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मनरेगा ठप, मजदूर बेहाल, 18 पंचायतों में रोजी-रोटी का संकट

नागौर जिले के रोल क्षेत्र की 18 ग्राम पंचायतों में मनरेगा कार्य कई महीनों से ठप पड़े हैं। इससे क्षेत्र के 10 से 15 हजार मजदूरों की रोजाना की आय रुक गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि जनप्रतिनिधि और प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

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रोल. मनरेगा कार्य बंद रहने पर नाराजगी जताते ग्रामीण।

- आगामी पंचायत चुनाव में पड़ सकता है असर, सरपंच भी दबाव में

- जनप्रतिनिधियों की चुप्पी से आक्रोश, पलायन बढ़ा और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित

नागौर जिले के रोल क्षेत्र की 18 ग्राम पंचायतों में मनरेगा कार्य कई महीनों से ठप पड़े हैं। इससे क्षेत्र के 10 से 15 हजार मजदूरों की रोजाना की आय रुक गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि जनप्रतिनिधि और प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

ग्रामीणों के अनुसार, मनरेगा कार्य चलने पर एक पंचायत में औसतन 700 से 800 लोगों को काम मिलता है। ऐसे में योजना बंद होने से हजारों परिवारों की आय पर सीधा संकट खड़ा हो गया। सरकार ने फर्जीवाड़ा रोकने के नाम पर अचानक नियम कड़े कर दिए, लेकिन इसका खामियाजा असली मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है। कार्रवाई ऊपर की बजाय नीचे के स्तर पर हुई, जिससे कार्य पूरी तरह रुक गए। इन ग्राम पंचायतों रोल, बोड़वा, डीडिया, रूपाथल, लूणसरा, बुगरड़ा, टांगला, ढेहरी, फरड़ोद, तरनाऊ, गैलोली, अड़वड़, रातंगा, मांगलोद, सोनेली, सरासनी, गगवाना और साडोकन में मनरेगा कार्य बंद हैं।

काम की तलाश में पलायन मजबूरी

रोजगार बंद होने के बाद मजदूर ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन कर गंगानगर, हनुमानगढ़ और बीकानेर के ईंट-भट्टों पर काम करने लगे हैं। मजदूर परिवारों के बाहर जाने से कई बच्चों की पढाई छूट गई है । ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत से लेकर जिला स्तर तक शिकायतें की गईं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

ग्रामीण ने दर्द बताते हुए कहा कि चुनाव में रोजगार के वादे सभी करते हैं, आज हमारी रोटी पर संकट है तो कोई नहीं आ रहा।

चुनाव नजदीक, सरपंच भी दबाव में

पंचायत राज चुनाव करीब हैं। ऐसे में मनरेगा ठप रहना सरपंचों के लिए भी बड़ी चुनौती बन गया है। कई सरपंचों का कहना है कि काम बंद रहने से ग्रामीण नाराज हैं और इसका सीधा असर मतदान पर पड़ सकता है।

खदानों में मजदूरों का शोषण बढ़ा

मनरेगा कार्य बंद होने से पास की चाइना क्ले खदानों ने मजदूरी घटाकर 180-200 रुपए कर दी है। सुबह चार बजे ओवरलोड, बिना नंबर प्लेट और बिना फिटनेस वाले वाहनों में 25-30 मजदूरों को खदानों में ले जाया जाता है। इससे उनकी सुरक्षा खतरे में है।

15 दिन बाद आंदोलन की योजना

गुस्साए मजदूर एकजुट होने लगे हैं। गांवों में बैठकें कर 15 दिन बाद सामूहिक रूप से आंदोलन कर मनरेगा कार्य फिर चालू करवाने की मांग करने की योजना बनाई जा रही है।

ग्रामीणों का कहना है कि जब तक योजना शुरू नहीं होगी, आंदोलन जारी रहेगा।