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Cough Syrup Death: भरोसे की दवा से दिल में सुराख, क्या डॉक्टर्स को याद रहेगी पेरेंट्स के मन की ये टीस?

Cough Syrup Death MP: जब छिंदवाड़ा में स्थानीय प्रशासन ने पांच दिन पहले ही बैन कर दिया था जहरीला सिरप... अब एक के बाद एक 17 मासूमों की मौत... वो भी दवा से... पूरा का पूरा विभाग 42 दिन तक कैसे रह गया चुप?

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Cough Syrup Death Opinion

Cough Syrup Death Opinion

Cough Syrup Death MP: दवा की जांच की बात को ढाल बनाकर एक पूरा विभाग छिपता नजर आया। जब छिंदवाड़ा में स्थानीय प्रशासन ने पांच दिन पहले ही जहरीले सिरप के खिलाफ बैन लगा दिया था तो उस कलेक्टर को गलत ठहराने के बजाय कम से कम एक बार तो उनके दावे की पड़ताल कर लेते। किरकिरी तो तब और ज्यादा हो गई जब तमिलनाडु ने मध्यप्रदेश से पहले फैसला लेकर सिरप के इस्तेमाल पर रोक लगा दी।

एक के बाद एक 17 मौतें

एक के बाद एक लगातार 17 मौतें (Cough Syrup Death in MP)। मौत भी मामूली सी खांसी जुकाम के इलाज कराने के एवज में। क्योंकि आम आदमी के स्वास्थ्य के इर्द-गिर्द लालच का एक पूरा ताना-बाना बुना गया है। इस लालच की भेंट चढ़ रही हैं दवाइयां। ऐसी दवाइयां जिन पर आमजन मामूली बीमारियों में भरोसा कर लेता है।

भरोसे की दवा से दिल में सुराख

ऐसी दवाइयां जिन्हें मेडिकल स्टोर पर बिना पर्ची भी दे दिया जाता है। फिर यहां तो एक डॉक्टर पर्चियां लिख रहा था। पता चला है कि उसकी पत्नी का ही मेडिकल स्टोर था। यहीं से उनमें से कुछ परिवारों ने पूरे भरोसे से दवा ली। यही दवा उनके दिल में सुराख कर गई। इस दवा कंपनी और इस मेडिकल स्टोर के बीच क्या लेन-देन हुआ? जब इसकी परतें खुलेंगी तब लालच के ताने-बाने की हकीकत हमें स्पष्ट नजर आएगी।

लालच की परतें उधेड़ने का काम विभाग का

ध्यान रखिएगा इस लालच की परतें उधेड़ने का काम एक विभाग का है। बाजार में आने वाली दवा की जांच का जिम्मा भी उस विभाग का है। इलाज की व्यवस्थाएं करने का जिम्मा भी। क्या हुआ! हम सभी देख रहे हैं। लापरवाही की एक पूरी नदी बह रही है। लालच की कश्तियों पर सवार कथित निष्ठुर लोग अपना घर भर रहे हैं और मासूम मर रहे हैं। सिरप बैन हुआ। सूबे के मुख्यमंत्री ने खुद कमान संभाली और एक्शन लेकर कुछ चेहरों को सजा दी। पर इस विभाग को जिम्मेदारी का बोध कौन कराएगा?

विभाग में ऐसे भी हजारों जो बेहतरी के लिए काम कर रहे

माना कि इस विभाग में ऐसे भी हजारों हैं जो बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं। पर जब शीर्ष पर बैठे लोग जिम्मेदारी न निभा सकें तब तोहमत पूरे विभाग पर ही आएगी। काश! इस विभाग के आकाओं के लिए भी कोई ऐसा 'डॉक्टर' नियुक्त हो जो सभी को रोज उनके कर्तव्य का बोध करा सकें। रोज उनसे कह सके कि- 'आप भी लीजिए जिम्मेदारी का सिरप। दो चम्मच सुबह और दो चम्मच शाम।' काश! सूबे का वो 'डॉक्टर' अब इन्हें याद दिलाता रहे…।

-pankaj.shrivastava@in.patrika.com