(राजस्थान पत्रिका फोटो)
नागौर. प्रदेश में 1.10 करोड़ से ज्यादा बिजली उपभोक्ताओं के स्मार्ट मीटर लगाने के लिए डिस्कॉम में 14 हजार करोड़ से अधिक के कार्यादेश जारी किए हैं। राज्य सरकार के ऊर्जा विभाग का दावा है कि भारत सरकार की रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के अनुरूप डिस्कॉम में स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, जिससे बिजली बिल में पारदर्शिता आएगी और उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा। हालांकि इस मीटर से उपभोक्ताओं को कितना फायदा होगा, यह तो समय बताएगा, लेकिन 14 हजार करोड़ से अधिक की राशि केवल स्मार्ट मीटर लगाने पर खर्च होने वाली भारी-भरकम राशि का बोझ अप्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ताओं पर ही आएगा। क्योंकि वर्तमान में बिजली बिल में विभिन्न प्रकार के चार्ज जोडकऱ उपभोक्ताओं से वसूले जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि जिले में स्मार्ट मीटर लगाने का काम चल रहा है, जबकि हकीकत यह है कि चारों तरफ विरोध होने के कारण काम धीमा हो गया है और अब उन्हीं लोगों के स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, जिनके खराब हो गया है या नया लगवाना है।
प्रदेश में श्रेणीवार बिजली उपभोक्ता
घरेलू - 1,29,56,367
अघरेलू - 12,64,913
सार्वजनिक पथ प्रकाश - 22,595
कृषि - 19,29,549
औद्योगिक लघु - 1,47,207
औद्योगिक मध्यम - 39,031
औद्योगिक वृहत - 17,245
वॉटर वक्र्स - 71,549
मिक्सलोड - 20,209
इलेक्ट्रीक वाहन - 854
कुल - 1,64,69,519
प्रदेश में आरडीएसएस के अंतर्गत स्मार्ट मीटरों की स्थापना के लिए जारी कार्यादेश
जयपुर डिस्कॉम - 4505.65 करोड़ रुपए
अजमेर डिस्कॉम - 5273.47 करोड़ रुपए
जोधपुर डिस्कॉम - 4258.05 करोड़ रुपए
विभाग के अनुसार जयपुर डिस्कॉम में 16 अगस्त 2025 को कुल चार टेंडर के कार्यादेश जारी किए गए हैं। इसी प्रकार अजमेर डिस्कॉम में 27 अगस्त 2025 को कुल तीन टेंडर के कार्यादेश तथा जोधपुर डिस्कॉम में 20 अगस्त 2025 को तीन टेंडर के कार्यादेश जारी किए गए। तीनों डिस्कॉम की ओर से जारी कार्यादेश की कुल राशि 14037.17 करोड़ रुपए है। अकेले नागौर जिले में करीब साढ़े तीन लाख स्मार्ट मीटर लगाए जाने हैं, जिस पर 300 करोड़ खर्च आएगा।
बिजली विभाग के अनुसार स्मार्ट मीटर के लाभ
- विद्युत उपभोग का बेहतर प्रबंधन
- विद्युत शिकायतों का त्वरित समाधान
- मोबाइल ऐप के माध्यम से अपने बिजली उपभोग को रियल टाइम में देख सकते हैं, जिससे उपभोक्ता अपनी खपत को बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं और बिजली की अनावश्यक बर्बादी को रोक सकते हैं।
- बिजली बिल में पारदर्शिता : स्मार्ट मीटर बिलिंग प्रक्रिया में त्रुटियों की संभावना को समाप्त करते हैं, क्योंकि रिडिंग स्वचालित रूप से बिलिंग सर्वर पर पहुंच जाती है, जिससे सटीक बिलिंग होती है।
- रूफटॉप सोलर चाहने वाले उपभोक्ताओं के लिए यह मीटर, नेट मीटर का कार्य करेंगे, जिसमें उन्हें 5 से 6 हजार रुपए की आर्थिक बचत होगी।
विरोध के प्रमुख कारण
- बढ़े हुए बिजली बिल : उपभोक्ताओं का दावा है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद उनके बिल दो से चार गुना तक बढ़ गए हैं।
- तकनीकी समस्याएं और गलत रीडिंग : खराब मीटरों के कारण रीडिंग में गड़बड़ी और बिजली कटौती के बाद भी रीडिंग बढऩे के आरोप हैं।
जबरन थोपी गई योजना : कई उपभोक्ताओं का कहना है कि यह योजना उन पर जबरन थोपी जा रही है और उन्हें इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं दी जा रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में समस्याएं : ग्रामीण इलाकों में कमजोर तकनीकी बुनियादी ढांचा होने के कारण स्मार्ट मीटर ठीक से काम नहीं कर पाएंगे।
लागत और निजीकरण का डर: कुछ लोगों का कहना है कि स्मार्ट मीटर योजना सरकार पर आर्थिक बोझ है और इससे भविष्य में बिजली टैरिफ में वृद्धि हो सकती है। यह भी आरोप है कि कुछ कम्पनियों को फायदा पहुंचाने के लिए यह योजना लाईगई है।
स्मार्ट मीटर में कोई दिक्कत नहीं
स्मार्ट मीटर लगाने का काम केन्द्र सरकार की योजना आरडीएसएस का हिस्सा है। इसमें आने वाले खर्च को केन्द्र व राज्य सरकार वहन कर रही है। उपभोक्ताओं पर कोई बोझ नहं आएगा। नागौर शहर में वर्ष 2021 में दस हजार मीटर लग गए थे। अब रोजाना 15-20 मीटर शहर में लग रहे हैं। लोगों की भ्रांति धीरे-धीरे दूर कर रहे हैं। यह पूरी तरह पोस्ट पेड मीटर है, इसमें प्री-पेड की कोई प्लानिंग नहीं है। लेकिन यदि कोई लगवाएगा तो, उसे 15 पैसे प्रति यूनिट की छूट मिलेगी। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि हमें रीडिंग लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। सब कुछ ऑनलाइन है।
- अशोक चौधरी, एसई, डिस्कॉम, नागौर
Updated on:
28 Sept 2025 11:27 am
Published on:
28 Sept 2025 11:26 am
बड़ी खबरें
View Allनागौर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग