
आयुर्वेदिक में इस खरपतवार को भृंगराज के नाम से जाना जाता है यह आयुर्वेदिक दवाई के साथ सिर के बालो में लगाने के लिए तेल के निर्माण में भी काम आता हैं।
बोहत इलाके के खेतों में किसानों के लिए यह खरपतवार, इस बार इसको हटाने के लिए किसानों को नहीं लगाने पड़े श्रमिक
जयप्रकाश शर्मा . बोहत. हर बार किसानों को खेतों में उगे खरपतवार को हटवाने के लिए दिहाड़ी देकर श्रमिकों को लगवाना पड़ता था। इस बार किसानों को इसके लिए रुपए नहीं खर्च करने पड़ रहे। दरअसल, श्योपुर में इस खरपतवार की अच्छी मांग है, ऐसे में वहां का ठेकेदार इस खरपतवार को मजदूरों से खरीद लेता है। इसलिए किसानों को इसके लिए पैसे नहीं देने पड़ रहे।
जानकारी के अनुसार कस्बे सहित आस पास के गांवों में किसानों द्वारा खरीफ सोयाबीन की फसल में उगा काला भागडा खरपतवार खेतों से हटाने के लिए श्रमिक लगाते थे। पहली बार किसानों के खेतों से उक्त खरपतवार को बाहर के ठेकेदार के मजदूर आकर काट कर निशुल्क ले जा रहे हैं। ऐसे में फसल उत्पादन में किसानों का सहयोग हो रहा है। किसान को खरीफ फसलों में उत्पादन लेना है तो किसान का महत्वपूर्ण काम है कि वो खेत में फसल के अंकुरित खरपतवारों को हटाए। ताकि वे पोषक तत्वों के लिए फसल से प्रतिस्पर्धा न करें और पैदावार को नुकसान न पहुंचाएं। इन दिनों किसानों के खेतों किसान के खेत में खडी खरीफ सोयाबीन फसल मजदूर खेतों में मौजूद काला भाभडा जैसे अंकुरित खरपतवारों को मध्यप्रदेश से आए ठेकेदार के मजदूर, जिन खेतों में यह खरपतवार नजर आता है। उसे हटाने में लगे हैं, किसान जगदीश शर्मा, जोधराज मालव, वेदप्रकाश योगी नितेश गालव ने बताया कि इस सत्र में खरीफ फसल सोयाबीन ज्यादा बारिश की वजह से बीज तो कम अंकुरित हुआ, लेकिन खरपतवार ज्यादा बढ़ गया।
खरपतवार हटाना जरूरी
पहली बार इस खरपतवार की वृद्धि को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने से इनको हटाना •ारूरी होता है। खरपतवार फसल के साथ सूर्य के प्रकाश, पानी और पोषक तत्वों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। इन्हें किसान शुरुआती अवस्था में हटा देते हैं, क्योंकि ये फसल की वृद्धि को बहुत प्रभावित करते हैं और उपज को काफी कम कर देते हैं। काला भाभडा खरपतवार यह खरीफ फसल के मौसम में उगने वाला एक प्रकार का खरपतवार है। लेकिन इस बार श्योपुर से ठेकेदार के कई दर्जन मजदूर पिछले महीने तेजाजी मैदान में रूके थे। ये सवेरे उठकर ऐसे खेतों में पहुंच कर खरपतवार काटने के बाद इसका गठ्ठर सडक़ पर रख देते थे। शाम को ठेकेदार की पिकअप को धर्म कांटे पर कांटा करवाकर रोजाना शाम के समय भरवा कर रवाना कर रवाना किया जाता था।
1200 रुपए क्विंटल मिलती है कीमत
श्योपुर पोहरी ठेकेदार राकेश कुमार राठौर ने बताया कि उनके दो सौ से अधिक मजदूर अलग-अलग गांव में ठहरे हुए थे। ये चार महीने से इस खरपतवार की कटाई करने में जुटे हुए हैं। उनसे 1200 रूपये ङ्क्षक्वटल के हिसाब से खरीद की जाती है। इस खरपतवार को भृंगराज के नाम से भी जाना जाता है। उक्त खरपतवार आयुर्वेदिक औषधि निर्माण कार्य में काम आता है। श्योपुर के एक व्यापारी के माध्यम से इस खरपतवार की भराई कार्य में मजदूर लगे हुए हैं। मजदूरों की मजदूरी उनके द्वारा काट कर भराई गई पिकअप के तौल पर निर्भर करती है।
आयुर्वेद में इसका खासा महत्व
आयुर्वेदिक में इस खरपतवार को भृंगराज के नाम से जाना जाता है यह आयुर्वेदिक दवाई के साथ सिर के बालो में लगाने के लिए तेल के निर्माण में भी काम आता हैं।
प्रवीण जैन, वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक, उप जिला चिकित्सालय, मांगरोल
Published on:
18 Nov 2025 10:27 pm
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