
AI से बनाई प्रतीकात्मक तस्वीर
बिहार में कनेक्टिविटी को नई रफ्तार मिलने वाली है। केंद्र सरकार ने उस मेगा पुल परियोजना को वित्तीय मंजूरी दे दी है, जिसका इंतजार कई वर्षों से हो रहा था। गंडक नदी पर बनने वाला यह पुल बिहार का सबसे बड़ा ब्रिज होगा। बेतिया से गोरखपुर को जोड़ने वाले इस पुल से उत्तर प्रदेश और नेपाल बॉर्डर तक जाना आसान हो जाएगा। इस मंजूरी के साथ ही इसके टेंडर जारी करने का रास्ता भी साफ हो गया है। अब इसे फाइनल मंजूरी के लिए केंद्रीय कैबिनेट के पास भेजा जाना है।
बिहार के बेतिया (मनुआपुल) से उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के तिवारीपट्टी–सेवराही तक बनने वाला यह पुल करीब 12.036 किलोमीटर लंबा होगा। परियोजना के साथ कुल 29 किलोमीटर सड़क निर्माण भी शामिल है, जिससे दोनों राज्यों के बीच की यात्रा पहले से काफी तेज़ और सुगम हो जाएगी। अधिकारियों के अनुसार इस पुल के बनने के बाद बिहार–यूपी की दूरी लगभग 35 किलोमीटर कम हो जाएगी। इस पुल से दोनों राज्यों के बीच यात्रियों को लाभ मिलेगा, बल्कि व्यापार, कृषि और पर्यटन क्षेत्र को भी बड़ा फायदा होगा। गोरखपुर–सिलीगुड़ी मार्ग पर यह पुल एक महत्वपूर्ण लिंक का काम करेगा।
केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए 1976.77 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति दी है। यह पुल हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल (HAM) के तहत बनाया जाएगा। इस मॉडल के तहत, कंस्ट्रक्शन एजेंसी कुल लागत का 60% हिस्सा देगी और बाकी 40% केंद्र सरकार देगी। एजेंसी पुल बनने के बाद 15 साल तक इसकी देखभाल करेगी। लागत वसूल होने के बाद, कंपनी इसे सरकार को हैंडओवर कर देगी।
इस प्रोजेक्ट को PPP अप्रेज़ल कमिटी (PPPAC) ने मंज़ूरी दे दी है, जिसके चेयरमैन फाइनेंस मिनिस्ट्री के डिपार्टमेंट ऑफ़ इकोनॉमिक अफेयर्स के सेक्रेटरी हैं। अब केंद्रीय कैबिनेट के पास इसे फाइनल मंजूरी के लिए भेजा जाना है। कैबिनेट से मंज़ूरी मिलने के बाद, कंस्ट्रक्शन प्रोसेस आधिकारिक तौर पर शुरू हो जाएगा।
परियोजना के लिए आवश्यक भूमि अधिग्रहण का काम पहले ही पूरा किया जा चुका है। अब निर्माण के लिए केवल तकनीकी और औपचारिक प्रक्रियाएं बची हैं। राज्य पुल निर्माण निगम के माध्यम से इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को पूरा किया जाएगा। निर्माण अवधि चार साल तय की गई है।
Updated on:
24 Nov 2025 02:13 pm
Published on:
24 Nov 2025 02:11 pm
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