
इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में एटीएस की जांच (फोटो सोर्स : Whatsapp News Group/ फाइल फोटो )
Delhi Blast Probe: दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके के बाद उत्तर प्रदेश एंटी टेरर स्क्वाड (ATS) ने जांच की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। एजेंसी ने लखनऊ की इंटीग्रल यूनिवर्सिटी प्रशासन से कश्मीर के 60 छात्र-छात्राओं की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा, कानपुर स्थित एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट ने भी सुरक्षा के मद्देनजर अब संस्थान में कार्यरत हर डॉक्टर का वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया है। एटीएस की यह कार्रवाई उस समय चर्चा में आई जब यह जानकारी सामने आई कि दिल्ली ब्लास्ट के संदिग्ध डॉ. परवेज कभी इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में ही पढ़ाया करते थे। यही नहीं, परवेज ने धमाके से ठीक तीन दिन पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
एटीएस सूत्रों के अनुसार इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले करीब 60 कश्मीरी छात्रों की पहचान और विस्तृत रिपोर्ट प्रशासन से मांगी गई है। यह रिपोर्ट छात्रों की पृष्ठभूमि, एडमिशन प्रोसेस, हॉस्टल रिकॉर्ड और शिक्षकों से उनके व्यवहार संबंधी जानकारी पर आधारित होगी। एटीएस ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से छात्रों की संपूर्ण प्रोफाइल,जैसे कि स्थायी पता, फोटोग्राफ, प्रवेश वर्ष, डिपार्टमेंट, कोर्स डिटेल और गार्जियन की जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है। एजेंसी ने विश्वविद्यालय के आईटी सर्वर और एडमिशन विभाग से भी कुछ दस्तावेजों की जांच की है। सूत्रों के मुताबिक, एटीएस इस बात की पुष्टि करना चाहती है कि कहीं किसी छात्र का अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष संबंध संदिग्ध नेटवर्क से तो नहीं है।
जांच एजेंसियों को यह जानकारी मिली कि डॉ. परवेज, जो कि इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में लेक्चरर थे, ने धमाके से मात्र तीन दिन पहले इस्तीफा दिया था। बताया जा रहा है कि परवेज का रिश्ता डॉ. शाहीन सिद्दीकी से है, जो खुद भी जांच एजेंसियों की निगरानी में हैं। एटीएस को शक है कि दोनों भाई किसी नेटवर्क से जुड़े हो सकते हैं। यही कारण है कि एजेंसी ने अब परवेज से जुड़े सभी रिकॉर्ड, उनके क्लास रूम एक्टिविटी, डिजिटल सिग्नेचर, लैपटॉप लॉगिन और फंडिंग डिटेल की जांच शुरू कर दी है।
मामले की जांच में एक और नाम सामने आया है, डॉ. मोहम्मद आरिफ, जो कि डॉ. शाहीन के करीबी बताए जा रहे हैं। एटीएस ने उन्हें कानपुर स्थित उनके आवास से हिरासत में लिया है। आरिफ पिछले तीन महीनों से कानपुर के एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट में डीएम फर्स्ट ईयर स्टूडेंट के रूप में कार्यरत थे। जांच एजेंसियां अब उनसे यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या उनका किसी संदिग्ध व्यक्ति या नेटवर्क से कोई संपर्क था।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट ने बड़ा फैसला लिया है। संस्थान के निदेशक डॉ. राकेश कुमार वर्मा ने बताया कि अब हर डॉक्टर को तीन स्तरों पर वेरिफिकेशन प्रक्रिया से गुजरना होगा। उन्होंने कहा कि डॉक्टरी पेशे का सम्मान बनाए रखने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अब संस्थान में कार्यरत सभी डॉक्टरों की पुलिस, शैक्षणिक और चरित्र संबंधी जांच की जाएगी। संस्थान ने इसके लिए एक आंतरिक समिति गठित की है, जो हर डॉक्टर के दस्तावेजों की सत्यता और उनकी पृष्ठभूमि की जांच करेगी।
डॉ. राकेश वर्मा ने बताया कि डॉ. मोहम्मद आरिफ हमारे संस्थान के एक होनहार छात्र थे। वे मेहनती थे और अपना काम पूरी ईमानदारी से करते थे। हालांकि उनके निजी जीवन में क्या चल रहा था, इसकी हमें जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा, “यह देश की सुरक्षा एजेंसियों का कार्यक्षेत्र है, और यदि उनसे कोई जांच होती है, तो हम पूरा सहयोग करेंगे। हमारी प्राथमिकता है कि डॉक्टर्स की साख बनी रहे और देश की सुरक्षा सर्वोपरि रहे।”
एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट में जम्मू-कश्मीर के पांच डॉक्टर कार्यरत हैं। निदेशक वर्मा ने कहा कि “हमने तत्काल प्रभाव से इन सभी डॉक्टरों का वेरिफिकेशन शुरू कर दिया है। अगर किसी भी स्तर पर कोई संदिग्ध बात सामने आती है, तो हम उसकी सूचना स्थानीय पुलिस और एटीएस को देंगे। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया किसी धर्म या क्षेत्र विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि संवेदनशील पृष्ठभूमि वाले इलाकों से आने वाले डॉक्टरों के लिए सुरक्षा दृष्टिकोण से जरूरी है।
दिल्ली ब्लास्ट के बाद एटीएस और केंद्रीय एजेंसियों का फोकस उत्तर प्रदेश के उन संस्थानों पर बढ़ा है, जहां कश्मीर या उत्तर-पूर्व से बड़ी संख्या में छात्र अध्ययन कर रहे हैं। खुफिया सूत्रों के अनुसार, एजेंसियां उन लोगों पर नजर रख रही हैं जिनका किसी भी संदिग्ध संगठन या विदेशी फंडिंग नेटवर्क से जुड़ाव हो सकता है।
इंटीग्रल यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस संबंध में कहा है कि “हम एटीएस को हर संभव सहयोग दे रहे हैं। देश की सुरक्षा सर्वोपरि है और कोई भी जांच प्रक्रिया हमारे लिए सम्मान की बात है। प्रवक्ता ने बताया कि सभी छात्रों का डाटा पहले से ही डिजिटली मेंटेन है और एटीएस की मांग पर पूरी जानकारी सौंपी जा रही है।
एटीएस सूत्रों के अनुसार फिलहाल किसी छात्र या स्टाफ सदस्य को हिरासत में नहीं लिया गया है। एजेंसी केवल दस्तावेजों और डाटा की जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि यह जांच केवल एहतियातन है ताकि किसी भी प्रकार की संदिग्ध गतिविधि को शुरुआती स्तर पर ही रोका जा सके।
Published on:
13 Nov 2025 09:54 pm
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