
MP News what is Popcorn Brain Syndrome symptoms and prevention tips(फोटो: सोशल मीडिया, Modify by patrika.com)
MP news: मोबाइल पर सोशल मीडिया के अत्यधिक स्क्रॉलिंग, तेजी से एप्स बदलने और ज्यादा स्क्रीन टाइम के कारण युवाओं में ’पॉपकॉर्न ब्रेन सिंड्रोम’ का खतरा बढ़ रहा है। जेपी अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार यह ऐसी मानसिक स्थिति है इसमें दिमाग लगातार विचारों से भरा रहता है, इससे एकाग्रता कम हो जाती है। जेपी में ऐसे मरीजों की संया में हाल के महीनों में वृद्धि दर्ज की गई है।
जेपी अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. राहुल शर्मा ने बताया कि मोबाइल पर लगातार बदलती जानकारी और तेज रतार कंटेंट से दिमाग एक जगह टिक नहीं पाता और विचार पॉपकॉर्न की तरह फूटने लगते हैं, इससे मानसिक थकान, एकाग्रता की कमी होती है। इसे ही पॉपकॉर्न ब्रेन सिंड्रोम कहते हैं। स्थिति गंभीर होने पर व्यक्ति ब्रेन फॉग का शिकार हो सकता है।
कोलार का 31 वर्षीय युवक बेचैनी और विचारों के स्थिर न होने की परेशानी लेकर अस्पताल पहुंचा। काउंसिलिंग में पता चला कि वह रोजाना 5 से 6 घंटे मोबाइल देखता है, और उसके फोन में एक ही विषय से संबंधित 5 से 7 अलग-अलग एप्लीकेशन इंस्टाल थे।
बरखेड़ा निवासी 33 वर्षीय युवक को नींद न आने, दिमाग में एक साथ कई विचार आने और घबराहट की शिकायत थी। शुरुआती काउंसिलिंग में उनमें भी पॉपकॉर्न ब्रेन सिंड्रोम की परेशानी सामने आई है।
डॉ. राहुल ने बताया कि यह परेशानी युवाओं के साथ-साथ 45 वर्ष के आयु वर्ग में भी तेजी से बढ़ रही है। यह वह आयु वर्ग है जो अपने काम और सोशल मीडिया दोनों के लिए मोबाइल पर अत्यधिक निर्भर है। लगातार आने वाले नोटिफिकेशन और बदलते कंटेंट सेमानसिक थकान बढ़ती है।
एमपी (MP news) के चिकित्सकों के अनुसार यह समस्या जीवनशैली और डिजिटल आदतों की देन है। इससे बचने के लिए मोबाइल उपयोग को सीमित करना और दिमाग को आराम देने के लिए योग को अपनाना जरूरी है। यदि व्यक्ति को भूलने की समस्या हो, तो मनोचिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। साथ ही बच्चों को जागरुक करने और पैरेंट्स उनके साथ समय व्यतीत करें।
Published on:
21 Nov 2025 09:27 am
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