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शिक्षा विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली से अटके 11 हजार से अधिक प्रमोशन

- छह माह से पदस्थापन के इंतजार में प्राचार्य - चार हजार से अधिक उप प्राचार्य बने प्राचार्य, नई स्कूलों में नहीं मिली पोस्टिंग - तबादलों की संशोधित सूची बनी विलंब का कारण, छात्रहित में जल्द काउंसलिंग जरूरी

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Over 11,000 promotions stalled due to sluggish functioning of the education department

Over 11,000 promotions stalled due to sluggish functioning of the education department

नया शिक्षा सत्र शुरू होने के बाद राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर तबादले किए थे। 5 हजार से अधिक प्राचार्यों के स्कूल बदल दिए गए, लेकिन विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली के कारण छह माह पहले पदोन्नत हुए हजारों प्राचार्य अब तक नई स्कूलों में पदस्थापन का इंतजार कर रहे हैं। पदोन्नति के बाद भी ये प्राचार्य पुराने स्कूलों में उप प्राचार्य के पद पर ही कार्यरत हैं, जबकि कागजों में इन्हें यथास्थान कार्यग्रहण करवाकर प्राचार्य पद पर पदोन्नत दिखा दिया गया है। परिणामस्वरूप, ये अधिकारी अपने नए पद का वास्तविक दायित्व नहीं निभा पा रहे हैं।

दो वर्ष की बकाया डीपीसी, लेकिन कार्यभार अधूरा

26 मई को शिक्षा विभाग ने दो वर्ष की बकाया डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) आयोजित की थी, इसमें 4,224 उप प्राचार्य पदोन्नत होकर प्राचार्य बने। लेकिन नई स्कूलों में पोस्टिंग नहीं मिलने से 300 से अधिक प्राचार्य रिटायर भी हो चुके हैं। कई स्कूलों में एक साथ चार-पांच उप प्राचार्य प्राचार्य पद पर पदोन्नत हुए, मगर किसी को भी नई स्कूल का कार्यभार नहीं मिला। इसी बीच सरकार ने अगस्त और सितंबर में दो बार तबादले कर 5 हजार प्राचार्यों के पदस्थापन स्थान बदल दिए, जिससे स्थिति और जटिल हो गई। स्थिति यह है कि कई स्कूलों में दो से अधिक प्राचार्य है तो कहीं पर एक भी नहीं है।संशोधित तबादला सूची बनी देरी का कारण

शिक्षा विभाग में अब तक संशोधित तबादला सूची जारी नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि इसके कारण पदोन्नत प्राचार्यों की नई स्कूलों में पदस्थापन प्रक्रिया अटकी हुई है। विभागीय सूत्रों के अनुसार जब तक यह संशोधित सूची जारी नहीं होगी तब तक पदोन्नत प्राचार्यों को नई जगह भेजना संभव नहीं है।

11,838 उप प्राचार्यों का भी अटका पदस्थापन

26 सितंबर की डीपीसी में व्याख्याताओं को उप प्राचार्य (वाइस प्रिंसिपल) पद पर पदोन्नत किया गया था। इनकी संख्या 11,838 है, लेकिन इन्हें भी नई जगह पोस्टिंग नहीं दी जा सकी है। सभी को केवल यथास्थान कार्यग्रहण करवाया गया है। नियमों के अनुसार जब तक पदोन्नत प्राचार्य अपने नए स्कूलों में कार्यग्रहण नहीं करेंगे, तब तक उप प्राचार्य के पद रिक्त नहीं माने जाएंगे। परिणामस्वरूप, विभाग में प्राचार्य और उप प्राचार्य दोनों स्तरों पर कार्यस्थापन अटक गया है।

छात्रहित में जल्द हो काउंसलिंग

शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि विभाग को पदोन्नति पश्चात नए स्कूलों में कार्यग्रहण की पुरानी व्यवस्था बहाल करनी चाहिए। नए नियमों के कारण न तो प्राचार्य अपने नए स्कूलों में जा पा रहे हैं, न ही उप प्राचार्यों की पदस्थापन प्रक्रिया पूरी हो रही है। शिक्षाविदों ने मांग की है कि छात्रहित को ध्यान में रखते हुए जल्द काउंसलिंग कर पदस्थापन की प्रक्रिया पूरी की जाए, ताकि स्कूलों का शैक्षणिक संचालन प्रभावित न हो।