
केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 774 नई सड़कें मंजूर की हैं। गांवों में बनने वाली इन सड़कों की कुल लंबाई 2426 किमी होगी। सरकार की तरफ से यह जानकारी दी गई है कि यह पहली बार है जब इस चरण में पात्र संपर्क-विहीन बसाहटों को 'बारहमासीसड़कसंपर्कता' प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 774 नई सड़कों के बन जाने से छत्तीसगढ़ की दूरस्थ और सड़क मार्ग से वंचित बसाहटों तक सर्व मौसम यानी कि साल को बारहों महीने आवागमन की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। योजना प्रारंभ के समय छत्तीसगढ़ में सिर्फ 17 प्रतिशत के लगभग ग्रामीण बसाहट ही डामरीकृत सड़कों के माध्यम से विकसित क्षेत्रों से जुड़ी हुई थी। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 24 वर्षों में निर्मित सड़कों से राज्य में बारहमासी सड़कों से जुड़ी बसाहटों की संख्या लगभग 97 प्रतिशत हो गई है। बता दें कि आज भी आएदिन यह खबरें और तस्वीरें सामने आती हैं, जिसमें गांववाले मरीज को कांधे पर या फिर खाट पर लेकर स्वास्थ्य केंद्रों तक जाते दिखते हैं। कारण यह होता है कि उन इलाकों में सड़कें नहीं होने से एंबुलेंस या फिर अन्य वाहन वहां तक नहीं पहुंच पाते हैं। सड़कों के न होने से कई बार मरीज समय रहते अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते और इलाज के अभाव में रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। बारहमासी सड़कें न होने की वजह से बच्चे स्कूल नहीं जा पाते और उनकी पढ़ाई-लिखाई प्रभावित होती है। ऐसे में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत प्रदेश की बड़ी ग्रामीण बसाहटों का संपर्क विकासखंड, तहसील और जिला मुख्यालयों तक हो सकेगा। इसका फायदा यह होगा कि इन बसाहटों को बाजार, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, पोषण, आपदा प्रबंधन और दैनिक आवागमन में व्यापक सुविधा मिल सकेगी। इससे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में तेजी, ग्रामीण आजीविका में वृद्धि और जनकल्याणकारी सेवाओं तक सुगम पहुंच सुनिश्चित हो सकेगी। सरकार की योजनाएं तो बहुत अच्छी होती हैं, उनका उद्देश्य भी जनकल्याणकारी होता है, लेकिन इन योजनाओं का क्रियान्वयन करने वाले उनमें पलीता लगा देते हैं। सभी जगह देखने में आता है कि सड़क बनाने के नाम से बजरी और डामर की परत बना दी जाती है, जो कुछ ही दिनों में उखड़ जाती है। ठेकेदारों-अफसरों-नेताओं का गठजोड़ ऐसी योजनाओं को कमाई का जरिया बना लेता। सरकार को चाहिए कि इन पर निगरानी रखे ताकि ग्रामीणों को दी जा रही सुविधाओं का लाभ मिल सके।-अनुपम राजीव राजवैद्य anupam.rajiv@in.patrika.com
संबंधित विषय:
Updated on:
21 Nov 2025 08:40 pm
Published on:
21 Nov 2025 08:39 pm
बड़ी खबरें
View Allओपिनियन
ट्रेंडिंग
