
The court ordered to send a copy of the order to the Superintendent of Police and Cyber Cell Superintendent of Police, Bhopal.
cyber fraud विशेष सत्र न्यायालय ने साइबर फ्रॉड के दोषी रामसुजान निवासी हिरदे नगर सीहोर को एक साल की सजा सुनवाई है और 2 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने पुलिस की जांच पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि बेहद लचर अनुसंधान रहा है। खाते से चुराए गए पैसों को बरामद करने का प्रयास नहीं किया गया। न खाता होल्ड कराया। अनुसंधान में जो साक्ष्य जुटाने थे, पुलिस ने वैसा काम नहीं किया। इसलिए आदेश की कॉपी पुलिस अधीक्षक ग्वालियर व साइबर सेल पुलिस अधीक्षक भोपाल को भेजने के निर्देश दिए हैं। विवेचक को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और एमजेसी दर्ज करने का आदेश दिया है।
16 नवंबर 2022 को हुआ था फर्जीवाड़ा
अपर लोक अभियोजक घनश्याम मंगल ने बताया कि राजू धाकड़ पर को 16 नवंबर 2022 को किसी अज्ञात व्यक्ति ने किया और उससे कॉल पर कहा कि उसका क्रेडिट कार्ड ब्लॉक हो गया है और उसे चालू करने के लिए ओटीपी बताना होगा। कॉल करने वाले व्यक्ति ने स्वयं को "क्रेडिट कार्ड विभाग" का कर्मचारी बताया। शिकायतकर्ता ने जब ओटीपी साझा किया, तो उसके एसबीआई बैंक खाते से 2,21,000 की राशि निकालकर एचडीएफसी बैंक खाते में स्थानांतरित कर दी गई।
-साइबर जांच के दौरान पता चला कि खाता रामसुजान के नाम पर है, उसमें स्थानांतरित की गई थी। खाते में 1,47,000 का लेनदेन सीधे शिकायतकर्ता के एसबीआई खाते से हुआ था। पुलिस ने बैंक रिकॉर्ड, साइबर ट्रांजेक्शन रिपोर्ट, और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार किया। आरोपी रामसुजान ने जांच में यह कहकर पल्ला झाडऩे की कोशिश की कि उसने अपना बैंक खाता 5,000 में किसी अन्य व्यक्ति को बेच दिया था। हालांकि अदालत में वह इस कथन का कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर सका। बैंक अधिकारियों और साइबर सेल के तकनीकी विशेषज्ञों ने अदालत में यह पुष्टि की कि उक्त खाते में शिकायतकर्ता की राशि आई थी।
यह साबित नहीं कर पाया अभियोजन
अदालत ने निर्णय में कहा कि अभियोजन पक्ष यह प्रमाणित नहीं कर सका कि आरोपी ने स्वयं कॉल कर धोखाधड़ी की या तकनीकी उपकरणों के माध्यम से ओटीपी प्राप्त किया। कॉल डिटेल्स, मोबाइल नंबर की सटीक पुष्टि और डायरेक्ट तकनीकी साक्ष्य न होने के कारण धारा 420 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के आरोप सिद्ध नहीं हुए।
-अदालत ने यह स्पष्ट किया कि आरोपी के खाते में पीडि़त की राशि का ट्रांसफर होना और आरोपी द्वारा उसे खर्च करना इस बात का प्रमाण है कि उसने जानबूझकर अवैध रूप से प्राप्त संपत्ति को स्वीकार किया। इस आधार पर न्यायालय ने रामसुजान को धारा 411 (अवैध संपत्ति प्राप्त करना) के तहत दोषी ठहराया।
Updated on:
11 Nov 2025 11:04 am
Published on:
11 Nov 2025 11:03 am
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