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नाथद्वारा बनेगा ‘स्मार्ट, क्लीन एंड ग्रीन सिटी’ : 30 करोड़ की परियोजना से बदल जाएगी शहर की तस्वीर

अब नाथद्वारा का चेहरा पूरी तरह बदलने जा रहा है। मुख्यमंत्री की बजट घोषणा वर्ष 2025-26 के तहत इस पवित्र नगरी को “क्लीन, ग्रीन एंड इको सिटी” के रूप में विकसित करने की तैयारी शुरू हो चुकी है।

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Smart City Dovelopment

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नाथद्वारा. अब नाथद्वारा का चेहरा पूरी तरह बदलने जा रहा है। मुख्यमंत्री की बजट घोषणा वर्ष 2025-26 के तहत इस पवित्र नगरी को “क्लीन, ग्रीन एंड इको सिटी” के रूप में विकसित करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। राजस्थान ड्रिंकिंग वॉटर सीवरेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (रूडसिको) ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के प्रबंधन की जिम्मेदारी उदयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड (यूएसएसएल) को सौंपी है। करीब 30 करोड़ रुपए की लागत से यह परियोजना तीन वर्षों में पूरी की जाएगी। नाथद्वारा के साथ ही माउंट आबू, जैसलमेर, बालोतरा और भीलवाड़ा जैसे शहरों को भी इस योजना में शामिल किया गया है।

स्मार्ट सिटी की तर्ज पर होगा नाथद्वारा का कायाकल्प

नाथद्वारा में लगभग 3 से 4 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को चयनित कर क्लीन, ग्रीन एंड इको सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। यह क्षेत्र शहर की लगभग 5 किलोमीटर लंबी मुख्य सड़क और उससे सटी कॉलोनियों को शामिल करेगा। नगरपालिका और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सहमति से लालबाग स्मार्ट बाजार से श्रीनाथ सदन होकर धारचा, महाराणा प्रताप सर्किल, गौरव पथ, तेलियों का तालाब और बनास पुलिया तक का पूरा मार्ग इस परियोजना के अंतर्गत चिन्हित किया गया है। इस 5 किलोमीटर लंबे और औसतन 60 फीट चौड़े मार्ग के आसपास के क्षेत्र हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, भाग्यश्री कॉलोनी, कनवा बस्ती, जयश्री कॉलोनी, बिच्छू मगरी, रेगर बस्ती और गणगौर घाट को मिलाकर 2 लाख 78 हजार 615 वर्गमीटर क्षेत्र को मास्टर प्लान में शामिल किया गया है।

स्मार्ट रोड और शहरी सुविधाओं की पूरी रूपरेखा तैयार

इस विशेष लाइट हाउस एरिया को अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त करने की योजना है। इसमें शामिल हैं:-

  • दोनों ओर नाले और वाटर ड्रेनेज सिस्टम का निर्माण।
  • फुटपाथ, सड़क डिवाइडर, और पार्किंग स्थल।
  • स्मार्ट सोलर स्ट्रीट लाइटें और सीसीटीवी कैमरे।
  • अंडरग्राउंड ओएफसी और इलेक्ट्रिक केबल डक्ट्स।
  • रेन वाटर हार्वेस्टिंग और एफिशिएंट सीवरेज सिस्टम।
  • स्मार्ट ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम और नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट सुविधाएं।
  • डिवाइडर और सड़क किनारों पर पौधरोपण, स्मार्ट डस्टबिन, और इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन।

ग्रीन जोन और सौंदर्यीकरण पर विशेष जोर

इस परियोजना का फोकस सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर नहीं बल्कि पर्यावरण संरक्षण और शहरी सौंदर्यीकरण पर भी है।

  • तेलियों का तालाब टंकी वाला पार्क, जयश्री कॉलोनी गार्डन, बिच्छू मगरी गार्डन, गणगौर घाट और श्मशान घाट जैसे क्षेत्रों में हरित उद्यानों का विकास किया जाएगा।
  • चित्रकूट खेल मैदान को उन्नत खेल परिसर के रूप में संवारा जाएगा।
  • सरकारी भवनों की बाहरी दीवारों पर आर्ट पेंटिंग होगी ताकि शहर की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को नया रूप दिया जा सके।
  • प्राचीन बावड़ियों का संरक्षण और गणगौर घाट का पुनर्विकास इस योजना का हिस्सा है।

