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Bareilly News: दूसरे दिन भी गरजा बुलडोजर, कांपने लगे सूफी टोला से लेकर फाईक एनक्लेव तक अवैध बिल्डिंगों और कब्जेदारों के दिल

सूफीटोला में मंगलवार को जिस कार्रवाई की शुरुआत हुई थी, बुधवार को वह और भी आक्रामक रूप ले चुकी है। आजम खान के रिश्तेदार सरफराज वली खान के दोनों बारातघर एवान-ए-फरहत और गुड मैरिज हॉल पर जारी ध्वस्तीकरण ने सूफीटोला से लेकर फ़ाइक एन्क्लेव तक हर उस कब्जेदार के दिल में डर बैठा दिया है, जिसने अब तक रसूख को कानून से ऊपर समझ रखा था।

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बरेली। सूफीटोला में मंगलवार को जिस कार्रवाई की शुरुआत हुई थी, बुधवार को वह और भी आक्रामक रूप ले चुकी है। आजम खान के रिश्तेदार सरफराज वली खान के दोनों बारातघर एवान-ए-फरहत और गुड मैरिज हॉल पर जारी ध्वस्तीकरण ने सूफीटोला से लेकर फ़ाइक एन्क्लेव तक हर उस कब्जेदार के दिल में डर बैठा दिया है, जिसने अब तक रसूख को कानून से ऊपर समझ रखा था।

दूसरे दिन सुबह 11:25 बजे जैसे ही बुलडोज़र की पहली दहाड़ सुनाई दी, पूरे इलाके में फिर से अफरा-तफरी फैल गई। दिन चढ़ते-चढ़ते गलियां पुलिस बल से पाट दी गईं। पीएसी और पुलिस की टीमें चप्पे-चप्पे पर तैनात रहीं, जबकि एसपी सिटी मानुष पारीक और सीओ तृतीय पंकज श्रीवास्तव खुद मोर्चा संभाले हुए थे।

पहले दिन प्रशासन ने करीब 35 प्रतिशत हिस्सा ही ढहाया था, लेकिन बुधवार की कार्रवाई ने साफ कर दिया कि इस बार प्रशासन पीछे हटने वाला नहीं है। जो निर्माण सालों से कागज़ों में अवैध घोषित होकर भी खड़े थे, अब उनका एक-एक हिस्सा ध्वस्त किया जा रहा है। दबी फाइलें बाहर निकाली गईं, 2011 के पुराने आदेशों पर फिर से मुहर लगी और अब उन फैसलों को जमीन पर उतारा जा रहा है।

महिलाओं के रोने-चिल्लाने, परिवारों की गुहार, मीडिया के सामने बयानों और स्थानीय नेताओं के फोन कुछ भी प्रशासन के कदम नहीं रोक सका। कई परिवारों ने बताया कि वे दो दशक से अधिक समय से यहां रह रहे थे, मगर अचानक मिली नोटिस की मार झेलना मुश्किल हो रहा है। लेकिन इस बार प्रशासनिक मशीनरी पूरी तरह तैयार थी। टीम ने पहले सभी को इमारत से बाहर करवाया, सामान निकलवाया और फिर बिना समय गंवाए दूसरी जेसीबी आगे बढ़ा दी।

कार्रवाई की तीव्रता देखकर आस-पास के अवैध कब्जेदारों के बीच खलबली मची हुई है। फ़ाइक एन्क्लेव में भी कई ऐसे लोग हैं जिनके निर्माणों पर सवाल हैं, बुधवार को बुलडोज़र की गूंज वहां तक पहुंची तो कई ने फोन कर जानकारी जुटानी शुरू कर दी। इलाके में ये बातें आम हो गईं कि अब किसी को नहीं छोड़ा जाएगा, कागज़ मजबूत हैं तो ही इमारत बचेगी, और जो वर्षों से फाइलों में दबा था अब वह सबकी गर्दन पर आ रहा है।

बुधवार को होते ध्वस्तीकरण को देखकर लग रहा था कि बुलडोज़र सिर्फ़ ईंटें नहीं गिरा रहा वह उन लोगों का वहम भी तोड़ रहा है जो खुद को कानून से ऊपर समझ बैठे थे। सूफीटोला से फ़ाइक एन्क्लेव तक प्रशासन की कार्रवाई ने इतना जरूर साबित कर दिया है। अब अवैध कब्ज़े और रसूख की ढाल साथ-साथ नहीं चलने वाली।


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