
Gold Silver (फाइल फोटो)
Gold Price: हर चमकती चीज सोना नहीं होती लेकिन चमकती हुई जो यह चीज जो सोना है, वह इस समय आपको लखपति से करोड़पति बनाए दे रही है! दुनिया भर में सोने के दामों ने जो गति पकड़ी है, वह फिलहाल तो थमने का नाम लेती नहीं दिख रही। पिछले साल इसी माह अक्टूबर में 24 कैरेट प्रति 10 ग्राम सोने का न्यूनतम भाव 76,790 रुपये और अधिकतम भाव 81,480 रुपये तक गया। जबकि इस साल अक्टूबर में बंपर दौड़ के साथ गोल्ड प्राइस धनतेरस और दीवाली के इर्द-गिर्द अब तक के तमाम रिकॉर्ड तोड़ते हुए आसमान छू चुके हैं। 24 कैरेट 10 ग्राम गोल्ड 1,33,605 रुपये छू चुका है। तमाम रिपोर्ट्स और एक्सपर्ट्स मानते हैं कि फिलहाल गोल्ड की कीमतों में देखी जा रही तेजी कब रुकेगी, कोई नहीं जानता। यदि ट्रेंड कायम रहा तो अगले साल दिवाली के इन्हीं दिनों के आसपास 24 कैरेट सोना 2 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम छू चुका होगा! इसी तेजी के बीच सवाल यही उठता है कि मिडिल क्लास, बाल-बच्चेदार पारिवारिक व्यक्ति, सैलरी क्लास महिला या पुरुष को इस समय सोने में खरीददारी यानी निवेश पर क्या रुख अख्तियार करना चाहिए? क्या उसे मोटी रकम डालकर सोने के गहने, सिक्के या अन्य गोल्ड उत्पाद धड़ाधड़ खरीद लेने चाहिए… या सोने में निवेश का समय निकल चुका है और डाउनफॉल कभी भी आ सकता है?
अगर आप इंटरनेट और खबरों के शोर के बीच सोच समझकर गोल्ड में निवेश को लेकर फैसला लेंगे तो भविष्य में पछताने की आशंका कम होगी। हालांकि जब बात कमोडिटी की आती है तो न सरकार, न ही मामलों के जानकार एकदम 100 फीसदी सही-सही भविष्यवाणी कर सकते हैं कि सोने का भाव का ऊंट किस और करवट लेगा। कुछ सवाल जो आपको सही फैसला लेने में मदद करेंगे, वे हैं- गोल्ड बाइंग से जुड़ी राय क्या केवल सोने की चकाचौंध के चलते उपजी हैं या फिर इनके पीछे कुछ गणित और तर्क भी हैं? सोने की इस छप्परफाड़ ऊंचाई के आसमान छूने तक के सफर में क्या आम निवेशक का सोने में निवेश सेफ है? कितना सोना खरीदना चाहिए?
फिजिकल गोल्ड या फिर डिजिटल गोल्ड रखना सेफ होगा? गहने खरीदें या फिर सिक्के? कहां से खरीदें और क्यों..? क्या होगा अगर दाम कम होने लगे या फिर आगे दाम बढ़े ही नहीं? एक वर्किंग क्लास महिला या पुरुष की सही रणनीति इस दौर में क्या होनी चाहिए? आपके पोर्टफोलियो में सोने की कितनी अहमियत है और क्यों आम लोगों से लेकर दिग्गज निवेशकों और कारोबारियों तक, गोल्ड को इतना महत्व दिया जाता है? फाइनेंशल प्लानर आम आदमी को क्या सलाह देते हैं और रिपोर्ट्स क्या कहती हैं.. आपके सभी सवालों के जवाब राजस्थान पत्रिका की इस स्पेशल रिपोर्ट में आपको मिलेंगे।
यह बात अच्छी तरह से जान लें, एक समझदार निवेशक निवेश को इन्वेस्टमेंट के लिए अलग रखे गए पैसे (आय का एक हिस्सा) को लेकर अपनी रणनीति इस प्रकार बनानी चाहिए कि वह सोने से लाभान्वित हो, न कि इसके ट्रैप में फंसकर नुकसान में जाए। तेजी को ध्यान में रखते हुए सोना खरीदने की योजना बना रहे हैं तो याद रखें कि जो ऊपर जाता है, वह नीचे भी आ सकता है। हर चीज केवल सर्ज-प्राइस पर नहीं चलती रह सकती हालांकि सोने पर यह बात लगातार लागू होती नहीं देखी गई है… सोने को एक स्थिर संपत्ति माना जाता है, लेकिन यह कीमतों में उतार-चढ़ाव से अछूता नहीं रहा है। अतीत में जब इसकी कीमतों में तेजी आई तो उसके बाद बड़ी गिरावट भी देखी गई। बीबीसी की एक रिपोर्ट में साल 1980 के दौर का जिक्र है तब सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया था, लेकिन इसके बाद उतनी ही तेज गिरावट भी देखने को मिली। जनवरी के अंत में सोने की कीमत 850 डॉलर पर थी, जो अप्रैल की शुरुआत तक घटकर सिर्फ 485 डॉलर रह गई थी। अगले साल जून के मध्य तक यह कीमत और गिरकर 297 डॉलर पर पहुंच गई यानी अपने उच्चतम स्तर से लगभग 65% की गिरावट…! इतिहास के ये आंकड़े वर्तमान की बुलिश मार्केट में निवेश से पहले यह सोचने पर मजबूर तो करते ही हैं कि क्या इस तरह का जोखिम फिर से सामने आ सकता है जिससे आज के उत्साही निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
