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कभी 33 चीनी मिलें थीं, अब खंडहर बचे हैं… कांग्रेस ने बताया बिहार में कैसे हुआ उद्योग का पतन

Bihar Election: कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बिहार में उद्योगों के पतन को लेकर कड़ी आलोचना की है। उन्होंने बताया कि कभी बिहार में 33 चीनी मिलें थीं, जिनमें से आज अधिकतर खंडहर बन चुकी हैं। उन्होंने भाजपा-जदयू सरकार से तीन बड़े सवाल भी किए हैं। 

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पटना

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Anand Shekhar

Nov 04, 2025

bihar election

गोरौल चीनी मिल, वैशाली (फ़ोटो- pushpam priya choudhary facebook)

Bihar Election:बिहार चुनाव के बीच कांग्रेस ने भाजपा-जेडीयू सरकार पर बड़ा हमला बोला है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक लंबा पोस्ट लिखकर एनडीए सरकार पर आरोप लगाया कि पिछले 20 वर्षों में बिहार में विकास नहीं, बल्कि पलायन उद्योग खड़ा किया गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा-जेडीयू गठबंधन ने असीम औद्योगिक संभावनाओं वाले बिहार को विकास के राष्ट्रीय नक्शे से मिटा दिया है।

बिहार को उद्योग से पलायन की ओर धकेला गया

जयराम रमेश ने कहा, “कभी चीनी, पेपर, जूट, सिल्क और डेयरी के लिए मशहूर बिहार आज बेरोजगारी और पलायन का पर्याय बन गया है। भाजपा-जेडीयू ने सत्ता में आने के बाद एक भी बड़ा उद्योग नहीं लगाया, बल्कि जिन उद्योगों की नींव कांग्रेस शासन में रखी गई थी, उन्हें भी चौपट कर दिया गया।”

उन्होंने लिखा कि आजादी के बाद कांग्रेस सरकारों ने अविभाजित बिहार में ऐसे अनेक उद्योग स्थापित किए, जिन्होंने न केवल राज्य को औद्योगिक मानचित्र पर जगह दी, बल्कि लाखों युवाओं को रोजगार भी दिया। उस दौर में भारी उद्योग, ऊर्जा, डेयरी और रेल उत्पादन के इर्द-गिर्द बिहार में विकास का पहिया तेजी से घूम रहा था।

कांग्रेस शासन में स्थापित प्रमुख औद्योगिक यूनिट

  • बरौनी तेल शोधन कारखाना - बिहार को ऊर्जा उत्पादन का केंद्र बनाया
  • सिंदरी और बरौनी खाद कारखाना - देश की खाद सुरक्षा में मददगार बना
  • बरौनी डेयरी - आज की सुधा डेयरी की नींव
  • रेल पहिया कारखाना, बेला
  • डीज़ल लोकोमोटिव कारखाना, मढ़ौरा
  • नवीनगर थर्मल प्रोजेक्ट
  • सुधा कोऑपरेटिव डेयरी नेटवर्क

भाजपा-जेडीयू के शासन में उद्योग बने खंडहर

जयराम रमेश ने कहा कि एनडीए सरकार की गलत नीतियों और भ्रष्टाचार ने बिहार के उद्योगों को तबाह कर दिया। उन्होंने कहा, “अशोक पेपर मिल का 400 एकड़ परिसर अब खंडहर में तब्दील हो चुका है, मशीनें सड़ गईं और मजदूर उजड़ गए। कभी बिहार में 33 से अधिक चीनी मिलें थीं, जिनका देश के कुल उत्पादन में 40% हिस्सा था, लेकिन आज उनमें से अधिकांश बंद हैं, सकरी, रैयम, लोहट, मोतीपुर, बनमनखी, मोतिहारी… सभी का यही हाल है। मशीनें ट्रकों में भरकर कबाड़ में बेच दी गईं।” उन्होंने सवाल उठाया कि “प्रधानमंत्री हर चुनाव में इन्हें दोबारा चालू कराने का वादा करते हैं, लेकिन उनके वादों के बाद एक के बाद एक मिलें बंद होती गईं।”

सिल्क और जूट उद्योग भी दम तोड़ चुके हैं

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, “समस्तीपुर की रामेश्वर जूट मिल 2017 से बंद है। भागलपुर का प्रसिद्ध सिल्क उद्योग भी अब लगभग खत्म हो चुका है। स्पन सिल्क फैक्ट्री वर्षों से बंद पड़ी है।
95% बुनकर परिवार अब गरीबी और कर्ज में डूबे हैं। यह वही बिहार है, जो कभी सिल्क सिटी कहा जाता था।”

उन्होंने नीतीश कुमार और भाजपा नेताओं के बयानों पर निशाना साधते हुए कहा, "मुख्यमंत्री कहते हैं कि बड़ा उद्योग तो समुद्र किनारे लगता है। केंद्रीय मंत्री कहते हैं कि बिहार में उद्योग के लिए ज़मीन नहीं। लेकिन प्रधानमंत्री के चहेते उद्योगपतियों को 1 रुपये प्रति एकड़ ज़मीन दी जाती है।"

बिहार को पलायन नहीं, पुनर्निर्माण चाहिए

जयराम रमेश ने कहा कि आज तीन करोड़ से ज्यादा बिहारी मजदूर रोजगार के लिए राज्य छोड़ चुके हैं। कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया और अररिया जैसे जिलों के लोग बंगाल, असम और दिल्ली तक दिहाड़ी कर रहे हैं। उन्होंने पूछा, “क्या यही है भाजपा-जेडीयू की विकास यात्रा?” कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी का संकल्प है कि बिहार में फिर से उद्योग, रोजगार और आत्मनिर्भरता की वह परंपरा मजबूत की जाए, जिसे पिछले दो दशकों में भाजपा-जेडीयू सरकार ने व्यवस्थित तरीके से कमजोर किया है।

जयराम रमेश ने एनडीए सरकार से पूछे तीन सवाल

  • जब कांग्रेस ने बिना समुद्र के बिहार में बरौनी, सिंदरी, हटिया और बोकारो जैसे भारी उद्योग स्थापित कर दिए - तो आज उद्योग लगाना असंभव क्यों बताया जा रहा है?
  • क्या यह सच नहीं कि पिछले 20 वर्षों में बिहार को उद्योगहीन कर दिया गया और केवल पलायन-आधारित अर्थव्यवस्था बची है?
  • क्या यह भी सही नहीं कि जिन मिलों ने किसानों, मजदूरों और युवाओं को रोज़गार दिया वे मिलें भाजपा-जेडीयू की गलत नीतियों और लापरवाही की बलि चढ़ गईं?