
दमोह. मेडिकल कॉलेज में अस्पताल बनाए जाने के लिए सिर्फ ६० करोड़ रुपए की जरूरत है। इनती राशि में मेडिकल कॉलेज में ५०० बेड का अस्पताल बनकर तैयार हो सकता है, लेकिन इस प्रोजेक्ट में यह राशि आवंटित नहीं की गई है। दूसरे फेज में अस्पताल बनाने की बात कही जा रही है। अधिकारियों की माने तो दूसरा फेस दो से तीन साल बाद शुरू हो सकता है, लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन वर्षों में जिला अस्पताल का वर्क लोड कैसे संभलेगा।
भर्ती मरीजों की तादाद दिन ब दिन बढ़ रही है। बीमारी वाले सीजन में तो अस्पताल में पलंग तक नहीं रहते। फ्लोर बेड लगाने की जरूरत पड़ जाती है। वहीं, पलंग न होने के कारण मरीजों को भर्ती तक नहीं किया जाता, सीधे रेफर कर दिया जाता है।
दूसरा पहलू यह भी है कि यदि दो से तीन साल मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर डीएच में सेवाएं देते हैं और इस दौरान मरीजों का यकीन नहीं जीत पाते हैं। बाद में मेडिकल कॉलेज में अस्पताल की सुविधा शुरू होती है तो ऐसी स्थिति में मरीज मेडिकल कॉलेज में इलाज कराने से कतराएंगे। वर्तमान में जिला अस्पताल की यही स्थिति है। मेडिसिन और गायनी को छोड़कर अन्य विभागों के प्रति मरीजों का रुझान कम है।
-क्रांगे्रस बनाएगी मद्दा, करेगी प्रदर्शन
इस मामले में नगर पालिका के पूर्व जिला अध्यक्ष मनु मिश्रा सामने आए हैं। उनका कहना है कि मरीजों के स्वास्थ्य से जुड़े मेडिकल कॉलेज में जिला अस्पताल न बनाया जाना बेहद निराशाजनक है। इस तरह के प्रयोग से मरीजों को परेशानी उठानी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल अलग-अलग होना चाहिए। सरकार का यह कदम निश्चित रूप से जिला अस्पताल को समाप्त करने वाला है। पूर्व अध्यक्ष मिश्रा ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में अस्पताल बनाए जाने के लिए तुरंत राशि जारी की जाए। ऐसा न होने पर कांग्रेस पार्टी प्रदर्शन करने बाध्य रहेगी।
-यहां १५० बेड की कहानी भी उलझी
जिला अस्पताल में ३५० बेड को ५०० बेड किया जाना है। इसका प्रपोजल जिला अस्पताल से भी भेजा गया है। हालांकि यह प्रबंधन ने अपने अस्पताल को अपग्रेड करने के लिए भेजा है। दूसरा प्रस्ताव प्रशासन की ओर से मेडिकल कॉलेज के संबंध में भेजा गया है। इसमें भी १५० बेड बढ़ाने की मंजूरी मांगी है। हालांकि दोनों प्रस्तावों पर अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।
Updated on:
15 Sept 2025 11:38 am
Published on:
15 Sept 2025 11:37 am
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