
फर्जी रॉ अफसर के फर्जीवाड़े का खुलासा।
Fake RAW Officer: ग्रेटर नोएडा की पैरामाउंट गोल्फ फॉरेस्ट सोसाइटी के एक फ्लैट से मंगलवार को गिरफ्तार किए गए फर्जी रॉ अधिकारी सुनीत कुमार की परतें खुलनी जारी हैं। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि आरोपी पिछले एक साल में तीन दुबई, मलेशिया और श्रीलंका की विदेश यात्राएं कर चुका है। इसके साथ ही उसके नाम से जुड़े 10 बैंक खातों से करोड़ों की वित्तीय गतिविधियों का खुलासा हुआ है। नोएडा एसटीएफ ने सुनीत के दो बैंक खातों में जमा कुल 81 लाख रुपये को तत्काल प्रभाव से फ्रीज करा दिया है। खुलासा यह भी हुआ कि सुनीत ने एक साल पहले बिहार के छपरा में तैनात एक महिला जज से शादी की थी। सुनीत ने महिला जज को बताया था कि वह गृह मंत्रालय में अधिकारी है। जब एसटीएफ ने सच सामने रखा तो महिला जज भी पति की सच्चाई जानकर हैरान रह गई।
बताया जा रहा है कि महिला जज पति की सच्चाई सामने आने के बाद से सदमे की स्थिति में हैं। एसटीएफ अधिकारियों के अनुसार 37 साल के सुनीत कुमार की विदेश यात्राओं का उद्देश्य स्पष्ट नहीं हो पाया है। टीम यह पता लगाने में जुटी है कि इन दौरों के दौरान वह किन लोगों से मिला और उसकी गतिविधियां क्या रहीं। बैंकिंग जांच में टीम को अलग-अलग नामों पर खुलवाए गए उसके 10 खातों का पता चला है। इनमें से केवल एक खाते में ही बीते एक साल में तीन करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन दर्ज है। आरबीएल बैंक के खाते में 40 लाख और महिंद्रा बैंक खाते में 41 लाख रुपये पाए गए, जिन्हें फ्रीज करा दिया गया है।
इसी के साथ अधिकारी उसकी तीन संदिग्ध कंपनियों की भी जांच कर रहे हैं, जो दिल्ली और नोएडा के पते पर पंजीकृत हैं। फ्लैट में तलाशी के दौरान दिल्ली, बेंगलुरु और कर्नाटक के अलग-अलग पते पर किए गए एग्रीमेंट भी बरामद हुए हैं, जो उसके नेटवर्क के विस्तार की ओर इशारा करते हैं। एसटीएफ अधिकारियों ने बताया कि करीब दो महीने पहले सुनीत की संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिली थी। इसके बाद उसकी व्यापक निगरानी शुरू की गई। हाल ही में दिल्ली में हुए बम विस्फोट के बाद उसकी गतिविधियों पर जांच और तेज कर दी गई। पर्याप्त साक्ष्य मिलने पर उसे ग्रेटर नोएडा स्थित किराए के फ्लैट से गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने बताया कि वह चार महीने से वहीं रह रहा था।
जब एसटीएफ टीम उसके फ्लैट में पहुंची तो सुनीत, उसकी मां और बहन ने टीम पर दबाव बनाने का प्रयास किया। टीम के एक अधिकारी ने बताया कि सुनीत पूरी तरह एक वरिष्ठ अधिकारी की तरह व्यवहार कर रहा था। उसने टीम से कहा, "मेरे घर में घुसने की हिम्मत कैसे हुई? तुमने मेरा पायदान गंदा कर दिया।" वह स्वयं को रॉ का उच्च पदस्थ अधिकारी बताते हुए एक फर्जी पहचान पत्र भी दिखाने लगा। एसटीएफ ने तत्काल वास्तविक रॉ अधिकारियों को बुलाकर दस्तावेजों की जांच कराई, जिससे उसकी पहचान की पोल खुल गई। जांच में सामने आया कि वह मूल रूप से बिहार के वैशाली जिले के भगवानपुर थाना क्षेत्र के अजोई गांव का निवासी है और क्लीनिकल साइकोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट है।
एसटीएफ को सुनीत द्वारा बनाई गई तीन कंपनियों हप्पू मेंटल हेल्थ सर्विस, फेस्टम 24 टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड और लोकली टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड की जानकारी मिली है। इनमें सुनीत और उसकी मौसेरी बहन निदेशक बताए गए हैं। वह इन कंपनियों के जरिए आइपीओ निकालकर निवेशकों से भारी भरकम ठगी करने की योजना बना रहा था। फ्लैट की मालकिन मंजू गुप्ता ने बताया कि सुनीत ने स्वयं को सेना का मेजर बताकर फ्लैट किराये पर लिया था। पुलिस सत्यापन के लिए उसने दिल्ली पुलिस के डीसीपी के लेटरहेड पर ‘मेजर अमित कुमार’ के नाम से तैयार कराया गया फर्जी पत्र भी पेश किया था। जांच में यह दस्तावेज भी नकली पाया गया।
Published on:
20 Nov 2025 12:04 pm
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