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Bathua in Uric Acid: सिर्फ 1 कटोरी बथुआ रोज… और यूरिक एसिड ऐसे हो सकता है गायब जैसे कभी था ही नहीं!

Bathua in Uric Acid and Joint Pain: बथुआ एक प्रभावी और प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर है,ये विशेष रूप से हाई यूरिक एसिड के रोगियों के लिए रामबाण औषधि है। आयुर्वेद विशेषज्ञ के अनुसार, बथुआ यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के लिए कई तरीके से काम करता है।

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Bathua in Uric Acid and Joint Pain

Bathua in Uric Acid and Joint Pain (Photo- gemini ai)

Bathua in Uric Acid and Joint Pain: सर्दियों का मौसम आते ही बाजार में हरी सब्जियों की भरमार हो जाती है। इन्हीं में से एक खास और अक्सर अनदेखा कर दिया जाने वाला साग है बथुआ। आयुर्वेद में बथुए को एक शक्तिशाली औषधि माना गया है, खासकर उन लोगों के लिए जो हाई यूरिक एसिड, जोड़ों के असहनीय दर्द या गाउट जैसी समस्याओं से परेशान रहते हैं। यह सिर्फ एक स्वादिष्ट साग ही नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर है जो शरीर की अंदरूनी सफाई करता है और यूरिक एसिड के क्रिस्टलों को बाहर निकालने में मदद करता है। ( bathua khane ke fayde)

हाई यूरिक एसिड क्या होता है?

हाई यूरिक एसिड को हाइपरयूरिसीमिया कहा जाता है। यूरिक एसिड एक प्राकृतिक रसायन है जो शरीर में प्यूरीन (जो भोजन और कोशिकाओं में पाया जाता है) के टूटने से बनता है। किडनी इस रसायन को फिल्टर करके मूत्र के माध्यम से बाहर निकाल देती है। लेकिन जब किडनी इसे पूरी तरह बाहर नहीं निकाल पाती या शरीर में यूरिक एसिड अत्यधिक मात्रा में बनने लगता है। तो यह खून में जमा होने लगता है और जोड़ों में नुकीले क्रिस्टल के रूप में जम कर गाउट नामक दर्दनाक सूजन पैदा करता है। यह दर्द अक्सर पैर के अंगूठे में सबसे ज्यादा महसूस होता है।

बथुआ कैसे कम करता है हाई यूरिक एसिड?

बथुआ कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है, जो यूरिक एसिड को प्राकृतिक रूप से कम करने में मदद करते हैं। बथुआ एक नैचुरल डाइयूरेटिक है। यह पेशाब की मात्रा बढ़ाता है, जिससे किडनी अधिक यूरिक एसिड और टॉक्सिन्स को बाहर निकाल देती है। इससे शरीर में यूरिक एसिड का जमाव कम होने लगता है। आयुर्वेद के अनुसार, बथुए में ऐसे गुण होते हैं जो जोड़ों में जमा नुकीले यूरिक एसिड क्रिस्टलों को धीरे-धीरे घोलने में मदद करते हैं, जिससे सूजन और दर्द दोनों में राहत मिलती है।

बथुए में फाइबर की मात्रा अच्छी होती है। पाचन सुधारता है, शरीर से अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकालता है और रक्त में यूरिक एसिड को नियंत्रित रखने में मदद करता ह। बथुए में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व गाउट के कारण होने वाली सूजन और दर्द को कम करने में कारगर होते हैं।

बथुए का सेवन कैसे करें?

बथुए के पत्तों को भाप में हल्का गर्म करके दर्द वाली जगह पर बांध सकते हैं या सेंक सकते हैं, इससे सूजन कम होती है।उबालकर साग बनाकर खाएं। बथुए का रायता बनाकर खाया जा सकता है। बथुए के पराठे या पूरी भी स्वादिष्ट और लाभदायक होती हैं।