
फोटो सोर्स: पत्रिका
MP News: हाईकोर्ट की युगल पीठ ने तलाक के एक मामले में पत्नी की अर्जी को स्वीकारते हुए पति के रवैये को दुर्भावनापूर्ण बताया है। उसने पहले आपसी सहमति से तलाक देने का वादा किया और जब उसे आपराधिक सजा से राहत मिली तो उसी समझौते से मुकर गया। न्यायालय ने इसे मानसिक क्रूरता की श्रेणी में माना है।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जब पति-पत्नी 16 वर्षों से अलग रह रहे हों और उनके बीच पुनर्मिलन की कोई संभावना न बची हो, तो ऐसा विवाह केवल नाम मात्र का रह जाता है। इसे बनाए रखना दोनों पक्षों पर क्रूरता थोपने जैसा है। हाईकोर्ट ने विवाह को समाप्त घोषित करते हुए तलाक की डिक्री जारी करने के निर्देश दिए हैं, जिससे 16 साल से अलग रह रहे इस दंपति का रिश्ता टूट गया।
यह मामला एक प्रेम विवाह से जुड़ा है। रानी (परिवर्तित नाम) ने 30 नवंबर 2005 को आर्य समाज मंदिर में प्रेम विवाह किया था। रानी के अनुसार, पति और उसके परिवार ने दहेज की मांग शुरू कर दी। 2 लाख नकद और एक मोटरसाइकिल न मिलने पर 17 जनवरी 2009 को रानी और उसकी छोटी बच्ची को घर से निकाल दिया गया।
रानी की शिकायत पर पति और उसके परिवार के खिलाफ धारा 498-ए आईपीसी (दहेज प्रताड़ना) व दहेज निषेध अधिनियम की धाराओं में प्रकरण दर्ज हुआ। ट्रायल कोर्ट ने वर्ष 2015 में पति को दो-दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी, हालांकि बाद में अपील में उसकी सजा घटाई गई।
इस आपराधिक कार्यवाही के दौरान और बाद में भी पति-पत्नी के बीच कई बार सुलह के प्रयास हुए। इन्हीं प्रयासों में पति ने आपसी सहमति से तलाक देने का वादा किया था, लेकिन सजा से राहत मिलते ही वह अपने वादे से मुकर गया।
पत्नी ने 2018 में कुटुंब न्यायालय ग्वालियर में तलाक का वाद दायर किया था, जिसे पारिवारिक न्यायालय ने खारिज कर दिया था। इसी फैसले के खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील दायर की।
Updated on:
02 Nov 2025 01:46 pm
Published on:
02 Nov 2025 01:42 pm
बड़ी खबरें
View Allग्वालियर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