पहले तो संक्षिप्त में यह समझिए कि आखिर ऐसा हुआ क्या है कि गोल्ड की कीमतों में लगातार तेजी आ रही है? दरअसल, सोने की कीमतों में हालिया तेजी के पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारण हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका और यूरोप में ब्याज दरों में संभावित कटौती की उम्मीद, डॉलर की कमजोरी और भू-राजनीतिक तनाव के चलते (जैसे मिडिल ईस्ट में तनाव और यूक्रेन रूस युद्ध) ने निवेशकों को सुरक्षित संपत्ति यानी गोल्ड की ओर मोड़ा है। भारत में त्योहारी और शादी के सीजन की मांग ने भी दामों को और बढ़ाया है। इसके अलावा, विदेशी केंद्रीय बैंकों ने बड़े पैमाने पर सोना खरीदना चालू कर दिया जिसके चलते दुनियाभर में इसकी कीमतों ने और उछाल मारी। डॉलर के मुकाबले हमारे रुपये में गिरावट ने भी सोने के दामों को ऐतिहासिक स्तर तक पहुंचा दिया है।
यूं तो भारतीयों के लिए गोल्ड केवल निवेश की वस्तु नहीं है बल्कि वह शादी-ब्याह, पूजा-पाठ और शुभ कार्यों से भी जुड़ा है। ऐसे में अमूमन हर परिवार के पास कुछ न कुछ गोल्ड गहने-आभूषण और सिक्के के तौर पर होता ही है। मगर इस समय यदि आप सोने की वस्तुओं या गहनों की खरीददारी इसलिए करना चाहते हैं क्योंकि यह ऊंचाई पर जा रहा है तो क्या यह सही निर्णय होगा? टैक्स और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट (CFP) बलवंत जैन के मुताबिक, यदि भविष्य में कीमतें बढ़ने के मद्देनजर आप सोना खरीदना चाहते हैं तो यह खरीददारी का सही टाइम नहीं है। इसी के साथ वह जोर देते हैं कि आपका अपना जितना पोर्टफोलियो है, उसमें 10 से 15 फीसदी सोना जरूर होना चाहिए। पर यहां यह ध्यान देना जरूरी है कि सोना आपको एक साथ एक ही समय में जाकर नहीं खरीद लेना चाहिए। सरकार ने सॉवरन गोल्ड बॉन्ड बंद कर दिया है लेकिन गोल्ड ईटीएफ या गोल्ड सेविंग फंड में एसआईपी के जरिए इन्वेस्ट कर सकते हैं।
किसी भी कमोडिटी के प्राइस में अचानक से इजाफा होता है लेकिन फिर इसमें फिर कमी भी आती है। चाहे सोना है या चांदी हो या प्याज जैसी दूसरी कमोडिटीज़। अभी कुछ विशिष्ट इररेशनल हालातों जैसे कि इजरायल युद्ध, यूक्रेन रशिया युद्ध जैसी ग्लोबल माहौल की वजह से अनिश्चितता पैदा हुई और गोल्ड की कीमतों में तेजी आई। तिस पर, सेंट्रल बैंक्स ने भी सोना खरीदा है।
आम निवेशक को यह नहीं भूलना चाहिए कि सोने के साथ एक प्रिंसिपल हमेशा जुड़ा है-रिवर्सन टू मेन। सोने की कीमतें अगर बढ़ भी जाएंगी तो अचानक कम भी हो सकती हैं। एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर सोने के दाम तेजी से कम होते हैं तो भी वह बाद में रिवर्सन टू मेन होगा। यानी, गिरावट के बाद भी वह अपनी 'औसत' कीमत पर पहुंचेगा। रिवर्सन टू मेन को आम बोलचाल में औसत पर लौटना कह सकते हैं लेकिन ये औसत कोई संख्या विशेष नहीं है बल्कि वह प्रतिशत है जो तेजी या कमी को दिखाता है। कमोडिटीज मार्केट में भी दो तरह का करेक्शन देखा गया है- एक प्राइस करेक्शन और दूसरा टाइम करेक्शन। प्राइस करेक्शन में भाव कम होगा लेकिन टाइम करेक्शन में कीमतें कम नहीं होंगी लेकिन बल्कि लंबे समय तक रुकी रहेंगी। ऐसे में यदि आप यह सोचकर खरीदते हैं कि आने वाले समय में किसी बढ़िया परफॉर्म करने वाली कंपनी के शेयर्स की तरह इसके दाम भी बिकवाली के समय आपको बेहतरीन मिलेंगे, तो यह एक जोखिम भरा मूव होगा, क्योंकि यदि टाइम करेक्शन होता है तो कीमतें कई सालों तक वही रह सकती हैं जिस पर आपने खरीदा था। अमेरिका में 1972 में ऐसा ही हुआ था। 1972 से लेकर 1982 तक सोने के दाम फिक्स रहे। मुनाफे के मद्देनजर अधिक सोना खरीद लेने वालों के लिए यह एक खतरनाक स्थिति होगी!
