिए स्नातक व बी.एड अनिवार्य है, जबकि पीयू व्याख्याता ग्रुप-बी पद के लिए स्नातकोत्तर और बी.एड अनिवार्य होता है।सरकार का तर्क है कि राज्य में कर्नाटक पब्लिक स्कूल्स (केपीएस) की संख्या बढऩे और 1 से 12 तक की शिक्षा एक ही परिसर में मिलने के कारण शिक्षकों की कार्यप्रणाली में एकरूपता आवश्यक है। अगले शैक्षणिक वर्ष से 900 नए केपीएस शुरू किए जाने की घोषणा भी इसी दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
हालांकि, कर्नाटक स्टेट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज लेक्चरर एसोसिएशन ने कहा है कि प्रस्तावित संशोधन से शैक्षणिक अनुशासन, विभागीय स्वायत्तता और व्याख्याताओं की गरिमा प्रभावित होगी। संगठन के अध्यक्ष निंगेगौड़ा ए.एच. ने कहा कि ग्रुप-बी कैडर के व्याख्याताओं को ग्रुप-सी की श्रेणी में लाना ‘कर्नाटक सिविल सर्विसेज निययम’ के सिद्धांतों के खिलाफ है और यह निर्णय शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ डालेगा। एसोसिएशन ने सरकार से प्रस्ताव वापस लेने की मांग की है, अन्यथा राज्यभर के पीयू व्याख्याता आंदोलन करेंगे।
Published on:
18 Nov 2025 04:23 pm
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