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जहरीले कफ सिरप पर बड़ा खुलासा, केंद्र सरकार ने पहली बार सुना कंपनी का नाम, अधिकारी सन्न

Cough Syrup Case Big Update: मध्य प्रदेश राजस्थान में मासूमों की जान लेने वाली कोल्ड्रिफ कंपनी श्रीसन फार्मा का एक दशक से बना रही और धड़ल्ले से देशभर में बेच रही थी दवाएं, केंद्र सरकार को पहली बार पता चला कंपनी का नाम, जानें कैसे हुआ खुलासा....

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Cough Syrup Case

Cough Syrup Case Shocking Update(फोटो सोशल मीडया)

Cough Syrup Case schoking Update: मध्य प्रदेश में जिस जहरीले कफ सिरफ को पीने से 21 मासूम बच्चों की मौत हो गई, उसे बनाने वाली कंपनी का नाम केंद्र सरकार ने कभी सुना ही नहीं था। कई महिलाओं की गोद सूनी करने वाले इस मामले में हुए इस बड़े खुलासे ने हर किसी को चौंका दिया है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि दवा (Coldrif) कंपनी को सील करने की कार्रवाई होने के बाद पहली बार केंद्र सरकार को इस कंपनी का नाम पता चला है। यही नहीं कंपनी से बेखबर केंद्र सरकार को पहली बार ही यह भी पता चला कि किस तरह कोल्ड्रिफ का निर्माण करने वाली कंपनी ने ये दवा देशभर के अलग-अलग हिस्सों में भेजी जा रही थी। प्लांट सील होने के बाद जब बंद फाइल केंद्रीय अफसरों तक पहुंची, तो उसे खोलते ही अधिकारी सन्न रह गए।

ऐसे हुआ खुलासा

नई दिल्ली स्थित एफडीए भवन में जब कंपनी के दस्तावेज खंगाले गए, तब अधिकारियों को कोल्ड्रिफ सिरप और श्रीसन फार्मा (Srison pharma)नाम का कोई रिकॉर्ड ही नहीं मिला। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कंपनी के मालिक ने किसकी शह पर इतना खौफनाक कारोबार किया? जबकि तमिलनाडु की ये दवा कंपनी कई वर्षों से कफ सिरफ सहित कई दवाओं का निर्माण करके देश के अलग-अलग हिस्सों में भेज रही है। डॉक्टर की सलाह या कहें सीधे दुकान पर जाकर इन दवाओं को खरीद कर इस्तेमाल किया जा रहा था। फिर भी केंद्र सरकार की नजरों से सबकुछ कैसे छिपा रह गया?

एक दशक से दवा बना रही थी कंपनी और केंद्र को पता नहीं!

हैरानी इस बात की है कि ये दवा कंपनी पिछले एक दशक से दवाएं बना रही थी। उन्हें और बेच रही थी, पांडिचेरी, ओडिशा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों को बेच रही थी। तब ऐसा कैसे हो सकता है कि केंद्र को इसकी जानकारी ही न हो? इस सवाल पर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की तरफ से कहा गया है कि कंपनी को लइसेंस तमिलनाडु ने दिया और पांच साल बाद रिन्यू भी कर दिया लेकिन, इसकी जानकारी सीडीएससीओ को कभी दी ही नहीं।

राज्य सरकार ने कभी नहीं दी कंपनी की जानकारी

सीडीएससीओ से जुड़े एक आधिकारिक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर जानकारी दी है कहा, 2011 में तमिलनाडु सरकार ने कंपनी को लाइसेंस दिया और 2016 में उसका नवीनीकरण भी किया गया। लेकिन राज्य ने कभी भी केंद्र सरकार को दवा कंपनी के बारे में किसी तरह की कोई जानकारी ही नहीं भेजी, यही कारण रहा कि ये मामला कभी सिस्टम से बाहर ही नहीं निकला।

रिकॉर्ड में क्यों नहीं मिला कंपनी का नाम?

अधिकारी ने बताया कि 2017 से पहले लाइसेंसिंग की पूरी जिम्मेदारी राज्यों स्वयं की थी। लेकिन 2017 में नियम बदला और अब केंद्र और राज्य को मिलकर कंपनी का निरीक्षण करना होता है। इसके बाद ही लाइसेंस दिया जाता है। हालांकि 2017 से पहले जिन कंपनियों का लाइसेंस मिल चुका है, वो इस नियम के दायरे में नहीं आती हैं। यही वजह है कि तमिलनाडु की यह कंपनी श्रीसन फार्मा किसी की निगरानी में आई ही नहीं पाई।

ऐसे समझें कंपनी के नाम के खुलासे का पूरा घटनाक्रम

जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश में जब बच्चों की मौत का मामला सामने आया तो, केंद्र और राज्य की टीमों ने छिंदवाड़ा जाकर अलग-अलग दवाओं के 19 सैंपल लिए। इसमें से छह सैंपल की जांच केंद्रीय टीम ने की और बाकी 13 सैंपल की जांच मध्य प्रदेश के औषधि नियंत्रण विभाग (MP FDA) को सौंपी गई।

सैंपल में नहीं मिले जहरीले पदार्थ

यह प्रक्रिया 29 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चली। तब तक कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) का पता नहीं चल पाया। केंद्रीय टीम के छह और एमपी एफडीए के तीन सैंपल की जांच में किसी भी सैंपल में जहरीले पदार्थ की पुष्टि नहीं हुई। इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने तमिलनाडु सरकार को पत्र लिखकर कोल्ड्रिफ और श्रीसन फार्मा की जांच करने का निवेदन किया।

फैक्ट्री सील की गई

3 अक्टूबर की रात तमिलनाडु सरकार ने अपनी जांच रिपोर्ट में खुलासा किया कि कंपनी के कफ सिरप में जानलेवा रसायन डायथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा 48% पाई गई है। यही तय सीमा 0.1% से काफी ज्यादा है। इसीलिए फैक्टरी को सील कर दिया गया है। जब इसकी जानकारी केंद्र में अफसरों के पास पहुंची तो उनके उस वक्त होश उड़ गए, जब कंपनी के दस्तावेज या कोई भी रिकॉर्ड उन्हें नहीं मिला।

सीडीएससीओ के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि 'हमारे पास तब तक कंपनी और दवा का कोई रिकॉर्ड नहीं था। ऐसे में संभव है कि दूसरे राज्यों को भी इसकी सूचना नहीं हो, इसलिए जब अलर्ट जारी किया गया तो, अन्य राज्यों ने भी इस दवा पर बैन लगाना शुरू किया।

एमपी पुलिस की हिरासत में कंपनी का मालिक रंगनाथन, कोर्ट में पेशी थोड़ी देर में

बता दें कि कंपनी का मालिक रंगनाथन एमपी पुलिस की हिरासत में है। वह छिंदवाड़ा जिले के परासिया थाने में है। जहां उसकी तबियत खराब हो गई। बताया जा रहा है कि मेडिकल जांच में उसका बीपी बढ़ा हुआ आया है। एमपी पुलिस उसे दोपहर 3 बजे कोर्ट में पेश कर 5 दिन की रिमांड पर ले सकती है। 21 मासूमों के हत्यारे रंगनाथन पर लोगों का गुस्सा साफ भी नजर आ रहा है। यहां कोर्ट में पेशी से पहले ही अधिवक्ता संघ ने घोषणा कर दी है कि वे हत्यारे रंगनाथन का केस नहीं लड़ेंगे।

#CoughSyrupCaseमें अब तक