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रिटायरमेंट प्लानिंग की एबीसी- 25 की उम्र से ही कर दें खुशहाल 60 की तैयारी, एक्सपर्ट से समझें

प्रोमोर फिनटेक की को-फाउंडर- डायरेक्टर और सीएफपी निशा सांघवी कहती हैं कि जिस दिन से आप अपनी पहली नौकरी शुरू करते हैं, उसी दिन से आपको अपने आखिरी वर्किंग डे के बाद के समय की प्लानिंग कर लेनी चाहिए।

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रिटायरमेंट प्लानिंग की एबीसी (Photo-X)

रिटायरमेंट शब्द सुनते ही बुढ़ापे की दहलीज नजर आने लगती है। यह शब्द है तो उम्र के 60वें साल से जुड़ा मगर रिटायरमेंट के बाद की आर्थिक मजबूती और खुशहाल जीवन के लिए जरूरी है कि इस बारे में गंभीर रूप से सोचना और तैयारी करना युवावस्था के दिनों से ही शुरू किया जाए, लेकिन क्या हो यदि आप मिडिल एज तक भी किन्हीं वजहों, नासमझी या महज अपनी लापरवाही के चलते रिटायरमेंट प्लानिंग न कर पाए हों? 

यदि ऐसा आपके साथ भी हुआ है तो जान लीजिए कि बात जब अपने वर्तमान और भविष्य को सिक्यॉर करने की आती है तो उम्र का कोई भी पड़ाव गलत नहीं होता। आवश्यकता होती है तो बस अपने वर्तमान स्थिति और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर सही कदम उठाने की। आखिर रिटायरमेंट प्लानिंग को गंभीरता से लेने की जरूरत क्या है और क्यों यह हर कारोबारी से लेकर सैलरी क्लास के लिए जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होनी चाहिए। आइए एक्सपर्ट की सलाह के साथ हम जानें कि आयु के तीन पड़ावों- 25, 35, 45 में रिटारमेंट प्लानिंग को किस प्रकार अंजाम देना चाहिए। 

प्रोमोर फिनटेक की को-फाउंडर- डायरेक्टर और सीएफपी निशा सांघवी कहती हैं कि 'जब भी हम फाइनेंशल प्लानिंग का अपना सफर शुरू करते हैं तो पहले हम अपने स्वास्थ्य और आपात प्रबंधन को सिक्यॉर करते हैं। इसमें आपकी कंपनी से मिलने वाला कॉरपोरेट कवर और आपका खुद का लिया हुआ हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस सबसे पहले आता है।

इसके बाद अपना इमर्जेंसी फंड तैयार करना और फिर रिटायरमेंट प्लानिंग के मुताबिक अपनी इनकम को बांटना आता है। इन जरूरतों के बाद ही जाकर हमें महंगी वेकेशन, बड़ी गाड़ी या बड़ा घर जैसा कुछ प्लान करना चाहिए।  मगर, हम जानते हैं कि आम तौर पर युवा अपने जीवन को इस तरह से प्लान नहीं करते हैं. हालांकि पिछले कुछ वक्त में शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड्स आदि को लेकर लोगों में उत्सुकता और समझ बढ़ी है लेकिन जब बात सही फैसला लेकर उसे नियमित रूप से लागू करने की आती है तो कई बार हम चूकने लगते हैं।

25 साल की आयु में किस प्रकार करें प्लानिंग

भारत में ज्यादातर लोग 25 की उम्र के आसपास करियर शुरू करते हैं। यही वो समय है जब 'कंपाउंडिंग का जादू' काम कर सकता है, यानी जितनी जल्दी निवेश शुरू करेंगे, उतना बड़ा कॉर्पस बन जाएगा। याद रखें कि जो 25 पर बीज बोता है, वही 50 पर छांव पाता है। 

निशा बताती हैं कि जिस दिन से आप अपनी पहली नौकरी शुरू करते हैं, उसी दिन से आपको अपने आखिरी वर्किंग डे के बाद के समय की प्लानिंग कर लेनी चाहिए। अब हम जानते ही हैं कि ईपीएफ में आपकी कंपनी और आपकी सैलरी का एक हिस्सा हर महीने कंट्रीब्यूट होता है- एक समझदार इंसान इस जमा पैसे को भूल जाता है।

इसके अलावा, आपको खुद भी अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग करनी चाहिए और इसके लिए अपनी पहली सैलरी से ही आय का एक हिस्सा निवेश करना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि युवावस्था में आप अपना वर्तमान न जीएं. उदाहरण के लिए, यदि मेरे पास हर महीने 30 से 35 हजार रुपये (सभी टैक्स कटने के बाद) बतौर आय आते हैं, तो 30 फीसदी निवेश मिड से लॉन्ग टर्म निवेश करें। यानी लगभग 10 हजार रुपये निवेश के लिए अलग से निकाल कर रखें। इसमें से 3 हजार रुपये हर महीने आपको रिटायरमेंट के लिए निकालने ही चाहिए। बाकी के 7 हजार रुपये रिटायरमेंट से इतर अन्य निवेशों के लिए रखें।

