
नीमच. उस दिन सुबह प्रतिदिन की तरह की दुकान पर गया था। मेरी मेडिकल शॉप है। मुझे एसिडिटी और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत भी है। 21 जुलाई को दोपहर में दुकान पर रहते सीने में दर्द उठा। एसिडिटी की समस्या समझ उसकी दवा खाली ली थी। शाम को अचानक फिर से दर्द उठा। इस बार ऐसा लगा मानो कोई सीने में सुई चुभा रहा हो, बिना समय गंवाए तुरंत घर पहुंचा। पत्नी रिकिताछाबड़ा को परेशानी बताई और कहा तुरंत अस्पताल चलने को कहा। कुछ ही देर में निजी नर्सिंग होम पहुंच गए। जांच में बीपी 240/110 निकला। डॉक्टर ने इको किया और फिर टेबल से उठने ही नहीं दिया, जबतक मेरा बीपी कुछ कम नहीं हो गया। डॉक्टर ने 10 मिनट में हालात पर काबू पर लिया। नहीं तो मुझे उस समय यमराज दिखाई देने लगे थे।
नीमच में नहीं हैं बेहतर व्यवस्था
यह वाक्या बीता था मेडिकल स्टोर के संचालक गौरव छाबड़ा के साथ। उन्होंने बताया कि चूंकि में मेडिकल लाइन से हूं। मुझे शरीर में होने वाली परेशानी के बारे में जानकारी है। चूंकि मुझे एसिडिटी की शिकायत थी तो दर्द को सामान्य तरीके से ही ले रहा था। उसे दिन काफी तेज दर्द उठा था। बहुत मुश्किल से घर पहुंचा था। यदि उस दिन में दुकान से घर आने में लापरवाही बरतता तो दूसरे दिन की सुबह मेरे नसीब नहीं होती। जब मेरा बीपी सामान्य हुआ तो नीमच में ही एक अन्य निजी अस्पताल पहुंचकर दूसरे दिन स्टेंट डलवाए। चार माह बीत गए हैं अब सामान्य जीवन जी रहा हूं। उस दिन मेरी पत्नी और छोटे बेटे माधव छाबड़ा ने काफी हिम्मत बढ़ाई थी। नीमच में अब एक निजी अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध है। सरकारी अस्पताल तो अब भी गंभीर मरीजों को रेफर करने के लिए प्रसिद्ध है।
साइलेंट अटैक की अहम वजह
युवाओं में साइलेंट अटैक चिंताजनक हो गया है। कम उम्र के युवाओं में साइलेंट हार्ट अटैक के मामले बढऩे के पीछे कई कारण हैं। इनमें उनकी जीवनशैली और मानसिक स्वास्थ्य सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं। युवाओं की बदलती और खराब जीवनशैली इसके लिए सबसे अधिक जिम्मेदार है। यह युवाओं में दिल के दौरे का सबसे बड़ा कारण है। शारीरिक श्रम कम हो गया है। घंटों तक कुर्सी पर बैठे रहना या गैजेट्स का उपयोग करना हृदय को कमजोर करता है और मोटापा व कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है। फास्ट फूड, जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड और तेल घी, नमक तथा चीनी से भरपूर आहार का अत्यधिक सेवन। देर रात तक जागना और अपर्याप्त नींद लेना शरीर में तनाव हार्मोन (जैसे कोर्टिसोल) को बढ़ाता है। इससे ब्लड प्रेशर और दिल की धडकऩ अनियमित हो सकती है। युवाओं में टाइप 2 डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं। डायबिटीज से पीडि़ लोगों में तंत्रिका क्षति हो जाती है। इस कारण साइलेंट अटैक के दौरान उन्हें सीने में दर्द का एहसास नहीं हो पाता।
बन गया है ‘रेफरल अस्पताल’
जिला चिकित्सालय में वर्षों से विशेषज्ञों चिकित्सकों का अभाव है। हृदय रोगी विशेषज्ञ की सबसे ज्यादा जरूरत है। मरीज को तुरंत इलाज की आवश्यकता पड़ती है, वरना उसकी जान चली जाती है। जिला चिकित्सालय से गंभीर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है, इसलिए इसे रेफरल अस्पताल भी कहते हैं। उदयपुर, अहमदाबाद पहुंचने तक कई मरीज दम तोड़ देते हैं। वहां पहुंच भी गए तो भारी खर्च चिंता बढ़ा देता है। जिला चिकित्सालय बने 27 साल हो गए। अब तक यहां हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं होना हमारे क्षेत्र के मेडिकल सुविधाओं में पिछड़ेपन को दर्शाता है। हमारे जनप्रतिनिधियों की अकर्मण्यता इसके लिए जिम्मेदार है।
- किशोर जेवरिया, समाजसेवी
ट्रॉमा सेंटर में लग रही ओपीडी
27 साल पहले जिला चिकित्सालय भी अस्तित्व में आया था। यहां आज भी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। ट्रामा सेंटर भवन बनाया गया, लेकिन वहां भी ओपीडी लग रही है। गंभीर हृदय रोगियों को आज भी निजी अस्पतालों के भरोसे रहना पड़ रहा है। जिले के जनप्रतिनिधियों ने इस संबंध में कभी गंभीरता से चिंतन ही नहीं किया।
- रघुनंदन पाराशर, समाजसेवी
रेफर करना पड़ता है
जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में ह्रदय रोग विशेषज्ञ नहीं है। ऐसे में गंभीर मरीजों को अन्यत्र रेफर करना पड़ता है। युवाओं में साइलेंट अटैक के बढ़ रहे कारणों के पीछे उनकी अव्यवस्थित दिनचर्या सबसे बड़ा कारण है। खाद्य सामग्री में मिलावट की वजह से भी ह्रदय रोग बढ़ रहा है। बाहर का खाना कम खाएं। घर में तेल और घी का कम उपयोग करें। नियमित रूप से व्यायाम करें।
- डॉ. महेंद्र पाटिल, सिविल सर्जन
Published on:
22 Nov 2025 12:46 am
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