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कुलिशजी से प्रेरणा लें, युवा भी तय करें जीवन का लक्ष्य: पुरोहित

प्राचार्य प्रो. राजेंद्र पुरोहित ने कहा कि वे बचपन से राजस्थान पत्रिका पढ़ते आए हैं और पत्रिका ने डूंगर कॉलेज में कई सामाजिक गतिविधियां आयोजित कराई हैं, जो कुलिशजी के आदर्शों का परिचायक हैं।

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श्रद्धेय कर्पूर चन्द्र कुलिशजी के जन्म शताब्दी वर्ष पर व्यायानमाला के दौरान विचार व्यक्त करते मुख्य अतिथि एवं सभागार में मौजूद लोग।

श्रद्धेय कर्पूर चन्द्र कुलिशजी के जन्म शताब्दी वर्ष पर व्यायानमाला के दौरान विचार व्यक्त करते मुख्य अतिथि एवं सभागार में मौजूद लोग।

राजस्थान पत्रिका के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूर चन्द्र कुलिशजी के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर शनिवार को बीजेएस रामपुरिया जैन लॉ कॉलेज में उनकी जीवनी और व्यक्तित्व पर व्यायानमाला आयोजित हुई। कार्यक्रम में वक्ताओं ने कुलिशजी के व्यापक योगदान और पत्रकारिता के साथ-साथ समाज के प्रति उनके समर्पण को याद किया।

पत्रिका को जीया है, कुलिशजी समाज के लिए आदर्श थे: प्रो. पुरोहित
मुख्य अतिथि एवं डूंगर कॉलेज के प्राचार्य प्रो. राजेंद्र पुरोहित ने कहा कि वे बचपन से राजस्थान पत्रिका पढ़ते आए हैं और पत्रिका ने डूंगर कॉलेज में कई सामाजिक गतिविधियां आयोजित कराई हैं, जो कुलिशजी के आदर्शों का परिचायक हैं। उन्होंने कहा, कुलिशजी से प्रेरणा लेते हुए युवाओं को भी जीवन का स्पष्ट लक्ष्य तय करना चाहिए। कक्षाओं में विद्यार्थियों की संया कम होना चिंताजनक है, युवा पढ़ाई को प्राथमिकता दें। किताबों से नजदीकी बढ़ाएं। प्रो. पुरोहित ने बताया कि उन्होंने राजस्थान से लेकर गुजरात तक घर-घर लोगों को पत्रिका पढ़ते हुए देखा है। कुलिशजी के संस्कार की वजह से ही आज भी पत्रिका में जो लेख-रिपोर्ट छपती हैं वो समाज के लिए प्रेरणादायी होते हैं।

पत्रकारिता में कुलिशजी की परंपरा ने रास्ता दिखाया: डॉ. बिट्ठल बिस्सा

महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के अतिरिक्त कुलसचिव डॉ. बिट्ठल बिस्सा ने कहा कि आज एआई का दौर है, लेकिन उस समय की कल्पना कीजिए, जब पत्रिका का नाम भी हाथ से लिखा जाता था। कुलिशजी का व्यक्तित्व केवल पत्रकारिता तक सीमित नहीं था, बल्कि वे समाज के व्यापक हित के प्रतीक थे।

30 वर्ष की आयु में सपना देखना अहम: मनोज बजाज

सिंथेसिस इंस्टीट्यूट के प्रबंध निदेशक मनोज कुमार बजाज ने कहा कि 1956 में कुलिशजी ने मात्र 30 वर्ष की आयु में राजस्थान का सबसे बड़ा अख़बार बनाने का संकल्प किया था। पत्रकारिता के अलावा साहित्य और समाज में भी उनका योगदान अमूल्य है। इस उम्र में ही इतना बड़ा लक्ष्य तय करना और फिर उसे जीवनकाल में ही हासिल कर लेना अविस्मरणीय और अतुलनीय है।

पत्रिका आज विश्वसनीयता का प्रमाण: प्राचार्य अनंत जोशी

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य अनंत जोशी ने कहा कि कुलिशजी का योगदान साहित्य, दर्शन और पत्रकारिता हर क्षेत्र में रहा है। उन्होंने कहा था…पाठक और जनता मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं। आज भी पत्रिका उस विश्वास पर खरी उतरती है।करियर काउंसलर डॉ. चंद्रशेखर श्रीमाली ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि पत्रकारिता का इतिहास कुलिशजी के बिना अधूरा है। सुबह की शुरुआत आज भी पत्रिका से ही होती है। यह हम सबकी आदत में शुमार है।

ये रहे उपस्थित
कार्यक्रम में राजस्थान पत्रिका बीकानेर के संपादकीय प्रभारी बृजेश सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ. बीएम व्यास, डॉ. शराफत अली, डॉ. प्रीति कोचर, सुनीता लूनिया, डॉ. पीयूष किराडू, अंजुमन उस्ता, राकेश रंगा, राज्यश्री सुथार, चेतना ओझा, एडवोकेट पवन सारस्वत सहित अन्य उपस्थित रहे।