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बच्चों के लिए खतरे की घंटी, दूसरी बार कोविड से Long Covid की संभावना दोगुनी, समय रहते पहचानें लक्षण

Long Covid : एक हालिया अध्ययन ने एक बड़ा खुलासा किया है की अगर बच्चों को दोबारा कोविड हो जाए, तो उनके Long Covid से ग्रसित होने का खतरा पहले की तुलना में दोगुना हो सकता है।

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भारत

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MEGHA ROY

Oct 01, 2025

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Long COVID risk in kids|फोटो सोर्स – Freepik

Long Covid Symptoms: एक नई और अहम स्टडी The Lancet Infectious Diseases में छपी है, जिसमें पाया गया है कि अमेरिका में जिन बच्चों को दूसरी बार कोविड होता है, उन्हें पहली बार की तुलना में लॉन्ग कोविड होने का खतरा दोगुना हो सकता है।अमेरिका के 40 अस्पतालों के डेटा पर आधारित इस रिसर्च ने 4.6 लाख से ज्यादा बच्चों और किशोरों की हेल्थ रिपोर्ट का विश्लेषण किया। जानिए लॉन्ग कोविड के लक्षण क्या हैं, और माता-पिता बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए क्या कर सकते हैं।

अध्ययन में क्या पाया गया?

यह रिसर्च ओमिक्रॉन वैरिएंट के दौर (2022 की शुरुआत से 2023 के अंत तक) में किया गया। शोध में पहली और दूसरी कोविड संक्रमण के बाद के लक्षणों की तुलना की गई।Long Covid को ऐसे लक्षणों के रूप में परिभाषित किया गया जो कई हफ्तों या महीनों तक बने रहते हैं।

पहली और दूसरी बार कोविड में Long Covid का खतरा

एक नई स्टडी के अनुसार, जब बच्चों को पहली बार कोविड-19 संक्रमण होता है, तो हर 10 लाख में से लगभग 904 बच्चों को लॉन्ग कोविड होता है , यानी करीब 1 बच्चा प्रति 1,000। लेकिन जब वही बच्चे दूसरी बार कोविड से संक्रमित होते हैं, तो यह संख्या बढ़कर 1,884 प्रति 10 लाख हो जाती है , यानी करीब 2 बच्चे प्रति 1,000।यह अंतर साफ तौर पर दिखाता है कि हर दोबारा संक्रमण के साथ लॉन्ग कोविड का खतरा लगातार बढ़ता है। यह बढ़ा हुआ जोखिम सभी आयु वर्गों, लड़कों और लड़कियों, पहले से बीमार या पूरी तरह स्वस्थ बच्चों, और वैक्सीनेटेड या नॉन-वैक्सीनेटेड बच्चों सभी में देखा गया है।

बच्चों में Long Covid के आम लक्षण

  • लगातार थकान रहना
  • सिरदर्द या माइग्रेन
  • ध्यान केंद्रित करने में परेशानी ("ब्रेन फॉग")
  • लंबे समय तक खांसी या सांस की तकलीफ
  • पेट खराब रहना
  • नींद में बाधा
  • जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द

माता-पिता के लिए जरूरी बातें

  • हर दिन की नींद, भोजन, मूड, दवाएं और लक्षण नोट करें। इससे डॉक्टर को इलाज तय करने में मदद मिलती है।
  • समय पर सोने-जागने की आदत बनाएं। सोने से पहले स्क्रीन से दूर रहें और कैफीन से बचें।
  • अगर संभव हो तो फिजियोथैरेपिस्ट की देखरेख में हल्की एक्सरसाइज करें। खुद से ज्यादा मेहनत करना नुकसानदेह हो सकता है।
  • “पर्स्ड-लिप” और “डायफ्रामेटिक” ब्रीदिंग जैसी तकनीक सांस फूलने में मदद करती हैं। फिजियोथैरेपिस्ट से इन्हें सीखना बेहतर होता है।
  • थकान के पीछे एनीमिया या थायरॉयड की समस्या हो सकती है। Long Covid के नाम के पीछे छिपे कारणों की जांच जरूरी है।
  • ब्रेन फॉग में मदद के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लें।
  • मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें।