Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

‘बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना…’ धर्मेंद्र के वो डायलॉग्स जो बन गए हैं मिसाल

Dharmendra Famous Dialogues: धर्मेंद्र, हिंदी सिनेमा के वो 'ही-मैन' हैं जिनके डायलॉग्स आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं और मिसाल बन चुके हैं, जो काफी मजेदार है...

2 min read
Google source verification
'बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना...' धर्मेंद्र के वो डायलॉग्स जो बन गए हैं मिसाल

फिल्म- शोले (सोर्स: X @Srishtivishwak4)

Dharmendra Famous Dialogues: फिल्मी दुनिया के 'ही-मैन' धर्मेंद्र की आवाज और अंदाज का जादू आज भी बेमिसाल और अनूठा है, जो उनके लेजेंडरी डायलॉग्स में साफ दिखता है। बता दें, फिल्म 'शोले' के डायलॉग "बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना" से लेकर 'धर्म वीर' के दमदार एक्शन तक, उनके हर एक एंगल ने फैंस के दिलों में अपनी खास जगह बनाई है।

ये डायलॉग्स सिर्फ फिल्मों का हिस्सा ही नहीं है बल्कि धर्मेंद्र की शख्सियत और उनकी मेहनत का प्रतीक भी बन चुके हैं। उनकी फिल्मों के कई फेमस डायलॉग्स तो ऐसे हैं, जिसका यूज बच्चों आज भी नॉर्मल बातचीत में करते हैं और फैंस उन्हें अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करते हैं, जो इस बात का सबूत है कि धर्मेंद्र का जलवा आज भी कायम है।

फिल्मों के कुछ फेमस डायलॉग्स

दरअसल, धर्मेंद्र का 89 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने घर पर ही अंतिम सांस ली है। उनके अलविदा कहने से पहले ही उनकी आखिरी फिल्म 'इक्कीस' का पोस्टर रिलीज हुआ था। जिसमें उनकी आवाज सुनाई दी। ये फिल्म अगले महीने यानी 25 दिसंबर को रिलीज होने वाली है। साथ ही, पोस्टर में फैंस अपने फेवरेट एक्टर की आवाज सुनने के बाद जितने खुश हो रहे थे वो सभी खुशियां मातम में बदल गईं। इस बीच, आज हम आपको उनके फेमस डायलॉग्स के बारें में बताने वाले हैं, जो उनके मौत के झूठें अफवाहों के बीच वायरल होने शूरू हो गए थे। उनके फिल्मों के कुछ फेमस डायलॉग्स है, जिसे उनके फैंस आज भी रोजमर्रा की जिंदगी में यूज करते हैं।

देखें...

शोले (1975)

वेन आई डेड, पुलिस कमिंग… पुलिस कमिंग, बुढ़िया गोइंग जेल… इन जेल बुढ़िया चक्की पीसिंग, एंड पीसिंग, एंड पीसिंग, एंड पीसिंग, एंड पीसिंग,

जो डर गया, समझो मर गया

'बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना'

ये हाथ नहीं… फाँसी का फंदा है

आजाद (1978)

प्यार किया है, छुपाया नहीं… दुनिया से क्या डरना

धरम वीर (1977)

हम वो बाज हैं जो अपने पैरों पर खड़े रहते हैं

मर्द का खून और औरत के आसूं जब तक न बहे… उनकी कीमत नहीं लगायी जा सकती

खुद्दार (1982)

अगर मैं सच्चाई के साथ हूँ, तो दुनिया की कोई ताक़त मुझे हरा नहीं सकती

धरम-शत्रु (1988)

हम भी किसी से कम नहीं… जोश हमारा देखना है तो पास आकर देखो

फूल और पत्थर (1966)

ये दुनिया बहुत बुरी है शांति, जो कुछ देती है बुरा बनने के बाद देती है

चुपके- चुपके (1975)

किसी भी भाषा का मजाक उड़ाना घटियापन है और मैं वहीं कर रहा हूं

अनुपमा (1966) 

उमा जी शायद अपने खुद को कभी हसंते हुए नहीं देखा। कभी छुपके से सामने आकर देखो और देखो ये हंसी कितनी खूबसूरत है

जवानी दीवानी (1972)

जब शराब उतरती है ना… तो हम खुद से भी डरते हैं