
Textile City's air quality deteriorates, AQI rises again
टेक्सटाइल सिटी की आबो-हवा बिगड़ने लगी है। शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) ने एक बार फिर चिंता बढ़ाने लगा है। हाल ही हवा की स्थिति सामान्य से ठीक मानी जा रही थी, लेकिन 19 नवबर से अचानक एक्यूआइ खराब श्रेणी में पहुंच गया। इसके बाद लगातार कई दिनों से प्रदूषण का स्तर ऊंचा बना हुआ है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है। शहर में सड़कें खराब होने से लगातार धूल के कण हवा के साथ उड़ रहे है। यह नजारा गंगापुर तिराहे पर समेत शहर के अन्य क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। इसके अलावा अन्य क्षेत्र में निर्माण कार्य और परिवहन ज्यादा है, वहां सड़कों पर पर्याप्त मात्रा में पानी छिडक़ाव नहीं किए जाने से धूल के गुबार उड़ रहे हैं। सुबह और शाम के समय यह धूल-धुआं हवा में ज्यादा फैलने लगा है। इससे लोगों को आंखों में जलन, खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं।
महात्मा गांधी अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण बढ़नेे से अस्थमा और श्वसन संबंधी रोगियों की परेशानी दो से तीन गुना तक बढ़ गई है। अस्पतालों में भी खांसी, जुकाम और सांस फूलने की शिकायत लेकर पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। डॉक्टर ऐसे मौसम में सुबह के समय बाहर निकलने से बचने, मास्क पहनने और ज्यादा धूल वाले क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दे रहे हैं। लगातार बढ़ते प्रदूषण का असर टेक्सटाइल सिटी की हवा पर भी दिखाई दे रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार हवा की गुणवत्ता में सुधार तब ही संभव है, जब शहर में पानी का छिडक़ाव हो, निर्माण स्थलों की धूल को नियंत्रित किया जाए और अनावश्यक वाहन संचालन पर रोक लगाई जाए।
सेहत पर पड़ने लगा असर
प्रदूषण का बढ़ता स्तर सेहत के लिए हानिकारक है। खास तौर से यह फेंफड़ों को प्रभावित करता है। धूम्रपान और प्रदूषण दोनों ही फेंफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके चलते सांस की नली में स्थाई सिकुड़न हो जाती है। प्रदूषण से बचते हुए धूम्रपान को बंद करके प्राणायाम वगैरह किया जाए तो फेंफड़ों की क्षमता में वृद्धि हो सकती है। प्रदूषण के कारण अस्थमा के रोगी तेजी से बढ़े हैं।
दिनांक एक्यूआइ स्तर
एक्यूआइ के मानक
Published on:
26 Nov 2025 09:31 am
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