
फाइल फोटो पत्रिका
Rajasthan : डूंगरपुर जिला मुख्यालय पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना के साथ ही चिकित्सा सुविधाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। रक्तदान के क्षेत्र में प्रदेश में अपनी एक अलग छाप छोड़ने वाले डूंगरपुर जिले के ब्लड बैंक की सुविधाओं में हुए इजाफा होने के बाद अब रक्तदाता की ओर से दिया जा रहा एक यूनिट रक्त तीन-तीन जिदंगियां बचा रहा है। सबसे बड़ी राहत थैलेसीमिया-एनीमिया से ग्रस्त बच्चों के साथ ही डेंगू और मलेरिया के मरीजों को मिल रही है।
अब उन्हें रक्त से जुड़े विभिन्न कंपोनेंट के लिए गुजरात और उदयपुर की दौड़ नहीं लगानी पड़ रही है। चिकित्सालय में कंपोनेंट सेपरेशन मशीन शुरू होने के साथ ही दक्षिणी राजस्थान के एनीमिया ग्रस्त माताओं के थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चों के माता-पिता को आर्थिक राहत मिलने के साथ ही हर थोड़े दिन में लग रही उदयपुर एवं अहमदाबाद की दौड़ थम गई है। अब चिकित्सालय के शिशु चिकित्सालय में ही बच्चों को ब्लड से जुड़े आवश्यक कंपोनेट उपलब्ध हो पा रहे हैं।
सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय के बाल रोग विभाग एवं रक्तकोष में अब थैलेसीमिया रोग से ग्रस्त बच्चों को आवश्यक रक्त घटक पैक्ड रेड ब्लड सेल्स, प्लेटलेट्स, फ्रेश फ्रोजन प्लाज़्मा तथा क्रायोप्रेसिपिटेट आदि ऑन द टाइम सुगमता से उपलब्ध हो रहा है। जबकि, इससे पूर्व थैलेसीमिया रोग से ग्रस्त बच्चों को रक्त से जुड़े घटक चढ़वाने के लिए उदयपुर या अहमदाबाद के निजी एवं सरकारी चिकित्सालयों पर निर्भर रहना पड़ता था। इस दौरान उनको हर बार गाड़ी भाड़ा सहित निजी चिकित्सालय होने पर रुम, डॉक्टर आदि सहित करीब 5 हजार रुपए से अधिक का फटका लग रहा था।
अब तक थैलेसीमिया से ग्रस्त अपने बच्चों को लेकर माता-पिता सीधे अन्य शहरों में चले जाते थे। लेकिन, अब यहां ब्लड कंपोनेट मशीन शुरू होने से औसत हर माह 40 से 50 बच्चों का उपचार हो रहा है। सुरक्षित रक्त से जुड़े घटक बिना संक्रमण में मिल पा रहे हैं। उपचार की निरंतरता भी बन रही है और मासूमों के स्वास्थ्य परिणामों में जल्दी से सुधार हो रहे हैं। आमजन और स्वैच्छिक रक्तदाताओं से आह्वान किया जा रहा है कि वे नियमित रक्तदान कर मानवता की इस सेवा में सहयोग दें।
डा. निलेश गोष्ठी, विभागाध्यक्ष बाल रोग, श्रीहरिदेव जोशी चिकित्सालय, डूंगरपुर
Published on:
04 Nov 2025 03:01 pm
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