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बिहार चुनाव नतीजों ने यूपी के विपक्षी दलों के बिगाड़े समीकरण, रणनीति बदलना होगा मजबूरी

Bihar Chunav : बिहार चुनाव में महागठबंधन पूरी तरह से फ्लॉप हो गया है। हालांकि सपा मुखिया ने इसके पीछे एसआईआर को ही जिम्मेदार ठहराया है। सपा खेमे के भीतर भी यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन उत्तर प्रदेश में कितना लाभकारी साबित होगा।

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बिहार चुनाव के नतीजों का यूपी पर पड़ेगा असर, PC- IANS

लखनऊ : बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने विपक्षी दलों को भी सीख लेने का संकेत कर दिया है। महागठबंधन की फिल्म फ्लॉप होने के बाद अब विपक्षी दलों के सामने अपनी रणनीति में बदलाव करने की मजबूरी है।

यहां के नतीजों को देखने के बाद अंदर खाने इसकी चर्चा भी होने लगी है। हालांकि सपा मुखिया ने इसके पीछे एसआईआर को ही जिम्मेदार ठहराया है। सपा खेमे के भीतर भी यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन उत्तर प्रदेश में कितना लाभकारी साबित होगा।

पिछले दो लोकसभा चुनावों और कई विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत सीमित रहा है, जबकि सीटों की साझेदारी में सपा को अपेक्षाकृत अधिक समझौता करना पड़ता है। बिहार में हुआ प्रदर्शन भी इस चिंता को और गहरा करता है।

सपा-कांग्रेस के गठबंधन पर सवाल

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस नतीजे ने न केवल विपक्षी रणनीति की कमजोरियों को उजागर किया है, बल्कि कांग्रेस के साथ गठबंधन की उपयोगिता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतन मणि लाल कहते हैं कि किसी भी सरकार की जब आलोचना करते हैं तो वह सिर्फ कमरे में बैठकर न करें। बल्कि वह तार्किकता पर हो।

बिहार में नीतीश कुमार की आलोचना हुई, लेकिन उनको समाज के हर तबके का समर्थन मिला। ऐसे ही यूपी में सीएम योगी की आलोचना तार्किक हो, न की राजनीतिक। एंटी इनकंबेंसी कोई फैक्टर नहीं है। इसका उदाहरण यूपी और उत्तराखंड सीधे देखे जा सकते हैं। जब चुनावी रणनीति बनाते हैं, तो संगठन का आंकलन जरूर करें।

विश्लेषकों का कहना है कि गठबंधन की ओर से तेजस्वी और राहुल ने अपने को नेता मान लिया और सहयोगियों का उस हिसाब से साथ नहीं दिया। यूपी में सपा-कांग्रेस को बयानबाजी में भी सामंजस्य दिखाना होगा।

बिहार की हार सपा के लिए चेतावनी

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक आमोदकांत का कहना है कि सपा मुखिया अखिलेश को अब आने वाले चुनावों से पहले अपनी रणनीति का व्यापक पुनर्मूल्यांकन करना होगा। बिहार के नतीजों ने साफ कर दिया है कि केवल विपक्षी एकता के नारे से चुनावी जमीन नहीं बदलती, बल्कि एकता दिखनी भी जरूरी है। बिहार की हार अखिलेश के लिए महज़ एक चुनावी नतीजा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि भविष्य की लड़ाई मजबूत तैयारी, नई रणनीति और सही साझेदारियों से ही जीती जा सकती है।

बसपा का एक्टिव होना खतरे की घंटी

उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव ने जहां एनडीए को एक नई ताकत दी है, वहीं विपक्षी दलों सपा और कांग्रेस के लिए बड़ा सबक सिखा दिया है। विपक्षी दलों का वोट चोरी मुद्दा और जातीय गणित का सिस्टम फेल रहा। सपा के सामने 2024 वाली जीत बरकरार रखने की चुनौती है। इसके साथ पीडीए के साथ अन्य रणनीति पर भी फोकस करना होगा। इसके साथ बसपा पहले से ज्यादा एक्टिव है। ऐसे में दलित वोट बैंक में सेंधमारी करना भी बड़ी चुनौती होगी।

(Source-IANS)