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ये कैसा सौंदर्यीकरण: दोहरी बारिश के बावजूद वर्टिकल गार्डन के 40 प्रतिशत पौधे सूखे, दोबारा लगाए, लेकिन सिंचाई का नहीं किया इंतजाम, फिर सूखेंगे

नगरपालिका ने ठेकेदार से दोबारा पौधे लगवाए हैं। लेनिक सिंचाई की व्यवस्था अभी भी नहीं हुई है। जिससे बारिश का सीजन खत्म होने पर पौधों के सूखने का खतरा फिर से खड़ा हो गया है।

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vertical garden

वर्टीकल गार्डन

शहर की सुंदरता और हरियाली बढ़ाने के लिए नगर पालिका द्वारा मुख्य सडक़ों और प्रमुख चौराहों पर लगाए गए वर्टिकल गार्डन अब उपेक्षा और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते नजर आ रहे हैं। हालात यह हैं कि इस साल जिले में सामान्य औसत 30 इंच की बजाय करीब 61 इंच बारिश हुई, यानी सामान्य से दोगुनी वर्षा होने के बावजूद वर्टिकल गार्डन के लगभग 40 प्रतिशत पौधे पूरी तरह सूख गए। हालांकि नगरपालिका ने ठेकेदार से दोबारा पौधे लगवाए हैं। लेनिक सिंचाई की व्यवस्था अभी भी नहीं हुई है। जिससे बारिश का सीजन खत्म होने पर पौधों के सूखने का खतरा फिर से खड़ा हो गया है।

सभी जगह सूखे पौधे, एक-एक कर बदले

नगर पालिका ने पुराने पत्रा नाका, मशाल चौक, छत्रसाल चौक, आकाशवाणी तिराहा, जुगंदर पेट्रोल पंप तिराहा, एसपी ऑफिस और कलेक्ट्रेट गेट सहित कई जगह वर्टिकल गार्डन लगाए थे। इनमें से अधिकांश स्थानों पर आज केवल सूखी टहनियां, पीली पत्तियां और टूटी पाइपलाइनें नजर आती हैं। छत्रसाल चौक और कॉलेज तिराहा का भी यही हाल हुआ है।

घटिया मिट्टी और खाद का इस्तेमाल

स्थानीय लोगों और बागवानी विशेषज्ञों का कहना है कि गार्डन में उपयोग की गई मिट्टी और खाद की गुणवत्ता बेहद खराब थी। पौधों के लिए आवश्यक जैविक खाद की जगह सामान्य मिट्टी का इस्तेमाल कर दिया गया। यही कारण है कि शुरुआती कुछ महीनों में पौधे तो हरे रहे, लेकिन बाद में उनमें तेजी से मुरझाने और सूखने की प्रक्रिया शुरू हो गई।

भुगतान हो गया, काम अधूरा रहा

नगर पालिका ने इस परियोजना का ठेका करीब 50 लाख रुपए की अनुमानित लागत से जारी किया था। निविदा प्रक्रिया में ठेकेदार ने 10.11 प्रतिशत कम दर पर ठेका हासिल कर 44 लाख रुपए में अनुबंध किया। जानकारी के अनुसार, 10 वाई 10 फीट आकार के एक वर्टिकल गार्डन की वास्तविक लागत करीब 30 हजार रुपए बताई जाती है, जबकि नगर पालिका ने प्रति गार्डन 50 से 60 हजार रुपए तक का भुगतान किया। शहर के नागरिकों का आरोप है कि भुगतान तो पूरा कर दिया गया, लेकिन गुणवत्ता जांच का कोई ठोस इंतजाम नहीं किया गया।

अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन

अनुबंध की शर्तों के अनुसार यदि पौधे सूखते हैं या कार्य की गुणवत्ता घटिया पाई जाती है तो ठेकेदार को स्वयं पौधों को बदलना होगा और सुधार करना होगा। जिसके चलते ठेकेदार ने दोबारा पौधे लगाए हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नगर पालिका ने शहर को सुंदर बनाने के नाम पर योजनाएं शुरू कीं, लेकिन ज्यादातर काम आधे-अधूरे रह गए। वर्टिकल गार्डन इसका ताजा उदाहरण है। जहां भी गार्डन लगाए गए, वहां पौधे सूख गए। अब दोबारा क्या होगा देखना होगा।

सौंदर्यीकरण की योजना अधूरी

नगर पालिका ने वर्टिकल गार्डन योजना को शहर के सौंदर्यीकरण की दिशा में एक नया प्रयोग बताया था। उद्देश्य था कि मुख्य मार्गों और चौराहों पर हरियाली से आकर्षक माहौल बने और प्रदूषण में भी कमी आए। लेकिन घटिया गुणवत्ता, निगरानी की कमी और भ्रष्टाचार के चलते यह उद्देश्य अधूरा रह गया। अब सवाल उठ रहा है कि जनता के पैसों से किए गए इस खर्च का जिम्मेदार कौन है। यदि 61 इंच बारिश के बावजूद पौधे जीवित नहीं रह पाए तो क्या भविष्य में यह योजना सफल हो सकेगी?


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