
डॉक्टर रोहिणी की याचिका खारिज। फोटो सोर्स-@DrRohinighavari (X)
Dr. Rohini Ghavari MP Chandrashekhar Case Update: नगीना से सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर को शनिवार को कोर्ट से बड़ी राहत मिली। दिल्ली की एक कोर्ट ने महिला डॉक्टर रोहिणी घावरी की याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका में दिल्ली पुलिस को नेता (चंद्रशेखर) के खिलाफ कथित यौन शोषण के आरोप में मामला दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
डॉक्टर रोहिणी घावरी की अर्जी को एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल ने खारिज कर दिया। इसमें उन्होंने दिल्ली के IGI एयरपोर्ट थाने के SHO को FIR दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता ने BNSS की धारा 173(4) का पालन नहीं किया, जो अनिवार्य है। इसी वजह से यह अर्जी स्वीकार योग्य नहीं है और अर्जी को खारिज किया जाता है।
स्विट्जरलैंड की डॉक्टर घावरी ने सांसद चंद्रशेखर पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। जिसमें शादी का झूठा वादा करके बार-बार यौन उत्पीड़न, धमकी देना, छिपकर तस्वीरें लेना, पीछा करना, धोखा देना, तकनीक का गलत इस्तेमाल और जान-इज्जत को खतरा शामिल है।
डॉक्टर घावरी का कहना है कि अक्टूबर 2021 में भारत आने पर आरोपी चंद्रशेखर उन्हें दिल्ली के एक होटल ले गया। वहां उनकी मर्जी और सहमति के खिलाफ बलात्कार किया। साथ ही शादी का झूठा वादा करके कई घंटों तक होटल में बंद रखा। रोहिणी ने आरोप लगाया कि उसने नई दिल्ली के IGI एयरपोर्ट पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की और उसकी शिकायत पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में ट्रांसफर कर दी।
डॉक्टर घवारी ने कोर्ट को बताया कि पुलिस अधिकारियों की ओर से कार्रवाई ना करना उनकी ड्यूटी में लापरवाही के बराबर है। मामले में कोर्ट ने रोहिणी की अपील को खारिज करते हुए कहा कि सेक्शन 175(3) BNSS के तहत एप्लीकेशन और उसके साथ लगे एफिडेविट को देखने से पता चलता है कि शिकायतकर्ता ने कहीं भी यह नहीं कहा है कि संबंधित SHO के कार्रवाई ना करने के बाद वह अपनी शिकायत लेकर DCP के पास गई थी।
ACJAM नेहा मित्तल ने कहा कि धारा 175(3) BNSS के तहत आवेदन दाखिल करने के लिए यह जरूरी है कि शिकायतकर्ता शपथ पर ना सिर्फ मामले के तथ्य बताए, बल्कि यह भी स्पष्ट करे कि उसने पुलिस से धारा 154(1) और 154(3) CRPC (या BNSS की धारा 173(4)) के तहत संपर्क किया था। कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता को शपथ पर मामले के तथ्य बताने के साथ-साथ यह भी बताना होगा कि उसने पुलिस अधिकारियों से धारा 154(1), 154(3) CRPC या 173(4) BNSS के तहत मदद मांगी थी। कोर्ट ने आगे कहा कि इस आवेदन में धारा 154(3) CRPC या 173(4) BNSS का पालन करने का कोई जिक्र नहीं है।
Published on:
02 Nov 2025 10:49 am
बड़ी खबरें
View Allबिजनोर
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