सोना की कीमतों में और कहां तक इजाफा होगा- कोई भी नहीं बता सकता। यहां तक कि भारत सरकार भी यह नहीं बता सकती कि गोल्ड की कीमतों में आई तेजी कितनी और कब तक रहेगी। सरकार सॉवरन बॉन्ड के लिए इंटरनेशनल मार्केट से 7 से 8 परसेंट पर गोल्ड खरीदती थी और निवेशकों को भी करीब ढाई फीसदी रिटर्न देती थी। लेकिन अब सोने में रिटर्न हो गया है 15 फीसदी तक। इसलिए, यह कहना कि सोना अब आने वाले महीनों में भी केवल बढ़ेगा, मार्केट करेक्शन नहीं होगा.. यह एक बेहद जोखिमभरा सोच होगा। सोना इसी स्पीड से आगे तक बढ़ता जाएगा, इसकी संभावना कम है।
बलवंत जैन कहते हैं कि आम निवेशक को यह समझना होगा कि कई बार सर मुंडाते ही ओले पड़े- जैसी स्थिति भी आ सकती है इसलिए बाजार चकाचौंध में डूबकर गलत फैसला न लें। अपना पैसा एक साथ सोने खरीदने में न लगाएं। लेकिन 1 फीसदी या इससे भी कम का अपना मासिक निवेश आप सोने में कर सकते हैं। यहां ध्यान दें कि एक ही दिन में सारा गोल्ड नहीं खरीद लेना है। यह नियमित और सिस्टमैटिक होना चाहिए।
सोने की कीमतें घरेलू कारकों से कम अंतरराष्ट्रीय कारकों से ज्यादा प्रभावित होती हैं। माना जा रहा है कि सोने की कीमतें दीवाली के बाद भारत में स्टैगेनेंट यानी स्थिर होनी दिख सकती है हालांकि सर्वाधिक बड़ा इंपैक्ट यूक्रेन और रशिया युद्ध में सीज़फायर के बाद ही दिखना संभव होगा। तब आप देखेंगे कि सोने के दामों के इजाफे के ग्राफ में रुकावट आ जाएगी।
मान लीजिए आप अपनी कुल आय में से 20 हजार रुपये महीने का इन्वेस्टमेंट अमाउंट निकाल कर रखते है तो इस रकम का कितना फीसदी गोल्ड में निवेश करना चाहिए, यह आपको तय करना होगा। एक्सपर्ट के मुताबिक, इसमें से केवल 2 हजार रुपये का ही गोल्ड लें। इसे शुरुआत समझें। एक साथ ज्यादा गोल्ड लेना इस वक्त जोखिम भरा हो सकता है। बाकी के 18 हजार पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाइड करने में लगाएं। यह सही रणनीति होगी। फिजिकल गोल्ड की बजाय पेपर गोल्ड या डिजिटल गोल्ड में निवेश करें।
सोने की कीमतें थमने के आसार पैदा हो सकते हैं तो सालों पहले खरीदे गए सोने को क्या बेच देना चाहिए? या अपने पिछले कुछ हफ्तों में गोल्ड बार या सिक्के खरीदें हैं और उन्हें लेकर फिलहाल पसोपेश की स्थिति में हैं तो क्या रणनीति होनी चाहिए? इन दोनों सवालों का जवाब है कि न तो पैनिक में आएं और न ही बढ़ती कीमतों के लालच से प्रभावित हों। सही रणनीति यह होगी कि जो सोना आपके पास है, जिस भी रूप में है चाहे वह फिजिकल फॉर्म में हो या फिर डिजिटल गोल्ड में, वह अपने पास बनाए रखें। इस डर से कि सोने की कीमत आने वाले समय में कम होगी, इसे बेचना शुरू करना सही कदम नहीं होगा। जानकार कहते हैं कि बेहतर है कि इसे अपने पास पड़ा रहने दें।
मार्केट करेक्शन या किसी आपदा जैसे कि कोरोना या फिर युद्ध की स्थिति में ये सोना आपके काम आएगा ही। ऐसे दौर में यदि आपको लोन लेना हुआ या फिर अपनी खुद की कंगाली या लिक्विड की कमी होने की स्थिति में यह फिजिकल गोल्ड आपके काम आ सकता है। इसलिए यदि खरीद ही चुके हैं तो इसे अपने पास सुरक्षित बनाए रखें। अनिश्चितता की स्थिति में सोना आपके लिए काम की चीज साबित होगा संभवत नोटों की मोटी गुलाबी गड्डी से कहीं अधिक!
Updated on:
27 Oct 2025 05:01 pm
Published on:
27 Oct 2025 04:58 pm
बड़ी खबरें
View Allकारोबार
ट्रेंडिंग

