Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मजदूरी करने बाहर जाने से पहले पंचायत को बताना होगा कारण, देना होगा मोबाइल नंबर

-जिले में पलायन पर अंकुश लगाने प्रशासन ने शुरू की नई पहल। -डाटा एकत्र होने के बाद रोजगार दिलाने पर प्रशासन करेगा फोकस

2 min read
Google source verification

दमोह

image

Aakash Tiwari

Sep 15, 2025


मंडे पॉजिटिव
दमोह. अंचलों में रोजगार की स्थिति काफी दयनीय है। बेरोजगारी बढऩे से गांव के गांव खाली हो रहे हैं। युवा रोजगार की तलाश में दूसरे शहरों की खाक छान रहे हैं। हालांकि प्रशासन ने अब पलायन करने वालों का डाटा तैयार करने की योजना बनाई है। प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर पलायन करने वाले ग्रामीण मजदूरों की जानकारी एकत्र की जा रही है। साथ ही उनके गांव से बाहर जाने का कारण भी दर्ज कराया जा रहा है।
ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि पलायन की वास्तविक स्थिति प्रशासन को मालूम चल सके और उससे निपटा जा सके। कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने बताया कि अभी उनके पास पलायन का कोई अधिकृत डाटा नहीं है। ऐसे में हम पलायन को रोक पाने में अक्षम हैं, लेकिन अब इस पहल से हमें गांव में हो रहे पलायन की हकीकत मालूम चल पाएगी। ऐसे गांव मिल जाएंगे जहां पलायन सबसे ज्यादा है। वहां पर पलायन को कैसे रोका जा सकता है। उस पर रणनीति बनाई जाएगी। शासन की आत्मनिर्भर भारत योजना का अधिक से अधिक उपयोग ऐसे गांवों में कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि शासन स्तर से ढेरों योजनाएं संचालित हैं, जिसके जरिए ग्रामीणों को रोजगार व धंधे से जोड़ सकते हैं।
-मनरेगा योजना का नहीं मिल रहा लाभ
केंद्र सरकार की मनरेगा योजना का हश्र किसी से नहीं छिपा है। १०० दिन की गारंटी वाली मजदूरी कागजों तक सीमित है। फर्जी मस्टर डालकर कागजों में मजदूरों से काम कराए जाने की ढेरों शिकायतें सामने आ रही है, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों व पंचायतकर्मियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। मजदूरों की जगह मशीनों से काम कराया जा रहा है। वहीं, मजदूरी भी कम मिल रही है। ऐसे में ग्रामीण मजूदरी के लिए दिल्ली, गुजरात, भोपाल, इंदौर जैसे शहरों का रुख कर रहे हैं।
यह है प्रशासन का प्लान
-ग्राम पंचायत में पलायन करने वाले ग्रामीणों का नाम व पता दर्ज किया जाएगा।
-गांव से बाहर जाने का कारण लिखवाया जाएगा।
-कोशिश की जाएगी कि ग्र्रामीण गांव में ही रहे और उसे काम दिलाया जाए।
-प्रत्येक मजदूर का मोबाइल नंबर लिया जाएगा।
-लौटकर आने की जानकारी भी पंचायत लेगा।
-रनेह गांव में तो गुजरात से बस आती है सिर्फ मजदूरों को लेने
जिले के हटा ब्लॉक अंतर्गत आने वाले रनेह गांव में गुजरात से एक बस आती है। यह बस सप्ताह में दो दिन आती है, जिसमें सिर्फ मजदूर सफर करते हैं। बकायदा बस से वह गुजरात जाते हैं। वहां मजदूरी करते हैं। फिर वापस बस मजदूरों को गांव वापस छोड़ देती है। हालांकि इस बस में मजदूरों को अच्छा खासा किराया देना होता है। वहीं, जैसे-जैसे बस आगे बढ़ती है। मजदूरों की संख्या बढ़ जाती है और मजदूर भेड़ बकिरियों की तरह भरे हुए जाते हैं।
-जबेरा व हटा में है सबसे ज्यादा पलायन
जिले में सबसे ज्यादा पलायन हटा व जबेरा ब्लॉक में है। इन दोनों ब्लॉक में आदिवासी समाज ज्यादा है। चुनावों के समय इन्हें विशेष रूप से वापस बुलाने के लिए प्रशासन तैयारी करता है। त्योहारों के बाद इन ब्लॉकों के अंतर्गत आने वाले कई गांव खाली हो जाते हैं। घरों में ताले जड़े होते हैं।

वर्शन
पलायन रोकने के लिए एक रणनीति पर काम शुरू किया है। हम इनका डाटा तैयार कर रहे हैं। डाटा मिलने के बाद रोजगार के सभी पहलुओं पर हम काम करेंगे।
प्रवीण फुलपगारे, जिपं सीईओ