
पत्रिका फाइल फोटो
जयपुर। कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के तहत जिलाध्यक्ष चयन प्रक्रिया अब रायशुमारी से ज्यादा ‘रारशुमारी’ बनती जा रही है। जिला स्तरीय बैठकों के लिए लगाए जा रहे मंच नेताओं के भाषणों से गूंज रहे हैं।
एआइसीसी की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षक इन बैठकों में स्थानीय दिग्गजों को बोलने का मौका दे रहे हैं, जिससे गुटबाजी और कटुता खुलकर सामने आ रही है। इस रायशुमारी कांग्रेस के भीतर संवाद से ज्यादा दूरी बढ़ा दी है।
अजमेर, कोटा और झुंझुनूं जैसे जिलों में तो नारेबाजी और विरोध तक की नौबत आ चुकी है। वहीं जोधपुर में पर्यवेक्षक को यह कह दिया गया कि ‘यहां तो अध्यक्ष का नाम पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही तय करते हैं।’
पार्टी कार्यकर्ताओं में चर्चा है कि जब बड़े नेता ही मंच पर कब्जा किए हुए हैं, तो आम कार्यकर्ता अपनी राय कैसे रखेगा। हालांकि पर्यवेक्षकों का दावा है कि वे व्यक्तिगत बातचीत कर रहे हैं, मगर अधिकांश चर्चा वरिष्ठों तक ही सीमित रह जाती है।
इस बीच, एआइसीसी ने प्रदेश में नियुक्त 30 पर्यवेक्षकों में से तीन चित्तौड़गढ़, झालावाड़ और धौलपुर-करौली जिलों के पर्यवेक्षक बदल दिए हैं। इसे लेकर भी कांग्रेसजनों में कयासबाजी तेज है। कोई इसे प्रशासनिक कारण बता रहा है, तो कोई कामकाज को लेकर असंतोष का परिणाम मान रहा है।
Published on:
09 Oct 2025 09:49 am
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