
arms license
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने एक अहम आदेश पारित करते हुए हारदीप कुमार अरोरा की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने पिस्टल/रिवॉल्वर के लिए हथियार लाइसेंस दिए जाने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि हथियार का लाइसेंस किसी का अधिकार नहीं है, बल्कि यह केवल लाइसेंसिंग प्राधिकरण के विवेक और सार्वजनिक शांति-सुरक्षा पर निर्भर करता है।
याचिकाकर्ता हारदीप अरोरा पेशे से कृषक हैं। उन्होंने दलील दी थी कि अपनी आजीविका और सुरक्षा के लिए उन्हें हथियार लाइसेंस की आवश्यकता है। जिला दंडाधिकारी अशोकनगर और कमिश्नर ने 2010 में उनके पक्ष में सिफारिश की थी। इसके बावजूद राज्य सरकार ने फरवरी 2011 में उनका आवेदन खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता का कहना था कि सरकार ने बिना व्यक्तिगत सुनवाई दिए और बिना ठोस कारण बताए उनकी मांग खारिज कर दी। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि जिस प्रकार पहले एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को पुनर्विचार के लिए निर्देश दिए थे, उसी तरह उन्हें भी राहत दी जाए।
शासकीय अधिवक्ता रवींद्र दीक्षित ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता पहले से ही 315 बोर की बंदूक का लाइसेंस रखते हैं और उनके पिता के पास भी 12 बोर बंदूक का लाइसेंस है। ऐसे में परिवार के पास पहले से दो हथियार हैं और तीसरे लाइसेंस की कोई आवश्यकता नहीं है। साथ ही ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में शादियों व धार्मिक आयोजनों में हथियारों के दुरुपयोग से कई हादसे हो चुके हैं, इसलिए अतिरिक्त लाइसेंस देना उचित नहीं।
अदालत ने पाया कि जिला दंडाधिकारी की सिफारिश यांत्रिक और बिना ठोस कारण की थी। साथ ही, याचिकाकर्ता को किसी विशेष व्यक्ति या समूह से खतरे का प्रमाण भी नहीं है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि शस्त्र अधिनियम की धारा 13 और 14 के तहत लाइसेंस देना अनिवार्य अधिकार नहीं बल्कि प्रशासनिक विवेकाधिकार है। जब तक वास्तविक खतरा साबित न हो, लाइसेंस की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती।
-हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि सार्वजनिक शांति और सुरक्षा सर्वोपरि है और हथियार लाइसेंस का दुरुपयोग रोकना आवश्यक है।
ग्वालियर चंबल संभाग में शस्त्र लाइसेंस का बड़ा सौंक है। ग्वालियर जिले में 35 हजार लाइसेंस हैं, जिसमें 2 हजार पिस्तौल व पिस्टल शामिल हैं। शस्त्र टांगने का चलन तेजी बढ़ा है। इसके चलते हर महीने 1 हजार नए आवेदन आ जाते है, लेकिन उन्हें लाइसेंस नहीं मिलता है।
- विधानसभा 2023 के पहले से नए लाइसेंस बंद हैं। नए आवेदन नहीं हो रहे हैं। चुनाव के पहले जो लाइसेंस आवेदन लंबित थे, वह छह महीने में समाप्त हो गए।
- ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों की भी ऐसी स्थिति है। भिंड व मुरैना में शस्त्र का लोगों का बड़ा सौंक है।
Published on:
11 Sept 2025 11:08 am
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