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किसानों के लिए बड़ी खबर, समर्थन मूल्य पर उपार्जन नीति लागू, लापरवाही पर सख्त कार्रवाई

MP news: मध्य प्रदेश सरकार ने जारी की उपार्जन नीति, केंद्र सरकार की ओर से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर 1 दिसंबर से शुरू होगी धान की खरीदी, जानें कब खरीदी जाएगी ज्वार-बाजरा की फसल...

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MP News MP Farmers Dhan Khareedi

MP News MP Farmers Dhan Khareedi(फोटो: सोशल मीडिया Modify By patrika.com)

MP News: मध्यप्रदेश सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के लिए धान, ज्वार और बाजरा की उपार्जन नीति जारी कर दी है। केंद्र सरकार की ओर से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर किसानों से औसत अच्छी गुणवत्ता की उपज खरीदी जाएगी। धान की खरीदी एक दिसंबर से शुरू होगी और 20 जनवरी 2026 तक की जाएगी। जबकि ज्वार और बाजरा की खरीदी 24 नवंबर से 24 दिसंबर तक की जाएगी। बता दें ज्वार-बाजरा की खरीदी सप्ताह में 5 दिन की जाएगी, इसका समय सोमवार से शुक्रवार तक रहेगा। उपार्जन नीति को लेकर सख्त सीएम ने कहा, लापरवाही पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा।

कलेक्टर और एजेंसियों को सख्त निर्देश

मध्यप्रदेश सरकार ने सभी कलेक्टर, नागरिक आपूर्ति निगम और वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन के अधिकारियों को उपार्जन नीति का सख्ती से पालन कराने निर्देश भी दिए हैं। सरकार का कहना है कि किसानों को अधिकतम लाभ देना ही सरकार का प्राथमिक उद्देश्य है। किसी भी स्तर पर लापरवाही पाई गई, तो उपार्जन कार्य से जुड़े अधिकारी और कर्मचारियों पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।

यहां जानें क्या है फसलों का समर्थन मूल्य

सामान्य धान का समर्थन मूल्य 2369 रुपए प्रति क्विंटल और धान ग्रेड ए का 2389 रुपए तय किया गया है। ज्वार मालदण्डी का एमएसपी 3749 रुपए, ज्वार हाइब्रिड का 3699 रुपए और बाजरा का 2775 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। धान उपार्जन में 46 प्रतिशत पुराने और 54 प्रतिशत नए जूट बारदानों (बोरा) का उपयोग किया जाएगा, जबकि ज्वार और बाजरा पूरे नए जूट बारदानों में ही खरीदा जाएगा।

किसानों को करनी होगी स्लॉट बुकिंग

किसान पंजीयन में दर्ज फसल के रकबे और तहसीलवार उत्पादकता के आधार पर ही बेचने योग्य अधिकतम मात्रा तय की जाएगी। इसके लिए किसानों को उपार्जन केंद्र चुनने और तारीख तय करने के लिए स्लॉट बुकिंग करानी होगी। उपार्जित अनाज को उपार्जन केंद्र से गोदाम तक ले जाने की जिम्मेदारी उपार्जन एजेंसी की होगी, जबकि धान को गोदाम या केंद्र से सीधे मिलर्स तक पहुंचाने का काम मिलर्स खुद करेंगे।