
भगत सिंह
Gen Z इन दिनों सुर्खियों में है। नेपाल में तख्तापलट से लेकर भारत के लेह में Gen Z विरोध और प्रदर्शन को लेकर चर्चाओं में है। जेनरेशन जी वर्ष 1997 से लेकर 2012 तक पैदा हुई पीढ़ी के युवाओं को कहा जाता है। यानी अभी जिनकी उम्र 13 से 28 वर्ष के बीच है, उसे जेन जी माना जाएगा। आइए, भगत सिंह (Bhagat SIngh Birthday) के जन्मदिन के अवसर पर आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों का न्यौछावर करने वाले जेनरेशन जी के बारे में चर्चा करते हैं।
28 सितंबर 2025 को भगत सिंह का 118वां जन्मदिवस है। उनकी जयंती 27 या 28 सितंबर को है, इसको लेकर विवाद है। कागजों में उनका जन्मदिन 27 सितंबर 1908 है लेकिन कुछ स्रोत बताते हैं उनका जन्मदिन 28 सितंबर 1908 को पड़ता है। वह आज के पाकिस्तान पंजाब के लॉयलपुरा के बंगा गांव में पैदा हुए थे। क्रांतिकारी भगत सिंह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के सदस्य थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा लेने के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना 1926 में की थी।
साइमन कमीशन के बहिष्कार के दौरान लाला लाजपत राय पर पुलिस ने लाठियां बरसाई। लाजपत राय को बहुत ज्यादा चोट लगी और उनकी मौत हो गई। इस मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और चंद्रशेखर आज़ाद ने मिलकर योजना बनाई। 17 दिसंबर 1928 को लाहौर में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी सहायक पुलिस अधीक्षक सॉन्डर्स की तीनों भारतीय क्रांतिकारियों ने मिलकर गोली मार दी। इसके बाद 1929 में भारत रक्षा अधिनियम का विरोध करते हुए भगत सिंह ने केंद्रीय विधान सभा में बम फेंके और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए। उनसे जब पूछा गया कि आपने विधान सभा में क्यों बम फेंके तो उनका जवाब था - 'बहरों को सुनाने के लिए धमाकों की जरूरत होती है। भगत सिंह को 23 मार्च 1931 को फांसी दे गई तब उनकी उम्र सिर्फ 23 वर्ष थी।
आजादी के दीवानों में चंद्रशेखर आज़ाद नाम प्रमुखता से शुमार किया जाता है। चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश में हुआ था। चंद्रशेखर आजाद को गरम दल का नेता माना जाता था। उनका लक्ष्य अंग्रेजी शासन के खिलाफ सशस्त्र क्रांति के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्त करना था। उन्होंने भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, अश्फाक उल्ला, बटुकेश्वर दत्त व अन्य साथियों के साथ ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ युवाओं को इकट्ठा करने की कोशिश की। उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) का गठन किया। इस संगठन ने काकोरी कांड व सॉन्डर्स की हत्या जैसी घटनाओं को अंजाम दिया। चंद्रशेखर आजाद ने यह कसम खाई थी कि उन्हें जीते जी अंग्रेज पकड़ नहीं पाएंगे। इस कसम को उन्होंने अंतिम सांस तक निभाया और पुलिस से घिर जाने के बाद तात्कालीन इलाहाबाद, आज के प्रयागराज में 27 फरवरी 1931 को खुद को गोली मार ली थी।
आजादी की लड़ाई का एक और सितारा खुदीराम बोस भी तब जेन जी पीढ़ी के हजारों लोगों की प्रेरणा बन गए जब खुदीराम बोस को जब अंग्रेजों ने फांसी के फंदे पर चढ़ाया। शहादत के समय उनकी उम्र 17 साल कुछ महीने थी। किशोर क्रांतिकारी खुदीराम बोस और युवा प्रफुल्ल चाकी ने मिलकर 30 अप्रैल 1908 में ब्रिटिश अधिकारी डगलस किंग्सफोर्ड पर बम फेंका था। हालांकि इस हमले में बग्गी में सवार किंग्सफोर्ड की पत्नी और उसकी बेटी मारी गई।
प्रफुल्ल चाकी ने अंग्रेजों के हाथ न आने के चक्कर में मोकामा स्टेशन पर अपने पिस्तौल से खुद को गोली मारकर देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। प्रफुल्ल चाकी ने क्रांतिकारी संगठन युगान्तर पार्टी के सदस्य के रूप में काम किया। दोनों का देश के लिए दिए गए बलिदान ने लाखों लोगों को प्रेरित किया। खुदीराम की शहादत ने भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस को भी प्रेरित किया।
प्रीतिलता वादेदार का नाम भारतीय महिला क्रांतिकारियों में प्रमुखता से लिया जाता है। वह एक बहादुर क्रांतिकारी महिला थी जिन्होंने वर्ष 1932 में पहाड़तली यूरोपियन क्लब पर हमले का नेतृत्व किया था। इस मामले में पुलिस ने दिन और रात एक करके उनको पकड़ने की कोशिश की लेकिन उन्होंने अंतत: आत्महत्या करके देश पर अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया। उनके बलिदान से बाद की कई पीढ़ियों तक महिलाओं को आजादी के लिए लड़ने की प्रेरणा मिली। उनका जन्म 5 मई 1911 को हुआ था और 24 सितंबर 1932 को 21 साल की उम्र में देश के लिए खुद का बलिदान दिया।
Updated on:
27 Sept 2025 04:52 pm
Published on:
27 Sept 2025 01:40 pm
बड़ी खबरें
View AllPatrika Special News
ट्रेंडिंग
