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SIR in Rajasthan: बीएलओ को एक दिन में 100-150 फार्म भरने की जिम्मेदारी, काम पूरा नहीं होने पर मिल रही निलंबन की धमकी

SIR in Rajasthan: जयपुर में बीएलओ की आत्महत्या के बाद प्रदेशभर के कई बीएलओ सामने आए हैं। कइयों ने अपनी पीड़ा बताई है। कई बीएलओ का कहना है कि अधिकारी उनके ऊपर अधिक दबाव बना रहे हैं, जिससे SIR में लगे बूथ लेवल अधिकारी मानसिक रूप से परेशान हो गए हैं।

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SIR in Rajasthan

फाइल फोटो-पत्रिका

बीकानेर। राज्य में चल रहे मतदाता विशेष पुनरीक्षण कार्य (SIR) ने बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) की नींद उड़ा दी है। उपखंड अधिकारी इन्हें एक दिन में 100-150 फार्म ऑनलाइन करने के निर्देश दे रहे हैं, जिससे बीएलओ का कार्य कर रहे शिक्षक व अन्य कर्मचारी मानसिक दबाव में आ गए हैं। यही नहीं एक दिन का लक्ष्य पूरा नहीं करने पर अधिकारी निलंबित करने की धमकी दे रहे हैं।

परेशान हुए बीएलओ ने बताया कि एक दिन में इतने फार्म भरना संभव नहीं है, क्योंकि कई बार लोग घर पर नहीं मिलते तो कई लोगों को फार्म भरना ही नहीं आता। वहीं किसी के पास लेटेस्ट फोटो नहीं होती। कईयों के पास 2002 की वोटर आईडी ही नहीं है, ऐसे में अधिकारियों के दिए गए निर्देशों का पालन करना संभव नहीं हो पा रहा है।

इन वजहों से लग रहा अधिक समय

बीएलओ को उनके 2002 की सूची में नाम ढूंढने पड़ते हैं जिसमें भी समय लगता है, जो अनपढ़ हैं उनके फार्म भी बीएलओ को ही भरने पड़ते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाताओं के पास लेटेस्ट फोटो नहीं मिलते, जिसमें भी समय लगता है। एक दिन फार्म देने के बाद ग्रामीणों को दो-तीन दिन तो फोटो खिंचवाने में लग जाते हैं।

इस तरह से चल रहा SIR का काम

एक ग्रामीण क्षेत्र के दुखी बीएलओ ने बताया कि पहले तो वे फार्म देकर आते हैं और मतदाताओं को उसे अपनी जानकारी के अनुसार फार्म भरकर तैयार रखने को कहकर आते हैं। दूसरे दिन जाते हैं तो वे बताते हैं उनके पास 2002 के ईपिक नंबर नहीं हैं और न ही लेटेस्ट फोटो है। बीएलओ को ही उनके 2002 की जानकारी ढूंढनी पड़ती है। उनका कहना है कि इस तरह एक घर के लोगों की पूरी जानकारी भरने में ही आधे से 1 घंटा लग जाता है। ऐसे में एक दिन में 20-25 से ज्यादा फार्म नहीं भरे जा सकते।

निलंबन की धमकी से बीएलओ में रोष

इसके अलावा अधिकारियों के थोड़ी-थोड़ी देर में दिए जाने वाले निर्देशों को सुनने में भी समय लगता है। फिर इन भरे हुए फार्म को ऑनलाइन करना पड़ता है। ऐसे में एक दिन में 100-150 फार्म भरवाना, उनकी जांच कर ऑनलाइन करना संभव नहीं हो पा रहा। कार्य के बोझ और निलंबन की धमकियों से कर्मचारियों में रोष व्याप्त हो रहा है। जिन मतदाताओं की मैपिंग नहीं होती, उनके गणना प्रपत्र ऑनलाइन भी नहीं हो पाते, जिससे ऐसे मतदाताओं की मैपिंग में भी समय लगता है।

जिस घर में नई बहू, वहां अधिक परेशानी

एक बीएलओ ने बताया कि जैसे किसी घर में बहू आ गई है तो उसकी मैपिंग के लिए उसके पिता के ईपिक नंबर से मैपिंग करनी पड़ती है। जब तक वो नहीं होती उनका प्रपत्र ऑनलाइन नहीं हो सकता। इसलिए उस पूरे परिवार का गणना प्रपत्र तबतक ऑनलाइन नहीं किया जा सकता जब तक कि उस सदस्य का मैपिंग नहीं हो जाता। इसलिए भी अन्य सदस्यों का मैपिंग होने के बावजूद भी उस परिवार का ऑनलाइन नहीं होने से प्रगति दिखाई नहीं देती।

शिक्षक संगठनों ने उठाई मांग

शिक्षक संगठनों तथा कर्मचारी संगठनों ने बीएलओ तथा सुपरवाइजरों पर इस तरह के दबाव को कम करने, निश्चिंत होकर कार्य करने का मौका देने की मांग की है। दरअसल, मौजूदा समय में भारी संख्या में अध्यापक SIR के काम में लगे हैं।

जिला प्रशासन की सफाई

दूसरी तरफ जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, अब गणना प्रपत्र पर फोटो की अनिवार्यता हटा दी गई है। एसआईआर के कार्य को शुरू हुए करीब 15 दिन हो रहे हैं फिर भी जिन बीएलओ ने 30 फीसदी काम भी पूरा नहीं किया है, उन्हें शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। निर्धारित समय में चुनाव कार्य संपादित करना होता है लेकिन जो बीएलओ ऐसा नहीं कर रहे हैं उनके खिलाफ ही कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। जिनके कार्य निर्धारित मानदंडों के अनुसार कम हो रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहित भी किया जा रहा है।