इक्विटीज में पैसा लगाना शुरू कर दें। आप म्यूचुअल फंड् के जरिए बाजार में पैसा लगा सकते हैं। क्योंकि आप सैलरी क्लास कैटिगरी में हैं जहां हर माह एक मुश्त रकम आती है, तो आप एसआईपी भी कर सकते हैं। ऐसे फंड्स चुनें जो रिटायरमेंट सॉल्यूशन पर केंद्रित हों। इनमें लॉक इन पीरियड भी होता है और इक्विटी का विकल्प भी होता है, जैसे टाटा रिटायरमेंट, निपॉन रिटॉयरमेंट फंड्स आदि।

35 की आयु में कैसे करें प्लानिंग

फैमिली, हाउसिंग और ऐसी ही बदली जरूरतों के बीच रिटायरमेंट को नहीं भूलना चाहिए। इस दशक में शादी, बच्चों की शिक्षा, घर का लोन- सब एक साथ सिर पर आता है। ज्यादातर मामलों में हम यहीं गलती करते हैं कि सोचते हैं रिटायरमेंट के बारे में बाद में प्लान कर लेंगे. अपनी इन जरूरतों के लिए जहां तक संभव हो पीएफ को न निकालें। बहुत लोग जॉब बदलते समय ईपीएफ से पैसा निकाल लेते हैं जोकि एक बड़ी भूल है।

परिवार की जिम्मेदारी निभाते हुए खुद का भविष्य भी सुरक्षित करना ही सच्ची बुद्धिमानी है। फाइनेंशल प्लानिंग का महत्वपूर्ण हिस्सा यह समझ होती है कि इस पैसे को गाहे बगाहे छुआ न जाए वरना जिस मकसद से पैसा निवेश किया जा रहा है, वह मकसद सही से पूरा नहीं होगा। 

यदि आपको नौकरी करते हुए कुछ साल हो चुके हैं लेकिन अब तक रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू नहीं की है तो यह आपके लिए बेहद नाजुक उम्र है जब आपको रिटायरमेंट पर केंद्रित निवेश करना शुरू कर देना चाहिए। 35 या इसके आसपास के सालों में आपके पास अब भी ठीक-ठाक समय है, जब आप अधिक से अधिक निवेश कर अपने बुढ़ापे को सिक्यॉर कर सकते हैं। यदि अब तक शेयर मार्केट में आपने पैसा नहीं लगाया है तो यह सही आयु है जब आपको यह रिस्क ले लेना चाहिए। सिस्टमैटिक विड्रॉल प्लान के जरिए भी आप निवेश कर सकते हैं। वह कहती हैं कि कंपाउंडिग का फायदा तभी अच्छा मिलता है जब जल्द से जल्द निवेश शुरु किया जाए।

45 की आयु में कैसे करें प्लानिंग

इस उम्र में भले ही आप सोचें कि आपने रिटायरमेंट प्लानिंग में देर कर दी है लेकिन फिर भी यह मानकर चलें कि अब भी आपके पास करीब 15 साल हैं जब आप रिटायरमेंट के लिए योजनाबद्ध तरीके से निवेश कर सकते हैं। लेकिन एक पहलू यह भी है कि अब से रिटायरमेंट सिर्फ 15–20 साल दूर है। गलतियों की गुंजाइश कम है। यह पोर्टफोलियो रीव्यू और लोन को सिर से उतार देने का भी दौर है। बुद्धिमान वही है जो अपने आखिरी सफर की तैयारी वक्त रहते कर ले। 

निशा सांघवी बताती हैं कि इस उम्र में आपको ज्यादा पैसा निवेश करना होगा और रिस्क भी लेना होगा। रिटायरमेंट प्लानिंग करते वक्त 3 चीजें ध्यान रखें- मुद्रास्फीति, जिस उम्र में आप रिटायरमेंट होने जा रहे हैं, वह क्या है और आपके निवेश की प्लानिंग से कितनी दूर है और तीसरी चीज, आपका रहन सहन का वर्तमान स्तर। यदि कभी इक्विटी में एक्सपोजर नहीं हुआ है तो आपको अब रिस्क लेना चाहिए। यदि कुछ निवेश आपने पहले ही कर रखे हैं, जैसे पीपीएफ या एलआईसी पॉलिसीज़, तो उन्हें भी आप अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग के हिस्से के तौर पर लेकर चलें।

निशा बताती हैं कि जिन फंड्स में आप अपना पैसा 25 साल की आयु में रिटायरमेंट को ध्यान में रखकर अलोकेट करते हैं, उन्हीं में आप 45 की आयु में भी निवेश करते हैं। आप कितना अमाउंट निवेश करेंगे ये आपकी जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करेगा। 

कुल मिलाकर, वर्तमान समय में चाहे महिला हो या पुरुष, बाल बच्चेदार संयुक्त परिवार में रहने वाला सैलरी क्लास शख्स हो या महानगरों में एकल जीवन जी रहा कोई कॉरपोरेट शख्स, अपने बुढ़ापे के लिए फाइनेंशल प्लानिंग करते समय बेटे पर नहीं, सिस्टम पर भरोसा करें जिसे आप ईंट दर ईंट खुद बना सकते हैं फिर चाहे आपकी उम्र 25 हो या फिर 45।