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Bihar Election Result: मुसलमानों ने क्यों छोड़ा साथ…यादव भी रूठ गए, RJD की हार के 5 बड़े कारण

Bihar Election Result: सबसे बड़ा झटका राजद को मुस्लिम वोट बैंक से लगा। सीमांचल के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने धमाकेदार प्रदर्शन किया है। जहां राजद के केवल तीन मुस्लिम उम्मीदवार जीते हैं।

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RJD leader, Tejashwi Yadav

राजद नेता, तेजस्वी यादव (फोटो- IANS)

Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों ने राजनीतिक पंडितों को स्तब्ध कर दिया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और महागठबंधन का लगभग सूपड़ा साफ हो गया है। शाम 4 बजे तक आए आंकड़ों के अनुसार एनडीए अब तक का सबसे बड़ा बहुमत हासिल करने की ओर अग्रसर है, जबकि महागठबंधन 30 से भी कम सीटों पर सिमटता नजर आ रहा है। राजद, जो कभी बिहार की सियासत का पर्याय था, इस बार अपने परंपरागत ‘मुस्लिम-यादव’ (MY) गढ़ में भी ध्वस्त हो गया।

राजद की करारी हार के 5 बड़े कारण

MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण का पूरी तरह टूटना

राजद ने 50 यादव और 18 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन शाम 6 बजे तक के रुझानों में केवल 3 यादव और 3 मुस्लिम उम्मीदवार ही जीत की स्थिति में हैं। यादव मतदाताओं का बड़ा हिस्सा मोदी-नीतीश की योजनाओं (आवास, शौचालय, उज्ज्वला, किसान सम्मान निधि) का लाभार्थी बना और उसने जाति से ऊपर उठकर वोट दिया। मुस्लिम वोट भी एकजुट नहीं रहा।

सीमांचल में ओवैसी का धमाका, मुस्लिम वोट का भारी विभाजन

AIMIM ने किशनगंज, अररिया, कटिहार, और पूर्णिया क्षेत्र में कम से कम 5 सीटें जीत लीं और कई पर मजबूत लड़ाई लड़ी। राजद ने ओवैसी को गठबंधन में लेने से इनकार किया था, जिसका खामियाजा मुस्लिम बहुल 25-30 सीटों पर वोट कटने के रूप में चुकाना पड़ा। कई सीटों पर AIMIM तीसरे-चौथे स्थान पर रहकर भी राजद को हराने का कारण बनी।

तेजस्वी यादव की अपरिपक्वता और नकारात्मक कैंपेन

'नीतीश जी थक गए हैं' और '90 बार कुर्सी बदली' जैसे निजी हमले और बेरोजगारी के अलावा कोई ठोस विजन न दे पाना जनता को पसंद नहीं आया। वहीं नीतीश कुमार ने शांतिपूर्ण, विकास-केंद्रित अभियान चलाया। महिलाओं ने नीतीश के शराबबंदी और कानून-व्यवस्था को सराहा, जबकि तेजस्वी का 'पकोड़ा-चाय' वाला तंज उल्टा पड़ गया।

महागठबंधन में आपसी अविश्वास और सीट बंटवारे में गड़बड़ी

कांग्रेस ने 70 सीटें मांगीं, अंत में 56 पर समझौता हुआ, लेकिन कई सीटों पर बगावत हुई। वाम दलों का वोट ट्रांसफर राजद को नहीं मिला। वहीं एनडीए में बीजेपी-जदयू के बीच पूरा तालमेल रहा। चिराग पासवान की LJP (Ram Vilas) ने भी कई सीटों पर राजद के वोट काटे।

मोदी-नीतीश की जोड़ी का मैजिक और लाभार्थी वर्ग का एकतरफा झुकाव

केंद्र की योजनाओं से बने करीब 2.5-3 करोड़ लाभार्थियों (खासकर EBC, दलित, महादलित, और गरीब यादव-मुस्लिम महिलाएं) ने एनडीए को वोट दिया। नीतीश की 'सुशासन' और मोदी की गारंटी ने मिलकर जातीय दीवारें तोड़ दीं। राजद के पास इन योजनाओं का कोई जवाब नहीं था।