-जांच दल ने तत्कालीन डीएसओ प्रभारी सहित शिकायतकर्ता के बयान दर्ज नहीं किए
-मामले को लेकर जांच दल टीम से रसद विभाग ने मांगा स्पष्टीकरण
धौलपुर. छह माह और एक हजार पेज की रिपोर्ट...लेकिन जांच अभी भी सवालों की घेरे में। मामला राशन कार्डों में फर्जी यूनिट बढ़ाकर लाखों का गबन करने कहा है। जिसमें जिम्मेदारों को बचाकर राशन डीलरों को संस्पेंड कर मामले की लीपापोती की जा रही है, जबकि सच्चाई अभी भी कागजों में ही दफन है, क्योंकि राशन कार्डों में फर्जी यूनिट बढ़ाने का दोषी कौन आखिर है कौन?
राशन कार्डों में फर्जी यूनिट (सदस्य) जुड़वाकर गरीबों के राशन पर जमकर डाका डाला जा रहा है। यह कालाबाजारी अभी से नहीं अपितु सालों से निरन्तर जारी है। मामला 2022-23 का है, तब तत्कालीन डीएसओ प्रभारी के कार्यकाल में जमकर राशनकार्डों में फर्जी यूनिटें बढ़ाई गईं। शिकायतकर्ता प्रवीण कुमार की शिकायत पर मामला सामने आने के बाद गबन की जांच रिपोर्ट रसद विभाग ने दो अधिकारियों के अधीन कर दी। जिन्होंने लंबी प्रक्रिया के बाद एक हजार पन्नों की जांच रिपोर्ट तैयार की, लेकिन इस जांच रिपोर्ट में तत्कालीन डीएसओ प्रभारी के नाम तक का जिक्र नहीं किया गया, जिनकी भूमिका पर शिकायतकर्ता ने सवाल उठाए थे। इसके अलावा जांच रिपोर्ट में तत्कालीन डीएसओ प्रभारी और शिकायतकर्ता के बयान ही दर्ज नहीं किए गए हैं।
अब सारा मामला यह है कि जब राशन कार्डों में यूनिट बढ़ाने का अधिकार डीलरों के पास नहीं है तो फिर किसने और कैसे फर्जी यूनिटों को राशन कार्डों में जोड़ा, या फिर बंद यूनिटों को एक्टिव किया। विभाग ने बल्कि सारा दोष राशन डीलरों पर डाल दिया गया, और उन्हें राशन बांटने का दोषी मानते हुए विभाग ने 22 डीलरों को सस्पेंड कर दिया था, जबकि दो डीलरों को नोटिस थमा दिया था। निलंबित डीलरों में बाड़ी के 10, धौलपुर के 10 और बसेड़ी के 2 डीलर शामिल हैं। जांच रिपोर्ट पर सवाल उठने के बाद रसद विभाग ने जांच दल टीम के सदस्यों से इन मामलों में स्पष्टीकरण मांगा है। बताया जा रहा है कि अभी तक उन्होंने इसका स्पष्टीकरण भी विभाग अधिकारी को नहीं दिया गया है।
एक दूसरे को बचाने में लगे जिम्मेदार
फर्जी यूनिट मामले मेें अभी भी सच्चाई पूर्ण रूप से सामने नहीं आ पा रही। यहां एक दूसरे को बचाने के चक्कर में लगे हुए हैं। मामले में संबंधित अधिकारी व कर्मचारियों को बचाने की प्रक्रिया चल रही है, अब तक भी पूरे मामले में किसी भी दोषी अधिकारी या कर्मचारी का नाम तक सामने नहीं लाया गया है, हुआ है तो बस २२ डीलरों का संस्पेंशन, जबकि राशन कार्र्ड में यूनिट जोडऩे या नया कार्ड बनाने का काम संबधित अधिकारियों की मंजूरी और सत्यापन के बिना नहीं हो सकता। तो फिर राशन डीलर ही इस मामले में पूर्ण दोषी क्यों माना गया है?
इन २२ डीलरों को किया सस्पेंड
रसद विभाग ने फर्जी तरीके से यूनिट बढ़ाने के मामले में २२ राशन डीलरों को सस्पेंड किया था। इन सस्पेंड होने वाले डीलरों में लोकेश शर्मा १८७८३, मां भारती महिला बहु. समिति १८९४७, शीला देवी ८९९०, शिवशंकर १८९३३, मंजू मित्तल १८९७२, मां पीताम्बरा महि. बहु. सह. समिति १८९७६, बृज किशोर ७८९५१, बाड़ी सहकारी उपभोक्ता भण्डार १८९६७, नव युवक सहकारी उपभोक्ता भण्डार १८९८४, पृथ्वी सिंह १८५४५, कृष्ण कुमार १८४२६, राजकुमारी ९६७१, धनेश जैन १९०११, मुन्दे्रश तोमर ३११६७, अशोक १९०२८, सतीश ९८०५, रेनू १८९९८, श्रीभगवान ३०९४०, दीक्षा शर्मा ३०८८६, प्रखर शर्मा १९००२, आदिल खां ३११२९, राशिद १९०१७ शामिल हैं।जांच दल ने तत्कालीन डीएसओ और शिकायतकर्ता के बयान क्यों नहीं लेने के साथ अन्य मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
-कल्याण सहाय, जिला रसद अधिकारी
मामले की शिकायत मैंने सात माह पहले की थी, जिसके बाद विभाग ने छह माह में जांच रिपोर्ट पेश की। सबसे बड़ी बात यह है कि जांच दल टीम ने मेरे बयान ही दर्ज नहीं किए गए हैं, यह बात समझ से परे है कि फर्जी राशन कार्डों में यूनिट बढ़ाने का अधिकार डीलरों के पास नहीं तो फिर इस मामले में दोषी कौन है? जांच रिपोर्ट में विभाग ने इस मामले का दोषी किसे माना है, जिसका नाम सार्वजनिक क्यों नहीं गया?
-प्रवीण कुमार, शिकायतकर्ता
Published on:
14 Oct 2025 06:28 pm
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