
नोएडा में सौ साल के मूर्तिकार को सम्मानित करते महाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे, अजित पवार व अन्य।
Maharashtra Bhushan Award: विख्यात मूर्तिकार और भारत की कई ऐतिहासिक प्रतिमाओं के शिल्पकार राम सुतार को शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘महाराष्ट्र भूषण’ से सम्मानित किया। विशेष बात यह रही कि सम्मान ग्रहण करने के लिए उन्हें यात्रा न करनी पड़े, इसलिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम अजीत पवार और संस्कृति मंत्री आशीष सैलार स्वयं नोएडा सेक्टर-19 स्थित उनके आवास पर पहुंचे। वहां उनके कमरे में जाकर ही यह प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किया गया।
राम सुतार की तबीयत पिछले कुछ समय से ठीक नहीं है और वह चलने-फिरने में असमर्थ हैं। ऐसे में महाराष्ट्र सरकार का शीर्ष नेतृत्व व्यक्तिगत रूप से उनके पास गया और उन्हें सम्मानित करते हुए कला जगत में उनके विराट योगदान को नमन किया। सम्मान प्राप्त करने के बाद 100 वर्षीय मूर्तिकार ने सभी का आभार जताया। इस मौके पर गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉ. महेश शर्मा भी मौजूद रहे। मूर्तिकार के बेटे अनिल सुतार ने कहा कि सरकार द्वारा घर आकर सम्मान देना उनके परिवार के लिए गर्व और भावनाओं से भरा क्षण है।
1925 में महाराष्ट्र के नांदूरबार जिले के गोंडूर गांव में एक साधारण परिवार में जन्मे राम सुतार ने अपने सौ साल इसी फरवरी में पूर्ण किए हैं। सीमित संसाधनों के बीच पले-बढ़े सुतार ने कला को अपना जीवन समर्पित किया और समय के साथ विश्व स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई। साल 1990 से वह नोएडा में रहते हैं, जहां उन्होंने अपना स्टूडियो भी स्थापित किया। भारत सरकार उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित कर चुकी है। उन्होंने महात्मा गांधी की 350 से अधिक प्रतिमाएं बनाई हैं, जो विभिन्न देशों में प्रतिष्ठित स्थानों पर स्थापित हैं। अजंता-एलोरा की गुफाओं में प्राचीन मूर्तियों के संरक्षण और जीर्णोद्धार में भी उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 20 मार्च को महाराष्ट्र विधानसभा में घोषणा की थी कि राज्य सरकार इस वर्ष ‘महाराष्ट्र भूषण’ पुरस्कार राम सुतार को देगी। पुरस्कार में 25 लाख रुपये और एक स्मृति चिह्न शामिल है। फडणवीस ने कहा कि यह महाराष्ट्र के लिए गर्व की बात है कि राम सुतार मूल रूप से राज्य के निवासी हैं और अपनी अद्भुत कला के माध्यम से उन्होंने देश-दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। उनकी बनाई प्रतिमाएं न केवल भारत के कई ऐतिहासिक स्थलों की पहचान हैं, बल्कि दुनिया के अनेक देशों में भी स्थापित हैं।
राम सुतार का नाम आते ही सबसे पहले याद आती है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी यानी सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा की, जो दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। यह उनका सबसे बड़ा और ऐतिहासिक योगदान माना जाता है। उन्होंने संसद भवन परिसर में स्थापित महात्मा गांधी की प्रतिष्ठित प्रतिमा तैयार की। अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्रस्तावित 251 मीटर ऊंची प्रतिमा के डिजाइन में योगदान दिया। बेंगलुरु में 153 फीट ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा बनाई।
इसके अलावा उन्होंने पुणे के मोशी में 100 फीट ऊंची छत्रपति संभाजी महाराज की प्रतिमा का निर्माण किया। पटना के गांधी मैदान में गांधी की बच्चों के साथ जुड़ी अनोखी प्रतिमा बनाई। अयोध्या में लता मंगेशकर चौक पर स्थापित विशाल वीणा की संरचना भी उन्होंने ही तैयार की। 100 वर्ष की उम्र में भी उनकी कला, दृष्टि और साधना आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा ‘महाराष्ट्र भूषण’ सम्मान उनके योगदान को सच्ची श्रद्धांजलि और राष्ट्रीय गौरव का पल है।
Published on:
15 Nov 2025 05:48 pm
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