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‘मस्जिद का निर्माण ही अपवित्र था’, पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- 1045 पन्नों का फैसला पढ़ें फिर प्रतिक्रिया दें

पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सोशल मीडिया पर उनके बयान का सिर्फ एक टुकड़ा वायरल हो रहा है। अयोध्या राम मंदिर का फैसला 1045 पन्नों में दर्ज है। उसे पढ़कर ही किसी को भी राय बनानी चाहिए। पढ़ें पूरी खबर...

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Former cji dy chandrachud

पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ( फाइल फोटो)

अयोध्या में राम मंदिर मामले में दिए गए फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (EX CJI DY Chandrachud) ने प्रतिक्रिया दी है। दरअसल, उन्होंने हाल में एक इंटरव्यू में बयान दिया था कि बाबरी मस्जिद (Babari mosque) का निर्माण बुनियादी तौर पर अपवित्र कार्य था, जिसके बाद विवाद छिड़ गया था। इस पर सोशल मीडिाय पर बवाल छिड़ गया था। इस पर अपनी सफाई में पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।

जब एक मीडिया इंटरव्यू में पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ से सवाल किया गया कि क्या अपवित्र करने को लेकर हिंदू पक्ष जिम्मेदार था, जैसे कि मूर्ति रखना। इस पर जस्टिस (रिटायर्ड) चंद्रचूड़ ने कहा, 'मस्जिद का निर्माण ही बुनियादी रूप में अपवित्र कार्य था।'

पहले 1045 पेजों का फैसला पढ़ें - एक्स सीजेआई

मीडिया कॉन्क्लेव में बोलते हुए जस्टिस (रिटायर्ड) चंद्रचूड़ ने कहा, 'सोशल मीडिया पर जो हो रहा है वह यह है कि लोग जवाब के एक हिस्से को उठाकर दूसरे हिस्से के साथ जोड़ देते हैं, जिससे संदर्भ पूरी तरह से हट जाता है। उन्होंने साफ किया कि अयोध्या मामले का फैसला आस्था के आधार पर नहीं, बल्कि साक्ष्य और कानूनी सिद्धांतों के आधार पर हुआ था। पूर्व सीजेआई ने कहा, फैसला 1,045 पन्नों का था क्योंकि मामले का रिकॉर्ड 30,000 पृष्ठों से अधिक का था। इसकी आलोचना करने वाले ज्यादातर लोगों ने फैसला नहीं पढ़ा है। पूरा दस्तावेज पढ़े बिना सोशल मीडिया पर अपनी राय पोस्ट करना आसान है।

मस्जिद के नीचे मंदिर के साक्ष्य

इंटरव्यू में पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने यह भी बताया कि फैसले में न्यायालय को पुरातात्विक साक्ष्य मिले कि मस्जिद के नीचे एक मंदिर था, जिसे मस्जिद बनाने के लिए तोड़ दिया गया था। उन्होंने कहा, 'अब, जब आप स्वीकार करते हैं कि इतिहास में ऐसा हुआ था, और हमारे पास पुरातात्विक साक्ष्य के रूप में सबूत मौजूद हैं, तो आप अपनी आंखें कैसे बंद कर सकते हैं? तो, इनमें से कई टिप्पणीकार, जिनका आपने जिक्र किया है, वास्तव में इतिहास के बारे में एक चयनात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, इतिहास में एक निश्चित अवधि के बाद जो कुछ हुआ उसके साक्ष्यों को नजरअंदाज करते हैं और ऐसे साक्ष्यों को देखना शुरू करते हैं जो अधिक तुलनात्मक हैं।

गौरतलब है कि, जस्टिस (रिटार्यड) चंद्रचूड़ तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ के सदस्य थे, जिसने नवंबर 2019 में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने के पक्ष में फैसला सुनाया था। साथ ही, मुस्लिमों को मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया था।