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पेचवर्क के वादे… गड्ढों में दफन, सड़कें बह गईं, सिस्टम बना रहा बहाना

प्रदेश में इस साल बारिश भी जोरदार हुई है और इससे सड़कों को भी भारी नुकसान हुआ है। सड़कों को सुधारने के लिए डिप्टी सीएम, मुख्य सचिव से लेकर हर स्तर से पिछले एक माह में आदेश जारी हो चुके हैं, लेकिन अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही और इसका परिणाम यह हो रहा है कि आए दिन इन खराब सड़कों की वजह से दुर्घटनाएं हो रही है।

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जयपुर

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GAURAV JAIN

Nov 06, 2025

68 हजार किमी सड़कें बर्बाद, लेकिन मरम्मत की चाल कछुए जैसी

टूटी सड़कों से रोज सड़क कहीं न कहीं हादसे

जयपुर.

प्रदेश में इस साल बारिश भी जोरदार हुई है और इससे सड़कों को भी भारी नुकसान हुआ है। सड़कों को सुधारने के लिए डिप्टी सीएम, मुख्य सचिव से लेकर हर स्तर से पिछले एक माह में आदेश जारी हो चुके हैं, लेकिन अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही और इसका परिणाम यह हो रहा है कि आए दिन इन खराब सड़कों की वजह से दुर्घटनाएं हो रही है।

राज्य में इस बार करीब 68 हजार किलोमीटर सड़कों को नुकसान पहुंचा है और 9 हजार किलोमीटर सड़कें पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई हैं। कई जगह तो बारिश में बह ही गई हैं। करीब 59 हजार किलोमीटर सड़कें ऐसी है, जो क्षतिग्रस्त हुई है और उनको पेचवर्क की जरूरत है। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों के हाल यह हैं कि अभी भी पेचवर्क का काम पूरा नहीं हो सका है। सूत्रों के अनुसार इस साल सड़कें पूरी तरह से ठीक हो जाएं? यह भी बहुत मुश्किल है।

ये हैं हालात

जयपुर-भीलवाड़ा स्टेट हाईवे

इस हाईवे को मौत का हाईवे कहा जाए तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी। मालपुरा से लेकर केकड़ी के बीच करीब 45 किलोमीटर की इस सड़क पर कई दिनों से हादसे हो रहे हैं। टूटी सड़क के कारण हो रही दुर्घटनाओं में कई लोगों की मौत हो चुकी है। घायलों की तो कोई गिनती ही नहीं है। यह सड़क पूरी नई बननी है, लेकिन अभी तक काम ही चालू नहीं हुआ है। यहां एक माह में 8 सडक़ हादसे हो चुके हैं। इसमें 4 मौत की हो चुकी है। यह वो स्टेट हाईवे है, जहां सबसे ज्यादा टोल वसूली होती है।

स्टेट हाईवे नंबर 53

सलूम्बर से निकल रहे स्टेट हाईवे नंबर 53 पर जगह जगह कट और डामर उखड़ने से बने गड्ढे हादसे का कारण बने हुए है। फीला के निकट विकट मोड में कई हादसे हो चुके है।

उदयपुर-सलूंबर मेगा हाईवे

इस हाईवे पर केवड़ा से डाया बांध तक सड़क बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। विकट मोड और गड्ढों के कारण कई दुर्घटनाएं हो चुकी है।

गोगुंदा से सायरा जोधपुर राजमार्ग

इस हाईवे के हाल बुरे है। मार्ग जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है। कई जगह बड़े गड्ढे हो रहे हैं। इसी मार्ग पर रणकपुर घाट सेक्शन भी है, जहां भी सड़क खराब है।

राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 52

कोटा से झालावाड़ राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 52 का हाल बेहाल है। मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में दरा घाटी में करीब 8 किमी में रास्ता संकरा होने से यहां बार-बार जाम लगता है। सड़क टूटी हुई है। यहां जाम में फंसे चार मरीजों की जान भी जा चुकी है।

खेतड़ी-मेहाडा़ जाटूवास से शिमला

खेतड़ी-मेहाडा़ जाटूवास से शिमला तक लगभग 10 किलोमीटर सड़क 5 वर्षों से पूरी तरह से टूटी हुई है। इस सड़क में जगह-जगह कहीं आधा फीट के तो कहीं एक फुट के गड्ढे बने हुए हैं।

मणकसास से सराय नीमकाथाना

मणकसास से सराय नीमकाथाना तक जाने वाली सड़क इन दिनों पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। आए दिन यहां दोपहिया वाहन फिसल रहे हैं, जिससे कई लोगों के घायल होने की शिकायतें सामने आई हैं।

इनका कहना है...

कोशिश है कि 15 नवंबर तक पेचवर्क का काम पूरा हो जाए। अब तक 60 फीसदी से ज्यादा पेचवर्क का काम पूरा हो चुका है। जो सड़कें पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, उनको बनाने के लिए भी टेंडर करने का काम प्रक्रियाधीन है।

- डी आर मेघवाल, सचिव, सार्वजनिक निर्माण विभाग


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