मास्टर प्लान के अनुरूप होगा विकास

परियोजना का क्रियान्वयन महाराणा प्रताप सर्किल से इमली चौक तक के मास्टर प्लान के अनुसार किया जाएगा, जिसमें सड़क की चौड़ाई 100 फीट निर्धारित है। जिन भवनों का कुछ हिस्सा स्वीकृत सीमा में आता है, उनके लिए मुआवजा और पुनर्वास के प्रावधान भी शामिल किए जा रहे हैं। यातायात व्यवस्था को लेकर सीसीटीवी कैमरे और ट्रैफिक सिग्नल सिस्टम को यातायात पुलिस की सलाह से स्थापित किया जाएगा।

रूडीप से रूडसिकोतक: प्रक्रिया आगे बढ़ी

28 जुलाई को कलेक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक में सिटी लेवल कमेटी ने योजना की समीक्षा की थी। आरयूआईडीपी (राजस्थान अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट) के अधिशासी अभियंता महेंद्र समदानी ने बताया कि हमारा कार्य योजना का प्रस्ताव और रूपरेखा तैयार करना था, जिसे पूरा कर लिया गया है। आगे की पूरी प्रक्रिया रूडसिको के जिम्मे है। रूडसिको ने अब उदयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड को परियोजना प्रबंधन सलाहकार (ProjectManagementConsultant) नियुक्त कर दिया है।

यूएसएसएल को सौंपा गया प्रबंधन का जिम्मा

रूडसिको के कार्यकारी निदेशक हरिमोहन मीणा द्वारा जारी पत्र के अनुसार :-

  • नाथद्वारा और माउंट आबू में 30-30 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
  • जैसलमेर और बालोतरा में 60-60 करोड़ रुपए।
  • जबकि भीलवाड़ा में 90 करोड़ रुपए व्यय होंगे।
  • परियोजना की कार्यावधि 3 वर्ष निर्धारित की गई है।
  • यूएसएसएल का प्रबंधन शुल्क (पीएमसी) परियोजना की कुल लागत का 3 प्रतिशत तय किया गया है।
  • यूएसएसएल को परियोजना के डिजाइन, डीपीआर निर्माण, प्राथमिकता निर्धारण, खरीद, पर्यवेक्षण, क्रियान्वयन और निगरानी जैसे सभी कार्य सौंपे गए हैं।

जल संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण पर विशेष ध्यान

नाथद्वारा की इस योजना का एक प्रमुख उद्देश्य सतत विकास और पर्यावरणीय संतुलन है। योजना के तहत निम्न बिंदुओं पर विशेष फोकस रहेगा :-

  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (SolidWaste Management)
  • जल संरक्षण और रेन वाटर हार्वेस्टिंग
  • हरित क्षेत्र विस्तार और पौधरोपण
  • सीवरेज सुधार और प्रदूषण नियंत्रण
  • स्मार्ट लाइटिंग और ऊर्जा दक्षता
  • पर्यावरण के अनुकूल यातायात प्रबंधन (Eco-Mobility Solutions)

समय सीमा और भविष्य की दिशा

रूडसिको ने स्पष्ट किया है कि परियोजना की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) एक माह में राज्य स्तरीय समिति के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। डीपीआर के अनुमोदन के बाद वास्तविक निर्माण कार्य प्रारंभ होगा। संभावना है कि वर्ष 2026 के मध्य तक ग्राउंड वर्क पूरा कर लिया जाएगा। नाथद्वारा विधायक विश्वराजसिंहमेवाड़ ने कहा कि स्मार्ट सिटी जैसी यह योजना भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। यह न केवल संकरी गलियों और पार्किंग की दिक्कतें दूर करेगी, बल्कि शहरवासियों को आधुनिक और हरित जीवनशैली का अनुभव भी कराएगी।

नाथद्वारा का भविष्य: धार्मिक नगरी से ‘इको-स्मार्ट सिटी’ तक

श्रीनाथजी की नगरी नाथद्वारा अब न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी एक उदाहरण बनने की दिशा में अग्रसर है। स्मार्ट लाइटिंग से सुसज्जित सड़कों, हरित उद्यानों, स्वच्छ जल निकासी, पर्यावरण-अनुकूल यातायात और स्मार्ट निगरानी व्यवस्था के साथ यह शहर जल्द ही “क्लीन, ग्रीन एंड इको सिटी” का उत्कृष्ट मॉडल बनेगा। यह परियोजना न केवल शहर की छवि को नया आयाम देगी, बल्कि नाथद्वारा को राजस्थान की सबसे आधुनिक और पर्यावरण-संवेदनशील नगरी के रूप में भी स्थापित करेगी