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विकास के नाम पर उधेड़ा शहर…पर काम कही आए ना नजर

.क्लीन और ग्रीन बनाने के नाम पर नगर प्रशासन ने शहर को उधेड़ कर रख दिया। जिसमें न जाने कितने लोगों के आशियाने से लेकर रोजी रोटी तक छिन गई, लेकिन उसके बाद भी शहर का विकास तो दूर... जो तोडफ़ोड़ की उस जगह तक को नहीं संवारा गया। बस रह गया तो केवल...उधड़ी सडक़ें, टूूटे आशियाने, जगह-जगह बिखरा मलबा और उड़ती धूल।

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विकास के नाम पर उधेड़ा शहर...पर काम कही आए ना नजर The city was destroyed in the name of development...but no work was visible anywhere

-अतिक्रमण के नाम पर तोड़े दुकानें और आशियाने, पर परिणाम कुछ नहीं

-उधड़ी सडक़ें, टूूटे आशियाने, जगह-जगह बिखरा मलबा और उड़ती धूल

-शहर को क्लीन और ग्रीन बनाने किए दावे बहुत, पर जमीं पर कुछ नहीं

धौलपुर.क्लीन और ग्रीन बनाने के नाम पर नगर प्रशासन ने शहर को उधेड़ कर रख दिया। जिसमें न जाने कितने लोगों के आशियाने से लेकर रोजी रोटी तक छिन गई, लेकिन उसके बाद भी शहर का विकास तो दूर... जो तोडफ़ोड़ की उस जगह तक को नहीं संवारा गया। बस रह गया तो केवल...उधड़ी सडक़ें, टूूटे आशियाने, जगह-जगह बिखरा मलबा और उड़ती धूल।

नगर परिषद ने साल की शुरुआत से शहर की सडक़ों को चौड़ा और क्लीन और ग्रीन बनाने के नाम पर अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू किया। इस दौरान शहर के लगभग गली, मोहल्लों से लेकर बाजारों तक पीला पंजा जमकर गरजा और जहां जिसका भी अतिक्रमण दिखा उसको जमींदोज कर दिया गया, फिर चाहे उस जगह का मालिक लाख कागजात दिखाते रहे, पर उनकी एक नहीं सुनी। थक हार कर वह भी शहर के विकास के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगाने को तैयार हो गए, लेकिन अतिक्रमण हटाओ अभियान के प्रारंभ होने के सात माह बाद भी शहर में विकास कार्य तो दूर नाले और नालियों तक पर ध्यान नहीं दिया गया और जो तोडफ़ोड़ परिषद ने की उसको भी अपने ही हालात में छोड़ दिया गया, जो अब शहर की जो थोड़ी सुंदरता थी उसको भी बदनुमा बना रहे हैं।

एक मुश्त कार्रवाई नहीं, अब परेशानी

नगर परिषद ने अतिक्रमण और बायलॉजिकल के हिसाब से सही नहीं बनने के नाम पर एक-एक कर भवनों को ध्वस्त किया था, लेकिन परिषद की यह कार्रवाई कभी उस एरिया में एकमुश्त नहीं चली। यानी जिस क्षेत्र से अतिक्रमण हटाना था, कुछ मकानों और दुकानों को ध्वस्त कर दल आगे बढ़ जाता। परिषद की इस कार्रवाई उस वक्त सवाल भी उठते थे। यही कारण रहा कि सराय क्षेत्र में कुछ जगहों से अतिक्रमण हटाने के बाद अन्य जगहों को यूं ही छोड़ दिया और अब उस क्षेत्र में नाली निर्माण के दौरान बाधा उत्पन्न हो रही है। ऐसे ही तोप तिराहा और मण्डी चौराहा पर परिषद ने अपनी दुकानों को जर्जर हालात का हवाला देकर तोड़ डाला, लेकिन आज तक उस जगह को संवारा तक नहीं गया, बल्कि तोड़ फोड़ से मलबा भी वहीं पड़ा है और नालियों से बहता पानी सडक़ों पर भर रहा है, जो शहर की हालत को बद से बदतर बना रहा है।

25 करोड़ से शहर को सुंदर बनाने के किए दावे

अतिक्रमण हटाओ कार्रवाई के दौरान तत्कालीन नगर आयुक्त ने शहर को सुंदर और स्वच्छ बनाने के खूब दावे किए थे। उन्होंने तक 25 करोड़ रुपए की राशि से शहर के कायाकल्प बदलने का दावा किया था, लेकिन साल का अंत होने जा रहा है। शहर का कायाकल्प तो दूर वह खुद एसीबी की कार्रवाई के बाद परिषद से ही दूर हो गए। उन्होंने उस वक्त शहर की जलनिकासी बेहतर करने, नवीन सडक़ बनाने, नवीन चौपाटी बनाने, जगह-जगह फ्लोवरिंग प्लांट्स, फ्लैक्स बोड लगाने सहित अन्य बात कही थी, लेकिन परिषद के यह दावे अभी तक हवा हवाई ही साबित हो रहे हैं।

जलनिकासी के हालात भी नहीं सुधरे

शहर की सडक़ों को चौड़ा और सुंदर बनाने की नाम पर जहां परिषद ने जमकर तोडफ़ोड़ की थी, तो वहीं जलनिकासी को सुदृढ़ करने के नाम पर मकान ध्वस्त किए गए थे। जिसके चलते गौशाला, नर्सरी, आनंद नगर, हुण्डावाल क्षेत्र सहित शहर के कई कालोनियों में बुलडोजर जमकर चला, लेकिन उसके बाद भी शहर की जलनिकासी जस की तस बनी हुई है और आज भी लगभग एक दर्जन कालोनियां ऐसी हैं जहां जलभराव हो रहा है।

आखिर कब खुली हवा में श्वांस लेंगे लोग

नगर परिषद कुछ दिनों से अपने अधीनस्थों के कार्यों के चलते अधिकारी विहीन है। अशोक शर्मा को नगर आयुक्त के पद से हटाने के बाद ईओ की कुर्सी पर आया राम और गया राम चलता रहा, लेकिन अब जब परिषद को प्रभारी के रूप में नया नगर आयुक्त मिल गया है तो शहर को सुंदर बनाने की दिशा में काम कब प्रारंभ होंगे। उधड़ी सडक़ों से उड़ते धूल के गुबार मरीजों की तादाद बढ़ा रहे हैं, तो नालों और नालियों से बहता पानी आमजन को गंदगी परोस रहा है। शहर की बेबस जनता को सिर्फ झूठ के दावों में कब तक फंसाकर रखा जाएगा?

अतिक्रमण फिर नई पारी खेलने को तैयार

नगर परिषद ने अपनी कार्रवाई के दौरान शहर के बाजारों से अतिक्रमण हटाया था। जिसमें संतर रोड, लाल बाजार, मण्डी चौराहा, चूड़ी मार्केट, डाकखाना चौराहा, सराय, जगन चौराहा, गुलाब बाग से जगदीश चौराहा सहित अन्य क्षेत्र शामिल हैं, लेकिन आज वहां फिर वहीं अतिक्रमण सज धज कर नई पारी खेलने को तैयार है। हर जगह फिर वहीं स्थिति निर्मित हो चुकी है, जो कार्रवाई से पहले थी। यानी परिषद की कार्रवाई का क्या परिणाम निकला...न तो कार्रवाई ही ठीक से हुई और न ही शहर को सुंदर बनाने की दिशा में कोई काम हुआ।