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दरगाह आला हजरत न जाकर अखिलेश ने नाराज़ किए बरेलवी मुसलमान, मौलाना शहाबुद्दीन ने कही ये बड़ी बात

मौलाना रजवी ने यूपी चुनाव 2027 का जिक्र करते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव कुछ दिन पहले बरेली आए थे, गली–गली घूमे, लेकिन दरगाह आला हजरत पर हाजिरी लगाने नहीं पहुंचे। इससे प्रदेश के बरेलवी मुसलमानों में काफी नाराज़गी है।

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बरेली। आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बिहार चुनाव नतीजों पर प्रतिक्रिया देते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व बीजेपी गठबंधन की जीत और कांग्रेस-राजद की हार के पीछे एक अहम वजह मुस्लिम समाज के दो हिस्सों में बंटने की है, जिसे सियासी लोगों ने अभी तक ठीक से समझा नहीं।

मौलाना रजवी ने बताया कि वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद पटना में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और सुन्नी सूफी (बरेलवी) उलमा के बीच इफ्तार कार्यक्रम को लेकर दूरी बढ़ गई। देवबंदी उलमा ने सीएम आवास के इफ्तार का निमंत्रण ठुकरा दिया, जबकि बरेलवी उलमा बड़ी संख्या में शामिल हुए। इसके बाद बिहार सरकार ने बरेलवी नेतृत्व को अहम पद देकर अपने साथ जोड़ा। यही वजह रही कि बिहार के करीब 60 प्रतिशत बरेलवी मुसलमानों ने नीतीश गठबंधन के पक्ष में वोट किया, जबकि देवबंदी मतदाता कांग्रेस गठबंधन की ओर झुके।

मौलाना रजवी ने यूपी चुनाव 2027 का जिक्र करते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव कुछ दिन पहले बरेली आए थे, गली–गली घूमे, लेकिन दरगाह आला हजरत पर हाजिरी लगाने नहीं पहुंचे। इससे प्रदेश के बरेलवी मुसलमानों में काफी नाराज़गी है।

उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव सहारनपुर जाते हैं तो दारुल उलूम देवबंद जरूर जाते हैं, लखनऊ के नदवा भी हर साल पहुंचते हैं, मगर आज तक दरगाह आला हजरत नहीं आए। इतनी बड़ी आबादी करीब 60 प्रतिशत सुन्नी बरेलवी मुसलमान को नजरअंदाज करना सपा के लिए घातक साबित हो सकता है। मौलाना ने साफ कहा कि बरेलवी समाज की अवहेलना किसी भी दल को चुनावी नुकसान पहुंचा सकती है।


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