
5 thousand cows and other projectsनरसिंहपुर. प्रदेश के 19 जिलों के साथ ही नरसिंहपुर जिले के ग्राम बेलखेड़ी शेढ़ में भी करीब 186 एकड़ भूमि में गो अभयारण्य तैयार किया जाएगा। जिसमें करीब 5 हजार गोवंश को आश्रय मिलेगा साथ ही अन्य प्रकल्प भी अपनाए जाएंगे। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया होने के साथ ही राजस्व विभाग अभयारण्य के लिए आवंटित हुई भूमि के राजस्व रिकार्ड को अपडेट करने में जुट गया है। जिले में दशकों से गो अभयारण्य बनाने की मांग हो रही थी, शासन-प्रशासन ने कई बार कार्य को लेकर दावे भी किए लेकिन अब जाकर शासन के दावे और लोगों की मांग मूर्तरूप लेने की उम्मीद जगी है। गो अभयारण्य तैयार होने से जिले में संचालित उन गोशालाओं को भी राहत मिलेगी जहां पर क्षमता से अधिक गोवंश होने के दावे होते रहते हैं।
गोटेगांव तहसील के ग्राम बेलखेड़ी शेढ़ में गो अभयारण्य के लिए भूमि चयनित करने के बाद शासन को महिनों पहले प्रपोजल भेजा गया था। जो जमीन अभयारण्य के लिए चयनित की गई है वहां वर्तमान में एक गोशाला भी चल रही है। जिसे अभयारण्य में मर्ज किया जाएगा या उसका स्थान बदलेगा फिलहाल यह तय नहीं है।
जिसका अच्छा प्रोजेक्ट उसे मिलेगा मौका
जिले में गो अभयारण्य बनना गोवंश की सुरक्षा व संवर्धन के लिए एक मील का पत्थर जैसा कार्य होगा। पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के अनुसार अभयारण्य के लिए टेंडर जारी किए गए हैं। जिसमें जो टेंडर लेगा उसे 50 लाख रुपए की राशि डिपाजिट करना होगी और प्रोजेक्ट बनाकर देना होगा। जिसमें गोवंश से जुड़ी व्यवस्थाओं समेत प्रकल्पों की जानकारी रहेगी। जिसका प्रोजेक्ट अच्छा रहेगा, शासन उसे अभयारण्य का कार्य सौंपेगा। खास यह होगा कि अभयारण्य में करीब 4 हजार निराश्रित गोवंश को रखना अनिवार्य होगा वहीं जो प्रोजेक्ट लेगा वह करीब एक हजार अच्छे गोवंश भी रख सकेगा जिसके जरिए अभयारण्य संचालन में मदद मिले और संचालित होने वाले प्रकल्पों को अच्छे ढंग से चलाया जा सके। इन प्रकल्पों में चारागाह, खाद निर्माण, दुग्ध संग्रह आदि कार्य शामिल होंगे। पशु चिकित्सा विभाग के एडीए डॉ. प्रवीण पटेल कहते हैं कि अभयारण्य बनने से निराश्रित गोवंश को रखने में भरपूर मदद मिलेगी।
नरसिंहपुर जिले में लंबे समय से गो अभयारण्य की मांग हो रही थी। जिले में गोवंश के लिए निर्धारित चारागाह अधिकांशत: खत्म हो गए हैं, चारागाह की जमीन पर अतिक्रमण हो गया है। गोवंश को चरने के लिए जगह निर्धारित नहीं है। हजारों की संख्या में गोवंश सडक़ों पर बेसहारा घूम रहा है। जिसमें अधिकांश गोवंश ऐसा है जिनके पालक जानबूझकर उसे खुला छोडकऱ रखते हैं। जिसके कारण कई गोवंश की वाहनों की चपेट में आने से असमय मौत हो जाती है वहीं कई गोवंश घायल हो जाता है जिसे समय पर इलाज नहीं मिल पाता है।
वर्जन
चयनित भूमि का प्रपोजल तो बहुत पहले चला गया था, अभी फाइल वापिस आई है। इसलिए जल्दी ही राजस्व रिकार्ड में भूमि संबंधी रिकार्ड अपडेट कर दिया जाएगा।
संघमित्रा गौतम, एसडीएम गोटेगांव
गो अभयारण्य का कार्य जिले की बड़ी उपलब्धि है। कार्य के लिए टेंडर जारी हो गए हैं, जो भी प्रोजेक्ट शासन को मिलेेंगे उसके बाद आगे कार्य होगा।
डॉ. एसके बृजपुरिया, उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएं नरसिंहपुर
Published on:
25 Nov 2025 03:09 pm
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