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1983 नेल्ली नरसंहार पर 42 साल बाद उजागर हुई दो रिपोर्टें, सुलझी 3000 हत्याओं की गुत्थी

1983 के नेल्ली नरसंहार पर 42 साल बाद सामने आई दो जांच रिपोर्टों ने घटनाओं के कारणों और जिम्मेदारियों पर एक-दूसरे से विपरीत निष्कर्ष दिए हैं। इस सामूहिक हत्या में 1800–3000 बंगाली मुस्लिम मारे गए थे, लेकिन आज तक किसी दोषी पर कार्रवाई नहीं हुई।

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nellie massacre

नेल्ली नरसंहार के 42 साल बाद सामने आई रिपोर्ट (Patrika Graphic)

असम आंदोलन के बीच 1983 में हुए असम विधानसभा चुनाव के दौरान नेल्ली में हुए नरसंहार के 42 साल बाद दो जांच रिपोर्टों ने उजाला देखा है। इस नरसंहार में आधिकारिक रूप से 1800 और गैर-सरकारी जानकारी में 3000 से ज्यादा लोगों की हत्या की गई थी। असम की हिमंत बिस्व सरमा सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में नेल्ली नरसंहार को लेकर दो जांच रिपोर्टें रखी। पहली रिपोर्ट तत्कालीन मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की ओर से आईएएस अधिकारी त्रिभुवन प्रसाद तिवारी की अध्यक्षता वाले आयोग की है। दूसरी रिपोर्ट उस समय आंदोलनरत छात्र संगठनों की ओर से हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टी.यू. मेहता की अध्यक्षता में गठित गैर-सरकारी न्यायिक जांच आयोग की है।

दिलचस्प बात यह है कि दोनों रिपोर्टों में घटनाओं के कारणों, जिम्मेदारियों और प्रशासनिक विफलताओं को लेकर विरोधाभासी निष्कर्ष निकाले गए हैं। मेहता आयोग ने चुनाव करवाने को नरसंहार का जिम्मेदार माना है, जबकि तिवारी आयोग ने परोक्ष रूप से छात्र संगठनों और प्रशासनिक विफलता को जिम्मेदार ठहराया है।

पीड़ित ज्यादातर मुस्लिम, कोई कार्रवाई नहीं

नरसंहार में बड़े पैमाने पर बंगालीभाषी मुस्लिमों की हत्या हुई और उनकी संपत्तियां जलाई गईं। इनमें अधिकतर बांग्लादेशी शरणार्थी व घुसपैठिये बताए जाते हैं। घटना के घाव अब तक महसूस किए जाते हैं। खास बात यह है कि इन मामलों में दोषियों की गिरफ्तारी या कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई।

तिवारी आयोग: चुनाव कराना हिंसा का कारण नहीं

चुनाव के कारण हिंसा नहीं, प्रशासन कमजोर
छात्र संगठन आसू और असम गण संग्राम परिषद का आंदोलन हिंसा का प्रमुख कारण
पुलिस–प्रशासन की पहुंच बाधित, कई स्थान अराजक भीड़ के हवाले
खुफिया तंत्र चुनाव-पूर्व तनाव का सही अनुमान लगाने में विफल
जमीन और जनसंख्या असंतुलन पर असमिया लोगों की चिंताएं वाजिब

जस्टिस मेहता आयोग: चुनाव के कारण हुई हिंसा

1983 के चुनाव हिंसा का तात्कालिक कारण
केंद्र सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए चुनाव कराए
हालात स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के योग्य नहीं थे
नरसंहार में 3000 लोगों की जान गई
विदेशी नागरिकों के मुद्दे का समाधान होने तक तनाव रहने की चेतावनी

क्या था नेल्ली नरसंहार?

नेल्ली नरसंहार (Nelli Massacre) असम के नगाँव जिले (अब मोरीगाँव जिला) में) में 18 फरवरी 1983 को हुआ एक भयावह साम्प्रदायिक नरसंहार था, जिसमें मुख्य रूप से बंगाली मूल के मुस्लिम प्रवासियों (जिन्हें स्थानीय लोग "मियाँ" या "बांग्लादेशी घुसपैठिया" कहते थे) की हत्या की गई।