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Patrika KeyNote: अफसरों को तनख्वाह और रिश्वत दोनों ही जनता दे रही : गुलाब कोठारी

Patrika KeyNote: जोधपुर में ‘पत्रिका की-नोट’ कार्यक्रम में लोकतंत्र व मीडिया की भूमिका पर चर्चा हुई। पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने अंग्रेजी शिक्षा को संवेदनहीन पीढ़ी का कारण बताया। जस्टिस टाटिया ने अंता उपचुनाव पर सवाल उठाए, जबकि विशेषज्ञों ने फेक न्यूज व डीपफेक को न्यायिक चुनौती बताया।

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जयपुर

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Arvind Rao

Nov 21, 2025

Patrika KeyNote

Patrika Group Editor-in-Chief Gulab Kothari

Patrika KeyNote: जोधपुर: अंग्रेजी शिक्षा हिंदुस्तानियों को अंग्रेज बना रही है। लोकतंत्र के तीनों पायों (स्तंभ) में मोस्ट इंटलएक्चुअल टैलेंट तो है, लेकिन संवेदना का अभाव है। अफसर, जनता के बीच में से आते हैं। जनता ही उन्हें तनख्वाह देती है और जनता को ही रिश्वत भी देनी पड़ रही है। इसका सारा बोझ मीडिया पर डाला जा रहा है। जनता मीडिया से उम्मीद कर रही है, वह इससे छुटकारा दिलाए।

यह विचार पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किए। वे गुरुवार को जोधपुर में लोकतंत्र और मीडिया विषय पर आयोजित ‘पत्रिका की-नोट’ कार्यक्रम में बोल रहे थे। कोठारी ने कहा, संवेदनहीन पीढ़ी तैयार हो रही है। वह देश की आत्मा को कैसे सींचेगी? अफसरों के आदेश में न परंपरा झलकती है और न ही भारतीय दर्शन। लोग अधिकारों के लिए आरटीआई का प्रयोग करते नहीं हैं और दोष सरकार को देते हैं।

'अमेरिकी राष्ट्रपति को जानते, मगर गांव के महापुरुष को नहीं'

कोठारी ने कहा कि कार्यपालिका और न्यायपालिका की पूरी शिक्षा ही अंग्रेजी पर आधारित है। कोर्ट में केस होने पर वकील क्या बात करता है, जज क्या बोलता है। आम आदमी को पता ही नहीं चलता है। यही हाल डॉक्टर के यहां हैं। डॉक्टर क्या बताता है, मरीज को समझ में ही नहीं आता।

इन लोगों की पढ़ाई में हिंदुस्तान ही नहीं है। अब ऐसे लोग कैसे अपनी माटी से रिश्ता जोड़ेंगे? कक्षा में केवल विषय पढ़ाया जाता है, जिसमें संवेदना ही नहीं है। शिक्षा दिल से दिमाग में पहुंच गई है। बच्चों को यह तो बताया जाता है कि अमेरिका का राष्ट्रपति कौन है, लेकिन यह कोई नहीं बताता कि उसके गांव का महापुरुष कौन है।

अंता चुनाव परिणाम ने अचंभित किया, जागरुकता कहां है : जस्टिस प्रकाश टाटिया

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जस्टिस प्रकाश टाटिया ने कहा कि हाल ही में आए अंता विधानसभा उपचुनाव के नतीजों ने उन्हें अचंभित कर दिया है, जिस व्यक्ति के अभी तक टीवी, अखबारों और सोशल मीडिया पर फोटो, वीडियो चल रहे हैं, वही नतीजों को प्रभावित कर रहा है। जनता में जागरुकता ही नहीं है।

इसके लिए टाटिया ने एक कथन सुनाया कि जंगल कट रहा था, इसके बावजूद सारे पेड़ कुल्हाड़ी को वोट दे रहे थे। क्योंकि कुल्हाड़ी में लगी लकड़ी उनके समाज की थी। जनता ने अपने एक वोट के जरिए देश की चल-अचल संपत्ति नेताओं के हाथ में सौंपी है। नेता एक तरह से ट्रस्टी हैं। वोट पाकर राज करना लोकतंत्र नहीं है।

