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Rajasthan: बीजेपी के पूर्व MLA की सजा माफी को लेकर बवाल, जूली ने राष्ट्रपति-PM को लिखा पत्र; जानें पूरा विवाद?

Rajasthan Politics: राजस्थान की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। इस बार मामला बीजेपी के पूर्व विधायक कंवरलाल मीणा की सजा माफी को लेकर है।

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Kanwarlal Meena and Tikaram Jully

पत्रिका फाइल फोटो

Rajasthan Politics: राजस्थान की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। इस बार मामला बीजेपी के पूर्व विधायक कंवरलाल मीणा की सजा माफी को लेकर है। कंवरलाल मीणा पिछले चार महीनों से जेल में बंद हैं। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस मामले में भजनलाल सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जूली का कहना है कि बीजेपी सरकार राज्यपाल के माध्यम से कंवरलाल मीणा की तीन साल की सजा को माफ करवाने की कोशिश कर रही है। इस संबंध में बीजेपी ने राज्यपाल को एक प्रार्थना पत्र सौंपा है।

जूली ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस सजा माफी के प्रस्ताव को खारिज करने की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि कंवरलाल मीणा अंता से बीजेपी के विधायक चुने गए थे। उनको निचली अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई थी।

इस सजा को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। इसके परिणामस्वरूप उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई और 21 मई 2025 से वे जेल में हैं। जूली ने आरोप लगाया कि बीजेपी अब उनकी सजा को माफ करवाने की कोशिश कर रही है, ताकि उनकी विधायकी बहाल हो सके।

संविधान में सजा माफी का प्रावधान

टीकाराम जूली ने अपने पत्र में संविधान के अनुच्छेद 161 का हवाला दिया, जिसमें राज्यपाल को सजा माफ करने या कम करने का अधिकार दिया गया है। हालांकि, जूली ने कहा कि बीजेपी इस प्रावधान का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने बताया कि बीजेपी ने राज्यपाल को सौंपे गए प्रार्थना पत्र में कंवरलाल मीणा के सामाजिक कार्यों, जैसे रक्तदान शिविर आयोजित करने, तिरंगा यात्रा निकालने और अन्य सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने का हवाला दिया है।

जूली ने तर्क दिया कि इस तरह की सजा माफी का उपयोग आमतौर पर मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने या आजीवन कारावास की सजा को कम करने के लिए किया जाता है। लेकिन बीजेपी इसका इस्तेमाल एक ऐसे व्यक्ति के लिए कर रही है, जिसके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

सरकार की नीतियों में विरोधाभास

जूली ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में एक कानून पारित किया है, जिसमें यह प्रावधान है कि यदि कोई अपराधी एक महीने से अधिक समय तक जेल में रहता है तो उसका मंत्री पद या मुख्यमंत्री पद समाप्त हो जाएगा। लेकिन दूसरी ओर, राजस्थान की बीजेपी सरकार एक ऐसे व्यक्ति की सजा माफ करवाने की कोशिश कर रही है, जिसके खिलाफ 27 आपराधिक मामले दर्ज हैं और जिसे तीन साल की सजा सुनाई गई है।

जूली ने कहा कि यह कदम राजनीतिक सुचिता को कमजोर करेगा और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को बढ़ावा देगा। उन्होंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से अपील की कि वे इस सजा माफी के प्रस्ताव को अस्वीकार करें, ताकि राजनीति में स्वच्छता बनी रहे।

कंवरलाल मीणा को क्यों मिली थी सजा?

दरअसल, यह विवाद 3 फरवरी 2005 की घटना से जुड़ा है। उस दिन झालावाड़ के मनोहर थाना कस्बे में दांगीपुरा-राजगढ़ मोड़ पर ग्रामीणों ने खाताखेडी के उपसरपंच चुनाव में कथित धांधली के विरोध में सड़क जाम कर दी थी। ग्रामीणों की मांग थी कि मतदान दोबारा कराया जाए। इस सूचना पर तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता, प्रोबेशनर आईएएस डॉ. प्रीतम बी यशवंत और तहसीलदार रामकुमार मौके पर पहुंचे। वे प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश कर रहे थे।

इसी दौरान कंवरलाल मीणा अपने कुछ समर्थकों के साथ वहां पहुंचे। आरोप है कि उन्होंने एसडीएम मेहता की कनपटी पर पिस्तौल तान दी और धमकी दी कि अगर दो मिनट में मतगणना दोबारा शुरू करने की घोषणा नहीं की गई तो वे उनकी जान ले लेंगे। मौके पर मौजूद लोगों के समझाने के बाद मीणा शांत हुए।

लेकिन उन्होंने सरकारी वीडियोग्राफर के कैमरे से कैसेट निकालकर तोड़ दी और प्रोबेशनर आईएएस का डिजिटल कैमरा भी छीन लिया। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने कंवरलाल को तीन साल की सजा सुनाई। इसके बाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी उनकी अपील खारिज हो गई। इसके बाद 23 मई, 2025 को कंवरलाल मीणा की सदस्यता खत्म करने का आदेश जारी किया गया था।

सजा के बाद उपचुनाव की तैयारी

कंवरलाल मीणा की सजा के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द का 23 मई 2025 को आदेश जारी किया गया। इसके बाद अंता विधानसभा सीट को चुनाव आयोग ने खाली घोषित कर दिया। अब इस सीट पर उपचुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं और वोटर लिस्ट को अपडेट करने का काम चल रहा है। लेकिन अगर राज्यपाल कंवरलाल की सजा माफ कर देते हैं, तो उनकी विधायकी बहाल हो सकती है।

कंवरलाल मीणा पर 27 आपराधिक मामले

बताया जा रहा है कि कंवरलाल मीणा के खिलाफ 27 आपराधिक मामले दर्ज हैं। ऐसे में उनकी सजा माफ करने का प्रस्ताव विवादों को जन्म दे रहा है। टीकाराम जूली ने सवाल उठाया कि क्या इतने गंभीर आपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्ति की सजा माफ करना उचित होगा? उन्होंने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि क्या यही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजनीतिक स्वच्छता का संदेश है?