
1200 से अधिक झोलाछाप डॉक्टरों की पहचान (Photo Patrika)
CG News: बेमेतरा जिले में ग्रामीण स्तर से लेकर कई हायर स्वास्थ्य संस्थानों में कमीशनखोरी का खेल जारी है। यहां गर्भवती महिलाओं को भर्ती करने से लेकर नॉर्मल, सिजेरियन प्रसव के लिए तय कमीशन लिया जा रहा है। इसमें ग्राउंड हेल्थ वर्कर, झोलाछाप डॉक्टर, संस्थानों में पदस्थ स्टाफ व एंबुलेंस संचालक शामिल है। यहां ठोस कार्रवाई के अभाव में बड़े पैमाने पर कमीशन का खेल जारी है। इस खेल में गरीब परिवार ठगे जा रहे हैं जहां उन्हें निशुल्क इलाज मिलना चाहिए, वहां प्राइवेट अस्पतालों में हजारों रुपए खर्च करना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि करीब चार साल पहले स्वास्थ्य विभाग की ओर से झोलाछाप डॉक्टरों का सर्वे कराया गया था। जिसमें बेमेतरा, नवागढ़, बेरला व साजा ब्लॉक में 1200 से अधिक झोलाछाप डॉक्टरों को चिन्हांकित किया गया था। इन सभी डॉक्टरों को नोटिस जारी कर, चिकित्सा पेशे से जुड़े वैध दस्तावेज जमा करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन चिन्हांकित झोलाछाप डॉक्टर दस्तावेज पेश करने में नाकाम रहे थे। सम्बंधित लोगों को गांव में प्रैक्टिस नही करने की हिदायत दी गई थी, बावजूद कार्रवाई के अभाव में झोलाछाप डॉक्टरों की अवैध रूप से प्रेक्टिस जारी है।
गौरतलब हो कि एमसीएच में गायनोंलॉजिस्ट के कमीशनखोरी के मामले को पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था जिसमें प्रसूता महिला के परिजनों ने डॉक्टर पर गुमराह कर प्राइवेट अस्पताल में सिजेरियन प्रसव के लिए रफर करने की बात कही और स्वयं प्राइवेट अस्पताल में जाकर प्रसव करना बताया। इस संबंध में संबंधित चिकित्सक के खिलाफ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी व सिविल सर्जन के पास पहुंची शिकायत के आधार पर गायनोलॉजिस्ट को नोटिस जारी किया गया है।
उल्लेखनीय है कि ग्राउंड हेल्थ वर्कर व प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक से मिलीभगत कर मरीज को भर्ती कराया जाता है। खासकर प्रसूता महिलाओं में यह खेल किया जाता है। सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में सुविधाओं की कमी का हवाला दिया जाता है। सूत्रों के अनुसार यहां सिजेरियन प्रसव की स्थिति में ग्राउंड हेल्थ वर्कर का 5 से 10 हजार कमीशन रहता है। वहीं नॉर्मल डिलीवरी में तय कमीशन मिलता है।
जिले में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। कार्रवाई के अभाव में झोलाछाप डॉक्टर अमरबेल की तरह शहर की तंग गलियों व ग्रामीण क्षेत्रों में फैलते जा रहे हैं, जो अवैध रूप से लोगो का इलाज कर रहे हैं। खासकर गरीब वर्ग के लोग इन झोलाछाप डॉक्टरों के चंगुल में फंसते हैं। इन झोलाछाप डॉक्टरों पर अंकुश लगाने वर्ष 2012 में हाइकोर्ट ने गाइड लाइन बनाकर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से नर्सिंग होम एक्ट बनाकर, झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई की गई थी, लेकिन यह कार्रवाई महज खानापूर्ति बनकर रह गई।
ग्राउंड हेल्थ वर्कर की कमीशन के मामले में अब तक कोई शिकायत नहीं हुई है। मामला सामने आने के बाद जांच कर कार्रवाई की जाएगी। दूसरे डॉक्टर के सर्टिफिकेट पर प्रैक्टिस कर रहे झोलाछाप पर पूर्व में भी कार्रवाई की गई थी। फिर से प्रेक्टिस करने का मामला संज्ञान में आया है। निरीक्षण कर अस्पताल को सील करने की कार्रवाई की जाएगी।
-डॉ शरद कोहरे, बीएमओ खंडसरा
झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई के लिए ब्लाक व जिला स्तर पर टीम गठित है। लगातार शिकायत भी होते रहती है बावजूद संबंधित टीमों के द्वारा अपेक्षित कार्रवाई नहीं की जा रही है। नतीजतन अवैध रूप से प्रैक्टिस कर रहे लोगों के हौसले बुलंद हैं। गौरतलब हो कि छग राज्य उपचार्यगृह और रोगोपचार संबंधी स्थापनाएं अनुज्ञापन अधिनियम 2010-2013 के तहत छ.ग. मेडिकल कॉउन्सिल आयुर्वेद तथा युनानी काउन्सिल एवं होम्योपैथी काउन्सिल में पंजीकृत चिकित्सकों को चिकित्कीय कार्य के लिए अधिकृत किया गया है, लेकिन अपात्र व्यक्तियों द्वारा भी चिकित्सकीय कार्य किये जा रहे हैं।
बताया जाता है कि जिला मुख्यालय में संचालित कई प्राइवेट अस्पताल संचालकों की झोलाछाप डॉक्टरों से सांठगांठ है, जो ग्रामीण क्षेत्रों से मरीजों को बेहतर इलाज के नाम पर इन प्राइवेट अस्पतालों में स्वयं लेकर जाते हैं। यह सारा खेल कमीशनखोरी का है, जिस पर रोक लगाने में जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग नाकाम रहा है। मल्टीस्पेशलिटी सुविधा के नाम पर मरीजों को बेमेतरा प्राइवेट अस्पताल लाया जाता है लेकिन यहां 24 घंटे डॉक्टर भी उपलब्ध नहीं रहते, ऐसी स्थिति में सुविधाओं का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
Updated on:
15 Nov 2025 11:38 am
Published on:
15 Nov 2025 11:37 am
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