जस्टिस टाटिया ने कहा, उन्हें न्यायपालिका में 50 साल पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन उन्हें आज तक यह समझ में नहीं आया कि न्यायपालिका की अवमानना होने पर आईएएस सहित अन्य अफसर क्यों कटघरे में खड़े होते हैं, जबकि वे सरकार के अधीन हैं।

सरकार ही विधानसभा में कानून बनाती है। कार्यपालिका तो केवल लागू करती है। न्यायपालिका में सबसे अधिक मुकदमे सरकार के विरुद्ध ही हैं। अगर सरकार इसका रास्ता निकाल ले तो जनता के मुकदमे तो गिने-चुने ही बचेंगे।

गलत सूचनाओं से गंभीर चुनौतियां खड़ी हुई : कौर

विशिष्ट अतिथि एनएलयू जोधपुर की कुलगुरु प्रो. (डॉ) हरप्रीत कौर ने कहा कि आज मीडिया अभूतपूर्व तकनीकी परिवर्तनों से गुजर रहा है। स्वतंत्र ऑनलाइन क्रिएटर्स, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने सूचना को लोकतांत्रिक तो बनाया है, पर गलत सूचनाओं, दुष्प्रचार और वायरल नैरेटिव ने न्यायिक प्रक्रिया के सामने गंभीर चुनौतियां खड़ी की हैं।

सिद्धार्थ वशिष्ठ केस में अदालत ने स्पष्ट किया कि ‘ट्रायल बाय मीडिया’ और ‘सूचनात्मक मीडिया’ में फर्क अनिवार्य है। एआई से बने डीपफेक, डेटा संचालित सामग्री और एल्गोरिदमिक पक्षपात न सिर्फ मीडिया की विश्वसनीयता बल्कि साक्ष्यों की न्यायिक वैधता पर भी खतरा हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था तभी सुरक्षित रह सकती है, जब मीडिया सत्यापित, निष्पक्ष और जिम्मेदार सूचना दे।

पत्रिका ने क्रांति का काम किया : विश्व मोहन भट्ट

पत्रिका ने जनमानस में क्रांति का काम किया है। इसमें श्रद्धेय कुलिश जी का बड़ा योगदान है। मैं जब अमेरिका से ग्रेमी अवॉर्ड लेकर आया तो उन्होंने ही सरकार को ग्रेमी अवॉर्ड का महत्व बताया था और मेरे राजकीय नागरिक अभिनंदन के लिए प्रेरित किया था।

पत्रिका ने राजस्थानी लोक कला, संस्कृति को बढ़ावा देने और सहेजने में भी उल्लेखनीय कार्य किया है। पत्रिका जनता तक केवल समाचार ही नहीं पहुंचाती, वरन लोक संस्कृति और लोक कला की भी वाहक है। पत्रिका ने राजस्थान की कला, संगीत और संस्कृति को सहेजने में बड़ा योगदान दिया है।

जागरुकता से खेल मैदान भी विकसित हो रहे : डूडी

महाराणा प्रताप अवॉर्डी एवं एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता घमंडाराम डूडी ने कहा कि राजस्थान पत्रिका सभी प्लेटफॉर्म पर बेहतरीन कार्य कर रहा है। यह सरकार की नीतियों को विस्तारपूर्वक आम जनता तक पहुंचाता है, जिससे लोगों तक सूचना के साथ-साथ शिक्षा का संचार भी होता है।

डूडी ने कहा कि उनके जैसे खिलाड़ी पहले सड़क पर दौड़ की प्रैक्टिस किया करते थे। मीडिया के कारण अब खेलों में जागरुकता आने से खेल मैदान भी विकसित हो रहे हैं। जोधपुर में ही चार-पांच सिंथेटिक ट्रैक हो गए हैं।