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बांके बिहारी मंदिर में बवाल! धीरेंद्र शास्त्री के दर्शन पर भीड़ बेकाबू, ASP अनुज चौधरी ने सेवादार को खींचकर निकाला

बांके बिहारी मंदिर में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दर्शन के दौरान भारी भीड़ के चलते विवाद पैदा हो गया। पुलिस और सेवायतों के बीच धक्का-मुक्की हुई, कुछ सेवायतों के कपड़े तक फट गए। वीआईपी दर्शन के नाम पर मंदिर की मर्यादा और भीड़ प्रबंधन पर सवाल खड़े हो गए।

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मथुरा

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Ritesh Singh

Nov 17, 2025

Banke Bihari Temple VIP Darshan (फोटो सोर्स : Whatsapp News Group )

Banke Bihari Temple VIP Darshan (फोटो सोर्स : Whatsapp News Group )

Banke Bihari Temple Sanatan Ekta: वृंदावन धाम स्थित विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में रविवार को बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दर्शन के दौरान भारी हंगामा हुआ। उनके आगमन के साथ ही मंदिर में पहले से मौजूद श्रद्धालु और उनके समर्थकों की भीड़ इतनी बढ़ गई कि पुलिस और सेवायतों के बीच तीखी नोकझोंक और धक्का-मुक्की शुरू हो गई। इस झड़प में कुछ सेवायतों के कपड़े फट गए। विवाद की परिस्थितियों में ASP अनुज चौधरी पर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के तरीकों को लेकर सवाल उठे। मंदिर की वीआईपी दर्शन प्रक्रिया और भीड़ नियंत्रण पर अब प्रशासन को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पदयात्रा का समापन बांके बिहारी मंदिर में हो रहा था, और उनकी लोकप्रियता के चलते पहले से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर में मौजूद थे। लेकिन जैसे ही वे वीआईपी प्रवेश द्वार से अंदर दाखिल हुए, उनकी मौजूदगी ने एक नया हुजूम खड़ा कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शास्त्री के साथ आए समर्थकों और पहले से मौजूद भीड़ के बीच एक घनी आबादी बन गयी, जिससे गर्भगृह के पास रहने वाला दबाव अचानक बढ़ गया। सूत्रों के मुताबिक, धीरेंद्र शास्त्री के आकर्षण ने मंदिर में भीड़ का दबाव “प्रचंड” कर दिया।  इसके चलते मंदिर की व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गयी। सुरक्षा बलों और सेवायतों दोनों ने नियंत्रण की कोशिश की, लेकिन स्थिति बहुत जल्दी अनियंत्रित हो गयी।

नोकझोंक से धक्का-मुक्की तक

बहुत जल्द, गर्भगृह के पास पहुंचने की कोशिश में सेवायतों (मंदिर में व्यवस्था संभालने वाले लोग) और पुलिस कर्मियों के बीच नोकझोंक शुरू हो गयी। सेवायतों का तर्क था कि वे मंदिर की मर्यादा बचाने की कोशिश कर रहे हैं, वे गर्भगृह के नजदीक आने वाली भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे, ताकि मंदिर के अंदर की पवित्रता बनी रहे। लेकिन पुलिस का कहना था कि उनको सुरक्षा बनाए रखने के लिए कदम उठाना पड़ रहा है और उन्हें भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सख्ती बरतनी पड़ी। इस विवाद में हिंसक तत्व भी शामिल हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि नोकझोंक एक जोरदार धक्का-मुक्की में बदल गयी। कुछ सेवायतों के कपड़े भी फट गए, यह संकेत था कि झड़प में शारीरिक संपर्क, धक्का और संभवतः बल का इस्तेमाल हुआ था। नाराज सेवायतों ने पुलिस पर “अभद्रता” और “मारपीट” करने का आरोप लगाया।

एक सेवायत ने अपना फटा हुआ कुर्ता दिखाते हुए कहा, “हम लोग सिर्फ व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने हमें ही धक्का दिया और हमें पीटा, जिससे हमारे कपड़े फट गए।” उन्होंने यह भी कहा कि वीआईपी दर्शन की आड़ में मंदिर की मर्यादा भंग की जा रही है और सेवायतों तथा पुरानी हिंदू परंपराओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।

पुलिस और सुरक्षा की चुनौती

पुलिस ने भीड़ नियंत्रण और भक्तों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की कोशिश की, लेकिन उनकी रणनीति पूरी तरह कारगर नहीं लग रही थी। बड़े आयोजनों में सुरक्षा और समन्वय हमेशा चुनौती बनाए रहते हैं, खासकर जब किसी लोकप्रिय धर्मगुरु का आगमन हो और श्रद्धालु भारी मात्रा में हों। इस घटना ने बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं: मंदिर प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने वीआईपी दर्शन और सामान्य दर्शन के बीच संतुलन कैसे रखा था? क्या पहले से पर्याप्त भीड़ प्रबंधन योजना बनाई गयी थी? और क्या वीआईपी दर्शन के नाम पर व्यवस्था मंदिर की पवित्रता और सेवायतों की पारंपरिक भूमिका को प्रभावित कर रही है?

मंदिर प्रबंधन पर बढ़ता दबाव

यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब बांके बिहारी मंदिर की व्यवस्था और प्रबंधन को लेकर पहले से ही आलोचनाएं होती रही हैं। ग़ैर-सरकारी एवं धार्मिक संस्थाओं ने बार-बार मंदिर की भीड़, संरचनात्मक डिजाइन, और दर्शन व्यवस्था की समीक्षा की मांग की है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, मंदिर समिति और सेवायत समुदाय के बीच हितों में मतभेद हैं। गोस्वामी समुदाय, जो लंबे समय से मंदिर परिचालन में शामिल रहा है, नए सुधारों जैसे कॉरिडोर निर्माण का विरोध करता रहा है। यह विरोध केवल धार्मिक नहीं है बल्कि समाज-सांस्कृतिक पहचान और अधिकारों से जुड़ा हुआ माना जाता है। वहीं, मंदिर के VIP दर्शन को लेकर भी बड़ी चर्चाएं हैं। हाल ही में, दो व्यक्तियों को “फर्जी बाउंसर” बनकर भक्तों से अवैध वसूली करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस तरह की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि मंदिर में व्यावसायिक और सुरक्षा चुनौतियां सिर्फ धार्मिक नहीं, प्रशासनिक भी बन गयी हैं।

पवित्रता की रक्षा और श्रद्धालुओं की अपेक्षाएं

सेवायतों द्वारा जताई गई नाराज़गी सिर्फ व्यक्तिगत नहीं है, वे इस बात पर जोर देते हैं कि मंदिर की पवित्रता और परंपराएं बनाए रखी जानी चाहिए। उनका कहना है कि वीआईपी दर्शन की बढ़ती प्रवृत्ति से मंदिर के धार्मिक और आध्यात्मिक चरित्र को खतरा हो सकता है। सेवायतों की दृष्टि से, उनका काम मात्र दर्शनों को सुगम बनाना नहीं है, वे मंदिर की मर्यादा, परंपरा, और पूजा पद्धति की रक्षा करते हैं। इसलिए, जब वे महसूस करते हैं कि नया भीड़ प्रबंधन या वीआईपी व्यवस्था उनकी पारंपरिक भूमिका को कमजोर कर रही है, तो उनका विरोध स्वाभाविक है।


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