मुरैना. अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (एआरएसएम) एवं म प्र शिक्षक संघ के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षकों ने कलेक्टर प्रतिनिधि के रूप में कलेक्ट्रेट में मौजूद डिप्टी कलेक्टर मेघा तिवारी को देश के प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन दिया।
ज्ञापन में प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि शिक्षकों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले 01 सितम्बर 2025 के उच्चतम न्यायालय के शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य कर दिया गया है। इस निर्णय ने देश भर के लाखों शिक्षकों को सेवा-सुरक्षा और आजीविका को संकट में डाल दिया है। शिक्षक संघ के नेताओं ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 तथा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 के अंतर्गत स्पष्ट रूप से दो श्रेणियों मान्य की गई थीं जिसमें वर्ष 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षक जिन्हें टीईटी से छूट दी गई थी एवं वर्ष 2010 के बाद नियुक्त शिक्षक, जिनके लिए एक निश्चित अवधि में टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य किया गया था, उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय में इस तथ्य को अनदेखा कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूम 2010 से पूर्व वैध रूप से नियुक शिक्षकों की सेवा भी असुरक्षित हो गई है। इस निर्णय से देशभर में लगभग 20 लाख से अधिक शिक्षक गहन चिंता और असमंजस की स्थिति में हैं। वहीं म प्र शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष पवन परिहार के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से मांग की है कि शिक्षकएप में व्यवहारिक त्रुटियों को सुधार करवाने के बाद ई-अटेंडेंस लगवाई जाए, शिक्षक के पर्सनल डाटा लीक होने की पूरी संभावना है, इससे पूर्णरूप से शिक्षक आश्वस्त किया जाए यदि कोई फ्रॉड होता है। शासन इसकी जिम्मेदारी ले एवं शिक्षकों को मोबाइल एवं रीचार्ज की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए।
न्यायालय का यह निर्णय केवल भविष्यलक्षी ( प्रोसपेक्टिव) रूप से लागू किया जाए, 2010 से पूर्व नियुक शिक्षकों पर नहीं।
वैध नियमों के अंतर्गत नियुक्त अनुभवी शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा एवं गरिमा सुनिश्चित की जाए।
लाखों शिक्षकों की सेवा समाप्ति अथवा आजीविका संकट से बचाने हेतु आवश्यक नीतिगत अथवा विधायी कदम शीघ्र उठाए जाएं।
Published on:
18 Sept 2025 10:54 am
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